विशेष जांच की सुविधा नहीं तो भी संभव होगा तंत्रिका तंत्र के टीबी का इलाज
कम होगी मरीजों की दौड़ और समय पर शुरू हो सकेगा इलाज
शोध के मिली राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
तंत्रिका तंत्र के टीबी के लक्षण और सीएसएफ की जांच के आधार किया जा सकता है इलाज
200 मरीजों में शोध किया शोध
तंत्रिका तंत्र में टीबी की पुष्टि के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड कहे जाने वाले विशेष जांच जीन एक्सपर्ट, ब्लड कल्चर की सुविधा न होने पर लक्षण और सेरेब्रल स्पाइनल फ्लूइड( सीएसएफ) यानि तंत्रिका तंत्र के द्रव की जांच के आधार पर इलाज किया जा सकता है। इससे इससे जों की दौड़ कम होती। जांच पर पैसा कम खर्च होगा। समय पर इलाज शुरू हो सकेगा। इन लक्षणों को बताने में
कामयाबी संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की न्यूरोलॉजिस्ट
प्रो. रुचिका टंडन, ड. प्रतीश आनंद और प्रो. संजीव क्षा ने
हासिल की है। इस शोध को न्यूरोजांली इंडिया में स्थान भी
मिला है। विशेषज्ञों ने लक्षणों का पता करने के लिए 200
मरीजों पर शोध किया। लक्षण के आधार पर एमआरआई, जीन
एक्सपर्ट, ब्लड कल्चर और सीएसएफ द्रव की जांच किया। देखा
इनमें 37.5 फीसदी में जीन एक्सपर्ट से टीबी की पुष्टि हुई।
एमआरआई में बदलाव दिखा। सीएसएफ में रासायनिक तत्वों में
बदलाव मिला। इसके आधार पर कह सकते है। लक्षण और
सीएसएफ के जांच के आधार पर टीबी का इलाज किया जा
सकता है। हमने तंत्रिका तंत्र टीबी के सभी मामलों में जिनमें
जीन एक्सर्ट से पुष्टि नहीं हुई उनमें लक्षण के आधार पर इलाज
किया जिसमें काफी सफलता मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि
सीएसएफ की जांच काफी सस्ती है किसी भी पैथोलॉजी जांच
केंद्र पर हो सकती है। टीबी होने पर सीएसएफ में लिम्फोसाइट
की मात्रा बढ़ जाती है। ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है। इस
शोध को इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी में स्वीकार किया
गया। शोध को संस्थान में हाल में ही आयोजित रिसर्च शो केस
में भी रखा गया।
यह लक्षण तो शुरू करें टीबी का इलाज
-शरीर के भार में कमी
- बेहोश या होश में कमी
- उल्टी . दौरा पड़ना
- गर्दन में अकड़न खास तौर आगे की तरफ न झुकना
-सिर में पानी भरना( हाइड्रोसेफलस)
- शरीर के दूसरे अंगों में टीबी
- ट्यूबरकुलर मेनेंजाइटिस की स्टेज थ्री
क्या तंत्रिका तंत्र की टीबी
रीढ़ की हड्डी के स्पाइन कार्ड( नसें) और ब्रेन में टीबी हो सकती है। इसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम टीबी कहते हैं। कुल टीबी के मामलों में से एक फीसदी मामले यह टीबी के होती हैं। रीढ़ की हड्डी( स्पाइनल कार्ड) में टीबी होने पर लकवा की स्थिति आ जाती है। ब्रेन की टीबी होने पर शरीर के अंग काम नहीं करते हैं।समय पर इलाज न होने पर मृत्यु का कारण साबित हो सकती है।
वर्जन
टीबी की पुष्टि के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड तय किए गए लेकिन तमाम जगहों पर इन जांच की सुविधा नहीं है । ऐसे में केवल लक्षण और सस्ती और सुलभ सीएसएफ की जांच से आधार टीबी का इलाज शुरू करना चाहिए। मरीजों को बीमारी की जटिलता और जीवन को बचाया जा सकता है....प्रो. रुचिका टंडन न्यूरोलॉजिस्ट एसजीपीजीआइएमएस लखनऊ
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