शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

चालिस साल पुरानी दवा करेगी कोरोना का काट



चालिस साल पुरानी दवा करेगी कोरोना का काट

बचा चुकी है पहले लाखों मनुष्यों और जानवरों का जीवन, डॉक्टरों को मिल रहे सकारात्मक परिणाम


कुमार संजय ’ लखनऊ
चालीस पहले(1981) खोजी गई दवा इवरमेक्टिन अब कोरोना संक्रमित मरीजों को बचाने में कारगर साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा को इस समय इलाज में इस्तेमाल की जा रही एजिथ्रोमाइसिन या क्लोरोक्वीन या अन्य दवाओं के साथ कॉम्बिनेशन में देने से काफी फायदा मिल सकता है। इवरमेक्टिन कई प्रकार के परजीवी संक्रमणों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवा मानी जाती रही है। देखा गया है कि यह एंटीवायरल, जीवाणुरोधी और एंटीकैंसर गतिविधियों में कारगर साबित हो सकती है। मनुष्यों में ऑन्कोकार्कोसिस के उन्मूलन कार्यक्रमों में एक प्रमुख दवा के रूप में इसका इस्तेमाल हुआ। इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल साइंस डायरेक्ट का कहना है कि इवरमेक्टिन कोरोना वायरस का अवरोधक है। कोरोना संक्रमित सेल में इस दवा का एक डोज 48 घंटे में वायरस में 5000-गुना कमी लाने में सक्षम है। यह एक एकल उपचार हो सकता है। इसी बात की पुष्टि एनल आफ क्लीनिकल माइक्रोबायलोजी एंड एंटी माइक्रोबियल ने भी की है। इवरमेक्टिन, ए न्यू कंडीडेट थिरेपियूटिक एगेंसट सार्स - कोविड-2, कोविद-19 विषय पर लिखा है कि इस दवा के इस्तेमाल पर और अधिक काम करने की जरूरत है। इसके नतीजे जरूर सकारात्मक हैं लेकिन इसके कॉम्बिनेशन मरीज की प्रकृति पर निर्भर है।

आरएनए वायरस पर कारगर रही है यह दवा
यह दवा रिबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) वायरस जैसे कि जीका वायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस , वेनेजुएला के एनीसेफेलाइटिस वायरस, वेस्ट नील वायरस के खिलाफ शक्तिशाली एंटीवायरल प्रभाव प्रदर्शित किए हैं। श्वसन सिंड्रोम वायरस, न्यूकैसल रोग वायरस, चिकनगुनिया वायरस , ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआइवी -1) , पीला बुखार वायरस, डेंगू वायरस में यह दवा कारगर साबित हुई। जिसके आधार पर इस दवा का कार्य क्षमता का आकलन कोरोना वायरस पर किया गया।

देश-विदेश के चार संस्थान के विज्ञानियों ने जताई उम्मीद
इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली, कालेज आफ वेटनरी साइंस मथुरा, यूनिवर्सटी आफ आटोनोमा डी लास कोलंबिया, सैमसुन लाइव हास्पिटल टर्की के डॉ. खान सारून, डा.कुलजीप डामा, डॉ. शैलेष कुमार पटेल , डॉ. ममता पाठक, डॉ.रुचि तिवारी, डॉ.भोज राज सिंह, डॉ.रंजीत शाह, डॉ. डी कैटरीन, डॉ.एलफोसोन, डॉ. हाकान को शोध पत्र एनल आफ क्लीनिकल माइक्रोबायलोजी एंड एंटी माइक्रोबियल ने स्वीकार करते हुए कहा है कि कोरोना के लिए नया विकल्प साबित हो सकता है।

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