एंटीवायरल रेमडेसिविर से कोरोना के इलाज की मंजूरी, खर्च
भी होगा आधा
दस दिन का होता था कोर्स, चार लाख रुपये की पड़ती थी डोज, अब पांच दिन में चल जाएगा काम
बड़ी राहत
- दुनिया के कई देशों में रेमेडिसवीर से गंभीर संक्रमितों का किया जा रहा है इलाज
- आइसीएमआर ने दी मंजूरी, पीजीआइ सहित देश के दूसरे अस्पतालों में लागू होगा प्रोटोकॉल
कुमार संजय, लखनऊ
कोरोना
संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज का अब आधे खर्च में संभव होगा। भारतीय चिकित्सा
अनुसंधान संस्थान(आईसीएमआर) ने रेमडेसिविर (
एंटीवारयल) दवा से इलाज की मंजूरी दे रखी है। यह दवा गंभीर मरीजों में पांच दिन
देने से ही काफी फायदा संभव है। पांच दिन के दवा के कोर्स से रेमडेसिविर से इलाज 40 से
50 फीसद सस्ता होगा। अभी तक यह कोर्स दस दिन का होता था, जिस पर चार लाख रुपये तक फुंक जाते थे। चिकित्सा विज्ञानियों ने
देखा है कि पांच दिन दवा का इस्तेमाल करने पर भी मरीज को
उतना ही लाभ संभव है, जितना दस दिन में मिलता है।
संजय
गांधी पीजीआइ के निश्चेतना (एनेस्थेसिया) विभाग में आइसीयू एक्पर्ट प्रोफेसर एसपी अंबेश ने रेमडेसिविर के पांच दिन के प्रोटोकाल पर कहते है कि वह इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थेसिया के जरिए नए प्रोटोकाल को लागू करने पर काम कर रहे है।
न्यू इंग्लैंड मेडिकल जर्नल के शोध का हवाला देते हुए प्रोफेसर अंबेश बताते है कि 397 मरीजों पर इस दवा का प्रभाव देखा गया है, जिसमें कई सेंटर शामिल रहे। शुरुआती नतीजे अपेक्षा के अनुरूप आए हैं। कोरोना संक्रमित के साथ अस्पताल में भर्ती उन मरीजों
को भी शोध में शामिल किया गया, जिनमें
निमोनिया का रेडियोलॉजिक जांच से प्रमाण और सेचुरेटेड ऑक्सीजन की मात्रा 94 फीसदी या उससे कम थी। 397 मरीजों में 200 को महज पांच दिन ही
रेमडेसिविर की डोज दी गई। बाकी मरीज़ों को 10 दिनों की अवधि के लिए रेमडेसिविर दिया गया।
देखा गया कि पांच और दस दिन दोनों में दिक्कत का अंतर महज 10
फीसद आया। यानी पांच दिन रेमडेसिविर लेने
वाले मरीजों में परेशानी कई प्वाइंट पर केवल 10
फीसदी अधिक रही, जो खास अंतर नहीं है। प्रो. अंबेश कहते है कि
पांच दिन की प्रोटोकॉल को लागू करने से इलाज के खर्च में काफी कमी आएगी ।
इस
स्थिति में रेमडेसिविर का इस्तेमाल
कोरोना
की चपेट में आने वाले ऐसे मरीज जिनकी पहले से दिल, किडनी, डायबटीज या इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं चल रही होती
है, उनमें संक्रमण तेजी से असर करता है। ऐसे
मरीज़ों में रेमडेसिविर की जरूरत पड़ सकती है। प्रोफेसर अंबेश कहते हैं, इस दवा का इस्तेमाल हम मरीज की स्थिति पर तय
करते हैं। उम्मीद है, नया शोध भारत के लिहाज से बेहद कारगर रहेगा।
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