रविवार, 16 अक्तूबर 2022

खोजा लिवर सिरोरिस की परेशानी कम करने का हल तो किसी ने बताया एसएलई में कैसे कम करें परेशानी 2022 दीक्षांत समारोह में मिला डा. रोहित, डा. रूद्रा, डा. पारिजात और डा. तंबोली को ऐवार्ड

 




प्रो.एसआर नायक आउट स्टैंडिंग रिसर्च इनवेंस्टीगेटर एवार्ड- डा. रोहित सिन्हा

ऑटोफैगी से संभव होगा डायबिटीज का इलाज

डायबिटीज , एक्यूट किडनी इंजरी, वायरल बीमारियों के इलाज का नया तरीका खोजने में कामयाबी हासिल किया है। इस तकनीक में आटोफैगी की प्रक्रिया तेज या बढा कर इन बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इस शोध से विश्व के वैज्ञानिकों को नई दवा खोजने का रास्ता साफ होगा। शरीर में फैगोसाइट्स होते है जो खराब कोशिकाओं को नष्ट करते है इसे ऑटोफैगी कहते है। रैट और माउस में दवा के जरिए आटोफैगी प्रक्रिया शुरू कर बीमारी पर प्रभाव देखा तो पता चला कि यह प्रक्रिया बढ़ने के साथ एक्यूट किडनी इंजरी कम हुई, शुगर का लेवल नियंत्रित हुआ। इस शोध को स्टेम सेल रिसर्च और मॉलिक्यूलर एंड मेटाबोलिज्म इंटरनेशनल जर्नल में स्थान मिला है।   

 

 

प्रो. आरके शर्मा बेस्ट डीएम स्टूडेंट एवार्ड- डा. रूद्रपन चटर्जी

एसएलई मरीजों में वैक्सीनेशन से काफी फायदा

 

सिस्टमिक ल्यूपस एथ्रोमेटस( एसएलई) एक आटो इम्यून डिजीज है । इसमें शरीर के कई अंग प्रभावित हो जाते है। इनमें कई तरह के संक्रमण की आशंका रहती जिसके कारण कई तरह की परेशानी होती है। बार-बार भर्ती होना पड़ता है। कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है। देखा कि इनमें यदि बीमारी का पता लगते ही न्यूमोकोकल वैक्सीन दिया जाए तो ब्रेन और फेफड़े से संक्रमण की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। हमने 1350 मरीजों का पहले चरण में शोध किया दूसरे चरण में अभी तक 40 मरीजों पर किया है। संस्थान का क्लीनिक इम्यूनोलॉजी विभाग इन बीमारियों के इलाज के लिए देश का बेस्ट सेंटर है। इस शोध को विश्व स्तर रखने की तैयारी है। इसके अलावा एग्जाम में  अधिक अंक, एवार्ड भी मिला है जिसके आधार पर यह सम्मान मिला है।

 

 

प्रो.एसएस अग्रवाल एक्सीलेंस इन रिसर्च एवार्ड- डा. पारिजात राम त्रिपाठी

 

कार्टीसोन का स्तर बढ़ा कर संभव होगा लिवर डिजीज की गंभीरता कम करना

 

लिवर सिरोसिस या गंभीर लीवर की दूसरी बीमारियों से ग्रस्त बच्चों 50 फीसदी से अधिक बच्चों में एड्रिन ग्रंथि की कार्य प्रणाली प्रभावित हो जाती है जिसके कारण इन बच्चों में बार-बार संक्रमण, भर्ती होने के साथ ही जीवन पर खतरा रहता है। एड्रिनल ग्रंथि कार्टीसोल सहित अन्य हार्मोन का स्राव करता है जो बीमारी से लड़ने में मदद करता है। संक्रमण को रोकता है। इस शोध के बाद आगे ऐसी दवा के खोज का रास्ता मिलेगा जो इन बच्चों के एड्रिनल ग्रंथि को प्रभावित होने से बचा सके। ऐसा संभव होने पर इन बच्चों की जिंदगी लंबी होने के साथ ही संक्रमण से बचाव संभव होगा। डा. पारिजात पूर्वांचल के पहले पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंटेरोलाजिस्ट है। बताया कि इस शोध को विश्व स्तरीय अमेरिकन मेडिकल जर्नल ने स्वीकार भी किया । 


बेस्ट एमसीएच स्टूडेंट एवार्ड डा. तंबोली जैन इकबाल

बिना सर्जरी संभव है मांसपेशियों को मजबूत करना

 

बोटॉक्स थेरेपी के जरिए हाइपर एक्टिव ब्लैडर की परेशानी दूर किया जा सकता है। हमने देखा कि पेशाब की रुकावट के मरीजों में एमआरआई, ईएमजी परीक्षण किया तो पता चला कि मूत्राशय की मांसपेशियां कमजोर हो गई है। मांसपेशियों में फैलने और सिकुड़ने की प्रक्रिया धीमा हो जाता है जिसके कारण पेशाब में रुकावट की परेशानी हो रही है। इन मामलों में हमने बोटॉक्स इंजेक्ट किया तो देखा कि मांसपेशियों में ताकत आ गई। बिना सर्जरी के इलाज संभव हो पाया।


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