रविवार, 27 नवंबर 2022

पीजीआई में पहली बार जी पोयम तकनीक से दुरुस्त की गई पाचन शक्ति

 पीजीआई में पहली बार जी पोयम तकनीक से दुरुस्त की गई पाचन शक्ति




पीजीआई में 'गैस्ट्रोपैरेसिस' रोग के उपचार पर कार्यशाला


संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा गैस्ट्रोपैरेसिस रोग की बिना आपरेशन चिकित्सा 'गैस्ट्रिक जी पोयम' (गैस्ट्रिक पर ऑरल एंडोस्कोपिक मायटॉमी) तकनीक से इलाज किया गया। इसके साथ ही यह तकनीक संस्थान में स्थापित हो गई।
विभाग ने इस तकनीक को स्थापित करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें इस तकनीक के विशेषज्ञ
  नागपुर डॉ सौरभ मुकेवार   शामिल हुए। 39 वर्ष
महिला
लगभग 2 साल से परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी जिसमें इस तकनीक से इलाज किया गया।

क्या है 

पीजीआई है गैस्ट्रोपैरेसिस

 गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो उदय घोषाल ने बताया कि 'गैस्ट्रोपैरेसिस' विकार में पाचन प्रक्रिया अत्यंत धीमी हो जाती है और भोजन पचने के बजाय पेट में ज्यादा समय तक रहता है ।ऐसा पेट की मांसपेशियों की गति धीमी या निष्क्रिय होने तथा पाचन तंत्र के वाल्व में विकार आ जाने से होता है।

क्या है जी पोयम प्रक्रिया

'जीपोयम' प्रक्रिया द्वारा बिना ऑपरेशन पाचन तंत्र में मुंह के रास्ते एंडोस्कोप (कैमरे के साथ एक संकीर्ण ट्यूब) डालकर चिकित्सा कर दी जाती है।

यह होती है परेशानी

संस्थान के पेट रोग विशेषज्ञ डॉ आकाश माथुर ने बताया कि
'गैस्ट्रोपैरेसिस' रोग (धीमी पाचन प्रक्रिया) में रोगी को
उल्टी आना, जी मिचलाना,पेट फूलना ,पेट में दर्द,पेट भरा हुआ महसूस होना, सीने में जलन, भूख में कमी आदि लक्षण आते हैं, जो पाचन तंत्र के अन्य सामान्य विकार या रोग जैसे हैं अतः इस विकार की पहचान मुश्किल हो जाती है।

डायबिटीज मरीजों में अधिक आशंका

 डायबिटीज के रोगियों में इस विकार के पाए जाने की संभावना अधिक होती है।
 निदेशक प्रो राधाकृष्ण धीमान के अनुसार पाचन संबंधित विकारों के लिए पीजीआई 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' (उत्कृष्टता का केंद्र) है। कार्यशाला का आयोजन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सहा. प्रोफेसर डॉ आकाश माथुर ने किया।

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