गुरुवार, 19 जनवरी 2023

कीटनाशक के इस्तेमाल में 50 फीसदी से अधिक नहीं बरत रहे है सावधानी

 अपनी सेहत बिगाड़ रहे है किसान

 


कीटनाशक के इस्तेमाल में 50 फीसदी से अधिक नहीं बरत रहे है सावधानी

 

लखनऊ के 387 किसानों पर शोध में मिले कई तथ्य 

 

कुमार संजय। लखनऊ

 

37 फीसदी किसानों को नहीं पता कि कीटनाशक उनके घातक साबित हो सकता है। ऐसी ही तमाम जानकारी लखनऊ जिले के किसानों पर शोध के बाद सामने आयी है। जानकारी और जागरूकता के अभाव में  कीटनाशक इस्तेमाल के समय किसान सावधानी नहीं बरतते है जिससे इनमें त्वचातंत्रिका तंत्र के बीमारी की आशंका भी बढ़ जाती है। शोध में 387 किसानों पर शोध किया गया  जिसमें कई तथ्य सामने आए हैं। शोध वैज्ञानिकों ने कहा है कि  कीटनाशक में  रसायनों की उच्चतम सांद्रता होती है। इसलिए यह जरूरी है कि किसान  खुद और पर्यावरण को बचाने के लिए  रसायनों के सही उपयोग और जहरीले प्रभावों से अवगत हों। वर्तमान अध्ययन से पता चलता है कि  जानकारी के लिए  कीटनाशक पर लगा  लेबल किसानों के लिए प्रभावी नहीं है। उन्हें वैकल्पिक तरीकों से शिक्षित करने की आवश्यकता है। देखा गया कि कीटनाशक को 42.6 फीसदी किसान घरों में की भी रख देते है जिससे घर के छोटे बच्चों में खतरे की आशंका रहती है।बचे हुए कीटनाशक निस्तारण भी सही तरीके से नहीं करते हैं।  

 

 

 

इन्होंने किया शोध

 

राममनोहर लोहिया संस्थान के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग से डा.

 

बीना सचानडा. सुनील दत्त कांडपाल,डा. अरविंद के. सिंह,डा. अमित कौशिकडा.  सुगंधा जौहरी और अर्शी अंसारी ने एग्रीकल्चर पेस्टिसाइड यूज एंड मिसयूज ए स्टडी टू एसेस द कॉग्निजेंस एंड प्रैक्टिस एमंग नार्थ इंडिया फार्मर विषय को लेकर शोध किया जिसे जर्मल आफ    फेमली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर ने हाल में ही स्वीकार किया है। 

 

 

 

55 फीसदी – कीटनाशक पर लेबल न तो पढ़ते  और न  पालन करते हैं

 

44 फीसदी- विषाक्तता लेवल को नहीं  समझें

 

 

 

61 फीसदी -सिंथेटिक कीटनाशकों के विकल्प के बारे में नहीं जानते

 

51.2 फीसदी- जैविक खेती के बारे में नहीं जानते  की जानकारी है

 

74.3 फीसदी – नहीं जानते कि कीटनाशक सतही जल को प्रभावित करते हैं

 

77.6 फीसदी – नहीं जानते कि  कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करते हैं

 

37.0  फीसदी – नहीं जानते  कि कीटनाशक घातक विषाक्तता पैदा कर सकते हैं

 

65.0 फीसदी – नहीं जानते कि  कीटनाशकों का इस्तेमाल करते समय  पीपीई  का उपयोग करना चाहिए

 

80 फीसदी -  प्रतिबंधित कीटनाशक के बारे में जानकारी नहीं है

 

ऐसे करें बचाव

-खाली पेट छिड़काव न करे

- छिड़काव करने के बाद कपड़े उतार देने चाहिएं व अच्छी तरह साबुन लगाकर स्नान करें

-  छिड़काव करते समय कुछ भी नहीं खाएंहवा के रुख के उलट छिड़काव न करें

-  हमेशा हवा के 90 डिग्री कोण पर छिड़काव करो

-  छिड़काव करने से पहले व बाद में स्प्रे पंप को सर्फ के पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए

- छिड़काव करते समय दस्तानेमास्कपूरी बाजू की कमीज व पायजामापैंट पहन कर रखें

-  नोजल की ऊंचाई करीब डेढ़ फुट रखें व इधर उधर न घुमाएं

- डिब्बे को नष्ट कर मिट्टी में गाड़ दें

 

जैविक खेती स्वास्थ्य और मिट्टी के लिए मुफीद

 

-भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

-सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है।

-रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।

-मिट्टीखाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है

- रसायन के इस्तेमाल से कुछ अंश शरीर में जाता है जिससे कई बीमारी की आशंका रहती है

 

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