बुधवार, 9 नवंबर 2022

छोटी आंत में अधिक बैक्टीरिया का कारण बन सकता है एनीमिया और बी12 की कमी

 छोटी आंत में अधिक बैक्टीरिया का कारण बन सकता है एनीमिया और बी12 की कमी


 पीजीआई के प्रो. घोषाल ने एशिया के देशों लिए  बनाई गाइड लाइन में नए कारण और इलाज का बताया तरीका

 उम्र बढ़ने के साथ बढ़ सकती है सीबो की आशंका

 

एनीमिया और बी 12 विटामिन की कमी के कारण पेट की परेशानी हो सकती है। हीमोग्लोबिन एवं विटामिन बी 12 की कमी के कारण छोटी आंत में बैक्टीरिया अधिक संख्या में पैदा हो जाते है जिसे स्माल इंटेस्टाइन बैक्टीरिया ओवर ग्रोथ( सीबो) कहते है। इस नए कारण का पता संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के गैस्ट्रो एन्ट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो.यूसी घोषाल ने लगाया है। इस तथ्य को प्रो. घोषाल ने इंडियन न्यूरो गैस्ट्रोएंट्रॉलजी एंड मोटैलिटी एसोसिएशन( एशिया पेसिफिक रीजन) ने  एशिया के देशों के लिए  सीबो के इलाज और बीमारी को पता करने के लिए गाइडलाइन में शामिल किया है। सीबो अधिक उम्र के लोगों में अधिक होता है और स्वस्थ लोगों में कम होता है।  इस प्रस्ताव पर एशियन कंट्री के 84 फीसदी विशेषज्ञों ने सहमति जतायी। इसके कारण पर लंबी चर्चा हुई । प्रो. घोषाल के मुताबिक डायबटीज, कम सरीम एलब्यूनिन, पैक्रिएटाइटिस,सीलिएक डिजीज, आईबीएस, आटो इम्यून डिजीज, क्रॉनिक लिवर डिजीज सहित अन्य कारण है ।   एनीमिया और विटामिन बी 12 की कमी भी एक कारण है। इस नए तथ्य से एशिया के देशों के पेट रोग विशेषज्ञों का सीबो का कारण पता करने में सफलता कर इलाज में मदद मिलेगी। इलाज के लिए खास एंटीबायोटिक को भी हाइड लाइन में शामिल किया गया है। यह कई तरह से सुरक्षित और प्रभावी है।  इस खोज को इंडियन जर्नल आफ गैस्ट्रोइंट्रोलाजी ने भी  स्वीकार किया है।  


 

जीएचबीटी जांच से पकड़ में आती है परेशानी

  

प्रो. घोषाल के मुताबिक सीबो का पता करने के लिए आंत से द्रव लेकर उसका कल्चर जांच करना गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता रहा है लेकिन 30 फीसदी गट ( आंत) के पानी में उपस्थित बैक्टीरिया का कल्चर संभव नहीं होता है ऐसे में ग्लूकोज हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट(जीएचबीटी) और लैक्टूलोज हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट(एलएचबीटी) जिसमें किसी भी सूई की जरूरत नहीं होती है टेस्ट अधिक सफल माना जा रहा है। गाइड लाइन में बताया गया है कि  हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट अच्छा है। लैक्टूलोज हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट में गलत पॉजिटिव रिपोर्ट की आशंका अधिक है।     

 

आईबीएस और सीबो का बीच है रिश्ता

प्रो. घोषाल के मुताबिक देखा गया है कि आईबीएस( इरिटेबल बावेल सिंड्रोम और सीबी को बीच रिश्ता है। आईबीएस के 40 फीसदी मरीजों में ब्रेथ टेस्ट पॉजिटिव मिला है। 19 फीसदी में आंत के पानी के कल्चर में बैक्टीरियल ग्रोथ मिला है।

 

सीबो में यह होती है परेशानी

प्रो. घोषाल के मुताबिक सीबो की परेशानी के साथ विभाग में आने में कुल मरीजों में 50 से 60 फीसदी होते है। इस परेशानी में   छोटी आंत में बैक्टीरिया की संख्या अधिक हो जाता है।  पेट में गैस और मालीक्यूल बनते है। इसके कारण गैस बनने, पेट फूलने, बार मल द्वार से हवा निकलने, पाचन में कमी, भूख में कमी, पेट दर्द की परेशानी शुरुआती दौर में होती है। एडवांस स्टेज में शरीर के भार में कमी, विटामिन और मिनरल की कमी, एनीमिया, न्यूरोपैथी की परेशानी हो सकती है।  

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