आईसीयू में भर्ती मरीजों को मिलेगा सटीक इलाज
केवल फंगल इंफेक्शन से खराब फेफड़ों को दुरुस्त करने में ही स्टेरॉयड कारगर
अंतरराष्ट्रीय जनरल ने पल्मोनरी विभाग के रिसर्च को मान्यता दी
कुमार संजय। लखनऊ
आईसीयू में भर्ती मरीजों को अब सटीक इलाज मिलेगा। अभी तक 90 फीसदी से अधिक मरीजों को शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता कम करने की दवाएं ( स्टेरॉयड) खास मात्रा में बिना किसी जांच पड़ताल के शुरू कर दी जाती है। ऐसा केवल भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में देखने को मिला है। इससे फायदा कम नुकसान अधिक होता है। संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञों ने 1161 मरीजों पर लंबे शोध बाद साबित किया है कि फंगल इंफेक्शन है तभी स्टेरायड कारगर है। फंगस( कवक) भी कई तरह के होते है, इसलिए यह भी साबित किया है कि एस्परगिलोसिस फंगस संक्रमण तभी यह कारगर है। शोध को इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल माइकोसिस ने स्वीकार किया है। इस नए तथ्य के सामने आने के बाद आईसीयू मरीजों की काफी राहत मिल सकती है। मृत्यु दर भी कम होगी। मुख्य शोधकर्ता पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रो जिया हाशिम को इस शोध के लिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सम्मानित किया था।
चार फीसदी से अधिक फंगल इंफेक्शन
प्रो. जिया हाशिम ने बताया के मुताबिक आईसीयू में भर्ती मरीजों के फेफड़ों की कार्य क्षमता कमजोर हो जाती है। इसे डॉक्टरी भाषा में एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) कहते हैं। आईसीयू के चार फीसदी से अधिक मरीजों में फंगल संक्रमण पाया जाता है।
डायबिटीज मरीजों में अधिक है आशंका
एस्परगिलोसिस के कारण फेफड़ों में परेशानी डायबिटीज ग्रस्त लोगों में अधिक है। फेफड़े में गांठ या कैविटी होने पर भी फंगल इंफेक्शन की संभावना अधिक होती है। पुराने फेफड़े के विकार या क्षतिग्रस्त फेफड़ों हैं।
एस्परगिलोसिस कितना आम है
अस्थमा रोगियों के लगभग 2 फीसदी और सिस्टिक फाइब्रोसिस वाले 2-15 फीसदी में फंगल इंफेक्शन की आशंका देखी गयी है।
यह हैं लक्षण
-बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, खांसी, बलगम के साथ खून आना और ऑक्सीजन का स्तर कम होना।
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