सोमवार, 27 जुलाई 2020

75 वर्षीय गंभीर कोरोना संक्रमित को मौत के मुंह से खीच लाया पीजीआई

75 वर्षीय गंभीर कोरोना संक्रमित को मौत के मुंह से खीच लाया पीजीआई
कोरोना संक्रमण के कारण काम नहीं कर रहा था श्वसन तंत्र
11 दिन वेंटीलेटर पर चला जीवन से संघर्ष
रेमडेसिविर के साथ जनरल मैनेजमेंट साबित हुआ संजीवनी
जागरण संवाददाता। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआइ के पल्मोनरी मेडिसिन  विभाग के चिकित्सक एवं  कोरोना  आईसीयू वन के इंचार्ज प्रो. जिया हाशिम के क्लिनिकल प्लानिंग और मैनेजमेंट के जरिए 75 वर्षीय प्रेम प्रकाश को मौत के मुंह से खीच लाए। कोरोना के कारण गंभीर निमोनिया हो गया जिसके कारण श्वसन तंत्र प्रणाली काम करना बंद कर किया था । इस परेशानी को डाक्टरी भाषा में एक्यूट रिसपाइरेटरी ड्रिसट्रेस सिंड्रोम कहते है। कोरोना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करने के साथ इन्हे वेंटीलेटर पर रखा गया। पूरी आईसीयू टीम ने मैनेजमेंट संभाला। सामान्य दवाओं के साथ संक्रमण को रोकने के साथ शुगर पर नजर रखने के साथ उसे नियंत्रित किया गया। विशेषज्ञों का दवा है कि इतनी उम्र को यह दूसरा मरीज है जिसे वेंटीलेटर से सकुशल वापस लाया गया। प्रो. हाशिम कहते है कि इस मरीज की स्थिति को देखते हुए हमने एंटी वाय़रल रेमडेसिविर दवा के साथ विशेष क्लिनिकल मैनेजमेंट किया जिसका फायदा मरीज में हुआ।  स्थित सामान्य हो गयी। एक्स-रे भी सामान्य हो गया साथ कोरोना का रिपोर्ट भी निगेटिव आ गया। मरीज को इस हिदायत के साथ छुट्टी दी गयी कि वह इन्हें महीने भर आइसोलेसन में अलग कमरे में रखेंगे। प्रो. जिया का कहना है कि इतनी अधिक उम्र के मरीज जिसमें कोरोना के साथ एआरडीएस रहा हो वेंटीलेटर से वापस लाना बडी सफलता है। प्रेम प्रकाश 11 दिन वेंटीलेटर पर रहे। इस दौरान संक्रमण की काफी आशंका होती है जिससे बचाने के लिए ड्यूटी पर नर्सेज की अहम भूमिका रही।

आईसीयू में शुरू हुआ इलाज


9 जुलाई को यह पीजीआइ रिफर हो कर आए तो देखा कि स्थित अच्छी नहीं है। आक्सीजन लेवल कम है तुरंत इनकों को आईसीयू में लिया गया दो दिन बाद 11 जुलाई को वेंटीलेटर पर लेना पडा क्योंकि श्वसन तंत्र काम नहीं कर रहा था  21 जुलाई वेंटीलेटर से बाहर आ गए । रही बात इच्छा शक्ति की तो यह यहां जब आए तो सीधे आईसीयू में ही ले जाना पडा लेकिन वेंटीलेटर से बाहर आने के बाद उन्होंने आभार जताया । कोरोना पाजिटिव सुन कर घर वाले परेशान हो गए थे लेकिन सब कुछ ठीक रहा। 

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