शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

अब कोरोना के गंभीर मरीज़ों की जिंदगी बचाएगी मोनो क्लोनल एंटीबाडी


अब कोरोना के गंभीर मरीज़ों की जिंदगी बचाएगी मोनो क्लोनल एंटीबाडी


इस दवा से कोरोना के कारण गंभीर निमोनिया में कम होती है मौत

लखनऊ में कोरोना के चार मरीज़ों के के लिए साबित हुई संजीवनी

कुमार संजय। लखनऊ

अब कोरोना के गंभीर मरीज़ों की जिंदगी बचाने में कारगर साबित होगी मोनो क्लोनल एंटी बाडी(टोसिलिज़ुमैब) । कोरोना के गंभीर मरीज़ों की जिंदगी बचाने के लिए कई दवाओं का इस्तेमाल विशेषज्ञ अपने स्तर पर कर रहे है । इसी क्रम में खास मोनोक्लोनल एंटी बाडी उन मरीज़ों में कारगर साबित हुई है जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण गंभीर निमोनिया की परेशानी थी। विशेषज्ञों ने देखा कि कोविद निमोनिया से ग्रस्त मरीजों में देखा गया कि   प्रचलित इलाज पाने वाले मरीज़ों के तुलना में एंटीबाडी पाने वाले मरीज़ों में मृत्यु दर में 13 फीसदी का अंतर था। देखा गया कि प्रचलित इलाज पाने वाले मरीज़ों में मृत्यु दर 20  फीसदी जबकि मोनो क्लोनल एंटीबाडी दिए जाने वाले मरीज़ों में मृत्यु दर सात फीसदी देखा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खास एंटीबाडी पाने वाले मरीज में इनवेसिव वेंटीलेटर की जरूरत भी कम हुई। इस लिए इस दवा का इस्तेमाल कोविद निमोनिया से ग्रस्त गंभीर मरीज़ों में किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खास मोनोक्लोनल एंटीबाडी के इस्तेमाल के लिए देश में अनुमति मिल गयी है।







भारत सरकार ने दे रखी है अनुमति



13 जून को भारत सरकार ने कोविद -19 के मरीजों के इलाज के  प्रोटोकॉल में शामिल करने की अनुमति दी है।  कहा गया है कि डॉक्टर कोविद -19 के साथ कुछ लोगों के लिए इस दवा को लिख सकते हैं। द लासेंट रूमैटोलाजी के शोध रिपोर्ट टोसिलिज़ुमैब इन पेशेंट विथ सीवियर कोविद -19 – ए रेट्रोस्पेक्टिव स्टडी के शोध का हवाले संजय गांधी पीजीआइ को पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रो.जिया हाशिम कहते है कि विशेषज्ञों ने कोविद निमोनिया के गंभीर 544 मरीजों पर शोध किया जिसमें 365 मरीज़ों को प्रचलित इलाज दिया गया और 179 मरीजों को मोनो क्लोनल एंटीबाडी दिया गया । बताया कि इस शोध के आधार पर हमने में कोरोना के कारण गंभीर निमोनिया के चार मरीज़ों में इस तकनीक से इलाज किया जिसमें सफलता मिली है।   











क्या करता है यह एंटीबाडी



कोविद-19 वायरस के संक्रमण होने के बाद शरीर में साइटोकाइन का स्तर तेजी से बढ जाता है जिसे साइटोकाइन तूफान उठता है। साइटोकाइन का यह तूफान शरीर के सामान्य कोशिकाओं की कार्य प्रणाली बिल्कुल गड़बडा जाती है। इसके कारण मरीज़ों को सांस लेने में गंभीर परेशानी होती है। कई बार ऑक्सीजन थेरेपी के बाद शरीर में संतृप्त ऑक्सीजन की मात्रा 94 फीसदी से कम रहती है।    शोध वैज्ञानिकों का कहना है कि टोसिलिज़ुमैब मोनोक्लोनल एंटीबाडी शऱीर में साइटोकाइन का तूफान रोकने में मदद गार साबित हो सकता है।



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