पीजीआई में पहली बार स्थापित हुई गैस्ट्रो जेजुनोस्टॉमी
-पेट के कैंसर मरीजों की जिंदगी होगी आसान
-छोटी आंत और आमाशय के बीच बनाया खाना जाने का रास्ता
-छोटी आंत और आमाशय के बीच में कैंसर के कारण नहीं खा पा - रहे खाना होती थी उल्टी
45 वर्षीय पुरुष के छोटी आंत और आमाशय के बीच में कैंसर के कारण खाना जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया था। इसके कारण यह लगातार उल्टी, खाना खाने में परेशानी हो रही थी। पोषण न मिलने के कारण शरीर के भार में गिरावट तेजी से हो रही है। इस परेशानी में अमूमन कैंसर के सर्जरी कर निकाला जाता है लेकिन शारीरिक हालत ठीक न होने के कारण इनमें सर्जरी संभव नहीं थी। ऐसे में इनकी जिंदगी को सरल बनाने के लिए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट प्रो. प्रवीर राय ने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड तकनीक से गैस्ट्रो जेजुनोस्टॉमी तकनीक से आमाशय और खाने के बीच में विशेष स्टंट डालकर खाने का रास्ता बना दिया। नया रास्ता बनने के अगले दिन से यह खाना खाने लगे और उल्टी की परेशानी दूर हो गई। यह तकनीक स्थापित करने वाला प्रदेश का पहला संस्थान व विभाग है। उत्तर भारत के केवल तीन संस्थानों में ही यह तकनीक स्थापित है। प्रो राय के मुताबिक अभी तक आमाशय और छोटी आंत के बीच जो स्टंट डाला जाता है वह कैंसर कोशिकाओं के बीच से या पास से डाला जाता है। इसके कारण यह रास्ता दोबारा बंद हो जाता है। ऐसे में दोबारा परेशानी शुरू हो जाती है। हमने यह रास्ते अलग बनाया जहां पर कैंसर सेल नहीं होते है। दोबारा यह परेशानी नहीं होगी। अमूमन बाकी केंद्रों पर सर्जरी की जाती है
प्रो. राय चुने गए एशियन एंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड ग्रुप के सदस्य
एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड तकनीक से होने वाले पेट के कई बीमारियों के इलाज के लिए प्रोफेसर राय को एशियन एंडोस्कोपी ग्रुप का सदस्य चुना गया है । यह उत्तर भारत के अकेले पेट रोग विशेषज्ञ हैं जिन्हें इस ग्रुप में स्थान मिला है। एशियाई देशों से गिने –चुने लोग शामिल किए गए हैं जिसमें प्रोफेसर राय शामिल हैं। प्रो. 15 साल से पेट की तमाम बीमारियों के इलाज बगैर सर्जरी
एंडोस्कोपिक तकनीक से विकसित करने में लगे हैं।
पीजीआई की होगी एशियाई देशों में भागीदारी
एशियन एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड ग्रुप में शामिल होने के बाद पीजीआई की भागीदारी एशियाई देशों में होगी। भारत में यह ग्रुप तकनीक का विस्तार करेगा । पीजीआई उत्तर भारत के नए पेट रोग विशेषज्ञ को इस तकनीक में दक्ष करेगा और पहले से कर रहे विशेषज्ञों को नई तकनीक से अपडेट करेगा। पेट के तमाम बीमारियों के इलाज में सर्जरी की जरूरत कम की जा सकेगी। मरीजों को बिना सर्जरी के भी आराम मिलेगा
कैंसर के कारण तमाम परेशानी होती है जिससे जिंदगी काफी जटिल हो जाती है ऐसे में ऐसे मरीजों को बची हुई जिंदगी को सरल बनाने के लिए यह तकनीक काफी कारगर है खास तौर पर जब आमाशय और छोटी आंत के बीच में कैंसर हो। इस तकनीक से उतना ही फायदा होता है जितना सर्जरी में फायदा होता है...प्रो. प्रवीर राय गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट एसजीपीजीआई लखनऊ
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