बुधवार, 27 सितंबर 2017

4.8 फीसदी होती है लड़किया छेड छाड़ का शिकार

टीव टीजिंग के न करें नजंरदाज
मल्टी पर्सनालटी डिसआर्डर के शिकार करते है हरकत
4.8 फीसदी होती है लड़किया छेड छाड़ का शिकार
सिरफिरों को लगता है अपनी बात मनवाने में होंगे कामयाब
 कुमार संजय। लखनऊ





हर जगह सिरफिरे आशिक एक जैसे होते है  बस जगह और इनसान का नाम बदल जाता है। अगर इन्हें कोई लड़की पसंद आई तो ये उसका पीछा करना शुरू कर देते हैं। अपनी बात रख भी दी तो रिजेक्शन की वजह से उससे रंजिश पाल लेते हैं। इसका अंजाम लड़की और उसके घरवालों को भुगतना पड़ता है । कोई स्टडी तो नहीं है लेकिन विशेषज्ञ कहते है कि  राजधानी में हर रोज आठ से दस मामले समाने आते है जिसमें एक दो केस रिपोर्ट होते हैं।
प्रदेश में जो केस पुलिस में रिपोर्ट होती है उसके मुताबिक 4.8 फीसदी लडकियां छेडछाड़ का शिकार होती है। विशेषज्ञ कहते है कि  आपका पीछा करने वाले सिरफिरे परेशानी का सबब बनेंआप कुछ सावधानी बरतकर खुद को सेफ कर सकती है। मेडिकल विवि के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा.एसके कार कहते है कि तमाम मामलों में छेडखानी  करने वाले लोग किसी तरह की मानसिक बीमारी का शिकार नहीं होते लेकिन कुछ केस में लोग पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं। इसके अलावा अपने को मर्द साबित करने, दोस्तों के संगत, एंटी सोशल मेंटिलिटी सहित कई कारण है जिसके कारण यह ऐसी हरकत करते हैं। इन्हें लगता  सामने वाले शख्स को अपनी बात मनवाने में कामयाब हो जाएंगे। इसके लिए बड़ा खतरा तक उठाने के लिए तैयार हो जाते हैं।  
इनसे रहें सजग 

-
जो लोग कभी किसी के साथ करीबी रिलेशनशिप में होते हैं और बाद में रिश्ते बिगड़ने की वजह से अलग हो जाते हैं। इनके का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।

- कैजुअल फ्रेंड्स भी सिरफिरे आशिक बन जाते है। कई बार यह पड़ोस में रहने वाले भी होते हैंजिसकी वजह से लोगों को घर तक बदलना पड़ता है।
-
पने साथियों के साथ प्रफेशनल रिलेशन है। स्टूडेंट्सपेशंट्सक्लाइंट्स या टीचर्स का सबसे ज्यादा पीछा किया जाता है।
- यह कब  और कैसे कोई उनका पीछा कर रहा है इनका पता नहीं लगता। 




ऐसे इन्हें  पहचानें
ज्यादातर इस गलतफहमी में जीते हैं कि सामने वाला शख्स उनसे प्यार करता है पर वह उसे जाहिर नहीं कर पा रहा। इसी के चलते वे ग्रीटिंग और दूसरे गिफ्ट्स भेजते हैं।
स्कूलकॉलेज और ऑफिस जैसी जगहों पर ये आपका पीछा करते हैं। ये हर उस जगह आपको नजर आ जाएंगेजहां आप रोज तय समय पर जाते हैं।
अननोन नंबर या आईडी से मेसेज या ई-मेल करने वाले।
सोशल मीडिया पर आपके बारे में अफवाह फैलाने वाले या ज्यादा करीबी बनने वाले।
किसी अनजान शख्स का आपके दोस्तों से लेकर पड़ोसीसाथीकर्मचारी और दूसरे जानने वालों से आपके बारे में जानकारी हासिल करना।

ऐसे निपटें
अगर कोई आपका पीछा कर रहा है या फिर फोनकर रहा है तो उसे क्लियर मेसेज दें कि आपको उसमें इंट्रेस्ट नहीं। इस दौरान चिल्लाने और ज्यादा पोलाइट होने की जरूरत नहीं।
कभी भी इनसे अकेले न मिलें।
अगर आपके साथ कोई अजीब घटना हो या ऐसा मेल आए तो उसकी पूरी डिटेल संभालकर रखें। बाद में इन्हें आप आरोप साबित करने के लिए एविडेंस की तरह यूज कर सकते हैं।

अगर कोई थ्रेट कॉल आए तो बच्चों की सिक्योरिटी का खास ख्याल रखें क्योंकि बच्चे आसान टारगेट होते हैं। आपस में कोड डिवेलप करेंताकि कोई भी यह कहकर न ले जाए कि पैरंट्स बुला रहे हैं।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित करें। फोटोज या दूसरी एक्टिविटीज ओपन न रखें।
इस तरह की घटना को पुलिस और पैरंट्स से शेयर करें। पैंरट्स भी अपनी लड़की को डांटने के बजाए उसे सपोर्ट करें।


इमोशनली भी करते हैं कमजोर

राधिका कहती है कि उसके वाल पर गंदी  फोटोज पोस्ट की गई थींजिससे वह इस कदर परेशान हो गई वह मानसिक रोगी हो गयी। पढाई में कमजोर हो गयी। दरअसल एक साथी हमारी वाल पर नजर रख रहा था। कुछ वक्त पहले उसने शादी का प्रस्ताव रखा थाजिसे उसने मना कर दिया था। इसका बदला लेने के लिए उसने छात्रा को मेंटली परेशान करना शुरू किया। सायकायट्रिस्ट के मुताबिकइस तरह के लोग न सिर्फ फिजिकली बल्कि इमोशनली भी कमजोर कर देते हैं। इसमें पीड़ित पोस्ट ट्रामैटिक डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है। इसमें नींद न आनाबेचैनी और घबराहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। 



शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

पीजीआइ ने खोजा तंत्रिका तंत्र की परेशानी का नया कारण

पीजीआइ ने खोजा तंत्रिका तंत्र की परेशानी का नया कारण
बी12 की कमी से तंत्रिका तंत्र की परेशानी संभव

डा.संदीप कुमार सिंह के शोध को मिली विश्व स्तर मान्यता
हजारों मरीजों को मिलेगी राहत

कुमार संजय। लखनऊ





तंत्रिका तंत्र ( रीढ़ और दिमाग) की परेशानी के नए कारण का पता लगाने में कामयाबी संजय गांधी पीजीआइ ने हासिल की है। हाथ-पैर में कमजोरी, कंपन,सुन्नता , भूलने की परेशानी, थकान, बोन मैरो की अधिक क्रियाशीलता की परेशानी के कई कारण है लेकिन विटामिन बी 12 की कमी के कारण भी यह परेशानी हो सकती है। संस्थान के न्यूरोलाजी विभाग के शोध वैज्ञानिक डा. संदीप कुमार  सिंह ने सौ से अधिक इस परेशानी के मरीजों पर  शोध के बाद यह साबित किया है। इस शोध के लिए इन्हें दीक्षांत समारोह में डाक्ट्रेट की डिग्री हासिल हुई है। डा. संदीप के विटामिन बी 12 की कमी के कारण एनीमिया की परेशानी होती है यह तो पता था लेकिन इसके कारण तंत्रिका तंत्र की परेशानी होती है यह नई बात शोध में सामने अायी है। इस नए तथ्य को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। देखा कि बी 12 की कमी के कारण स्पाइन कार्ड और दिमाग के अावरण मेनिनजिस का क्षरण होने लगता है जिसके कारण तंत्रिका तंत्र की कई परेशानी होती है। इस बात को साबित करने के लिए सौ से अधिक बी 12 की कमी के साथ तंत्रिका तंत्र की परेशानी वाले मरीजों के रक्त का नमूना  लेकर ग्लूटलडिहाइड. लिपिड पराक्सीडेज और टोटल अाक्सीडेंट कैपसिटी मार्कर का स्तर देखा जिसमें देखा कि ग्लूटलडिहाइड का स्तर बढ़ा था बाकी दोनो का स्तर कम था। साथ इन मरीजों का एमअारई भी हुअा जिसमें मेनिनिजिस का क्षरण मिला। इन मरीजों को बी 12 दिया गया तो इनमें बायो मार्कर के स्तर में बदलाव के साथ तंत्रिका तंत्र के परेशानी में कमी अायी। यह शोध विभाग के प्रो.यूके मिश्रा अौर प्रो. जयंती कलिता के निर्देशन में पूरा किया। डा.संदीप ने बताया कि पीएचडी  के बाद फिल हाल हम अाईसीएमअार के शोध योजना में बी 12 की कमी के कारण ग्लूटामेट और इसके रिस्पेटर में बदलाव देख रहे हैं। फैजाबाद जिले के मूल निवासी डा.संदीप सफलता का श्रेय पिता देवेंद्र सिंह और माता निर्मला सिंह  को देते हैं।  

20से 25 तक ही लिए शरीर में स्टोर रहता बी 12
डा.संदीप ने बताया कि शरीर में 20  से 25 साल तक उम्र के लिए ही बी 12 स्टोर रहता है इसके बाद इसमें कमी अाने लगती है खास तौर पर शाकाहारी भोजन पर रहने वाले लोगों में। शरीर को रोज पांच माइक्रोग्राम बी 12 की जरूरत रहती है। इस लिए 30 की उम्र के बाद रक्त में बी 12 के स्तर की जांच करा कर साधारण और सस्ते सप्लीमेंट लेकर इसकी कमी के परेशानी से बचा जा सकता है। 
Attachments area


गुरुवार, 21 सितंबर 2017

यह बस्ती जिले के फकीर समाजवादी राजमणि पाण्डेय



बस्ती जिले के फकीर समाजवादी नेता बाबा राजमणि पाण्डेय ने पूरा जीवन समाजवाद में लगा दिया। कर्म और चरित्र से समाजवादी इस नेता के पास कुछ नहीं है तो कर्ज । जनेश्वर मिश्र , लोहिया , राजनरायन और मुलायम के साथ संघर्ष करने वाले इस नेता को पार्टी ने भी कोई खास सम्मान नहीं दिया लेकिन इन्हें कोई गिला नहीं है।...

जपानी इंसेफेलाइिटस से निपटने के लिए बनाया नैनो मेडिसिन

जेई के प्रभाव को कम करना होगा संभव 

नैनो मेडिसिन खुद बनायी अौर रहा सफल


कुमार संजय। लखनऊ
 
बायोलाजिकल नैनो मेडिसिन (एसअाईअारएनए) को यदि समय रहते मरीज के रक्त में सीधे डाल दिया जाए तो यह सीधे दिमाग में जाकर जेई से दिमाग में होने कुप्रभाव की तीव्रता को कम करता है। इस खोज को अंजाम दिया है संजय गांधी के शोध छात्र डा. धर्मवीर सिंह । इस शोध को लिए इन्हें शनिवार को डाक्ट्रेट की डिग्री प्रदान की गयी। डा. धर्मवीर ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइिटस के कारण दिमाग के बाहरी अावरण मेनेनजाइना में सूजन अा जाता है जिसके कारण बुखार के साथ कई तरह की परेशानी होती है। कई बार दिमाग में अदिक दबाव पडने पर शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते है। जेई के कुप्रभाव को कम करने के लिए एनीमल माडल पर हमने शोध वैज्ञानिक प्रो.टीएन ढोल के निर्देशन में शोध किया। एनीमल माडल को पहले जेई वायरस से संक्रमित किया । संक्रमित करने के बाद इनमें जेई का लक्षण तीन दिन बाद से दिखने लगा। इसी के साथ कुछ वर्ग के माडल में मैने बायोलाजिकल नैनो मेडिसिन सीधे इंट्रावेनश इंजेक्ट किया तो देखा कि जिनमें यह दवा दी गयी थी उनमें जेई के लक्षण की तीव्रता कम थी अौर वह बच गए लेकिन जिनमें यह दवा दी नही दी गयी उनमें लक्षण अधिक तीव्र थे अौर जीवित नहीं रह सके।  हमने खुद ही यह दवा तैयार की है । इस दवा की उपयगोति के लिए अागे और परीक्षण की जरूरत है। 


शोध के साथ स्वाइन फ्लू मरीजों के लिए नहीं देखा दिन अौर रात

डा. धर्मवीर ने केवल खुद के शोध पर ध्यान नहीं दिया बल्कि प्रदेश में जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप हुअा तो इन्होंने शोध के साथ मरीजों के नमूनों की जांच के लिए सुबह सात बजे रात दो बजे तक कई चरणों में जांच किया जिसकी रिपोर्ट मरीजों को अगले दिन या उसी दिन दिया । बताया कि 2015  में जांच की सुविधा केवल पीजीआइ में थी जब रोज 150 से 200  मरीजों की जांच करते थे । विभाग के मैन पावर नहीं था इसलिए टेक्नोलाजिस्ट वीके मिश्रा के साथ मिल कर जांच को अंजाम दिया। डा.धर्मवीर कहते है कि केवल अपने काम पर केवल फोकस नहीं करना चाहिए जन कल्याण के लिए भी काम करना चाहिए। बस्ती जिले के रहने वाले डा.धर्मवीर की योजना अभी फिलहाल जेई पर भारत में रह कर शोध करना है । पिता हरिशंकर  सिंह छोटी नौकरी करते है अौर मां गृहणि है उनकी त्याग अौर तपस्या से हमने यह मुकाम हासिल किया है। 

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

पीजीआइ कैसे रहेगा अागे प्लानिंग पर हो रहा है काम- प्रो.राकेश कपूर

पीजीआइ का दीक्षांत समारोह अाज

पीजीआइ कैसे रहेगा अागे प्लानिंग पर हो रहा है काम- प्रो.राकेश कपूर

140 बेड के विस्तार के साथ रोबोटिक सर्जरी जल्दी शुरू करने की तैयारी

मुख्यमंत्री होंगे मुख्य अतिथि

जागरण संवाददाता। लखनऊ

संजय गांधी पीजीआइ कैसे अाने वाले दिनों में चिकित्सा जगत में अागे रहेगा अौर मरीजों को सविधा देगा इसी प्लानिंग पर काम कर रहा हूं जिसमें पुरनी अोपीडी में 140  बेड का विस्तार, इमरजेंसी सेवा में विस्तार के साथ ही जांच की सुविधा बढाने के लिए माइक्रोबायलोजी. ट्रांसफ्यूजन मेड़िसिन डायग्नोस्टिक व्लाक शुरूकरना प्राथमिकता है। संस्थान के 22 वें स्थापना दिनस के मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कहा  कि  न्यू अोपीडी ब्लाक शुरू कराया जिससे मरीजों और तीमरादारों को राहत मिली है। इसके साथ ही स्वाइन फ्लू वार्ड 15 दिन में शुरू करने जा रहे है। प्रो .कपूर ने बताया कि पुरानी लाइब्रेरी की जगह खाली होने के बाद वहां पर तीन अोटी बनाएंगे जिसमें रोबोटिक सर्जरी शुरू करेंगे। निेदेशक ने कहा कि निदेशक की जिम्मेदारी है कि वह संस्थान कैसे अागे बढेगा अौर अागे रहेगा इसकी प्लानिंग कर योजना पर काम करना है। इसी उद्देश्य को लेकर काम कर रहे हैं। इमरजेंसी विस्तार के लिए 473 करोड का प्रस्ताव सरकार ने पास कर दिया है जिसमें ब्रेन स्ट्रोक, पेट में रक्त स्राव जैसे तमाम परेशानियों का तुरंत इलाज संभव होगा। 

प्रो.सुशील गुप्ता राज्यपाल बन दी डिग्री 
 संस्थान के दीक्षांत समारोह का रिहर्सल शुक्रवार को हुअा । संस्थान के इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो.सुशील गुप्ता ने राज्यपाल की भमिका निभा कर छात्रों को डिग्री प्रादन की। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि  मुख्यमंत्री अादित्य नाथ योगी होंगे। संस्थान के कुलाध्यक्ष एवं  राज्यपाल श्री राम नाइक होंगे। समारोह में डीएम, एमसीएच , एमडी को डिग्री राज्यपाल प्रदान करेंगे। पीडीसीसी छात्रों को बाद में डिग्री प्रदान की जाएगी। ड्रेस कोड में अंग वस्त्र होगा। प्रो.कपूर ने बताया कि प्रो.एसअार नायक अाउट स्टैडिंग रिसर्च एवार्ड ,    प्रो.अारके शर्मा बेस्ट डीएम , एमसीएच एवार्ड दिया जाएगा। विभागों से नाम मांगे गए है जिस पर कमेटी निर्णय लेगी। संस्थान के अध्यक्ष एवं मुख्य सचिव राजीव कुमार भी विशेष रूप से उपस्थित रहेगे। 



इन लोगों ने दी  पीजीआई को शैक्षणिक गति
संस्थान की शैक्षिणक गतिविधियों के विस्तार के लिए डीन की भूमिका अहम होती है । संस्थान यह लोग डीन रहे है तो संस्थान में तमाम शैक्षणिक अायाम स्थापित किए   

प्रो. एसएस अग्रवाल- 1986 -1990
प्रो. एसअार नाइक- 1990 से 1991
प्रो.बीके दास- 1991 -1993
प्रो.महेंद्र भंडारी- 1993-1995
प्रो.पीके घोष- 1995- 1996
प्रो.अारबी गुजराल-1996 से 1998
प्रो.डीके छाबडा- 1998-2000
प्रो.एस अय्यागिरी- 2000-2002
प्रो.अार के गुप्ता- 2002-2004
प्रो.ए अय्यागिरी- 2004-2006
प्रो.अारके शर्मा- 2006-2008
प्रो.सीता नाइक- 2008 से 2009
प्रो.यूके मिश्रा- 2009 -2012
प्रो.अारएन मिश्रा- 2012 से 2015 

प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में होगा हीमोबिजलेंस

प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में होगा होमोबिजलेंस

रक्त दान से लकर रक्त चढाने के बाद कम होगी परेशानी

रक्त भी है दवा

जागरणसंवाददााता। लखनऊ


रक्तदान से लेकर रक्च चढाने के बाद तक रक्तदाता अौर मरीज में परेशानी की अाशंका  रहती है। इस अाशंका को कम करने के लिए भारत सरकार ने हीमो बिजलेंस कार्यक्रम शुरू किया है। संजय गांधी पीजीआइ के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रो. राजेश हर्ष वर्धन को उत्तर प्रदेश अौर उत्तराखंड के लिए नेशनल हीमो विजलेंस एडवाइजरी कमेटी का सदस्य बनाया गया है। शुक्रवार को हीमो बिजलेंस पर सीएमई का अायोजन किया गया जिसमें बताया कि प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में इसे लागू करने की योजना पर काम हो रहा है। प्रो. हर्ष वर्धन एवं नेशनल इंस्टीट्यूट अाफ  बायोलाजिक्स की डा. रेबा छाबडा ने बताया कि खून चढ़ाने के दौरान दो से पांच  फीसदी लोगों में खून के कारण परेशानी खड़ी हो जाती है। इस परेशानी से मरीजों को बचाया जा सकता है। यह वह अांकड़ा जिसकी रिपोर्टिंग होती है विशेषज्ञों का अनुमान है कि खून चढ़ाने के कारण होने वाले एडवर्स रिएक्शन की दर कहीं अधिक है। विशेषज्ञों ने कहा कि सभी ब्लड बैंक रिएक्शन फार्म खबन के साथ भेजे अौर डाक्टर उस रिएक्शन फार्म को वापस ब्लड बैंक वापस करें लेकिन एेसा कई ब्लड बैंक नहीं करते हैं अौर न डाक्टर करते हैं। खून को दवाअों के श्रेणी में रखा गया है। खून के कंपोनेंट प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, अारबीसी अलग -अलग कर चढ़ाया जाता है। सबको मिला कर 2.5 से 4 फीसदी लोगों में एडवर्स रिएक्शन होता है।    नेशनल इंस्टीट्यूट अाफ बायोलाजिक्स ने इस दौरान होने वाले रिएक्शन को रोकने के लिए लगातार अभियान चला रहा है।    रिएक्शन का पता लगाने के लिए विशेष रिपोर्टिंग फार्म तैयार किया गया है जिसमें मरीज की सभी सूचनाएं देनी होती है ।  संस्थान के विशेषज्ञों के कहना है कि हम लोग  पहले से एडवर्स रिएक्शन फार्म तैयार किए हुए है जिसे विभागों के पास भेजा जाता है। 

देश भर में है 2760 ब्लड बैंक को लाइसेंस

देश भर में 2760 ब्लड  बैंक को लाइसेंस दिया गया है। इस हीमो विजलेंस प्रोग्राम में इन सभी ब्लड बैंकों को शामिल किया गया है। यह लाइसेंस स्टेट ड्रग कंट्रोलर जारी करता है जिसमें सभी मानक पूरे होते हैं। तमाम निर्देश के बाद  भी कई ब्लड बैंक जानकारी नहीं देते हैं। ब्लड चढने के बाद लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं।  इस लिए खून लेने वाले विभाग के डाक्टर को चाहिए कि ट्रांसफ्यूजन के बाद फार्म भर कर वापस विभाग को भेजे।

पीजीआइ कर्मचारियों को मिलेगा सतवां वेतन अायोग

पीजीआइ कर्मचारियों को मिलेगा सतवां वेतन अायोग 

शासन ने जारी किया शासनादेश अब मेडिकल विवि को भी इंतजार
जागरणसंवाददाता। लखनऊ


पीजीआई में सतवें वेतनमान की लम्बे समय से मांग कर रहे कर्मचारी नेताओं के लिए गुरुवार का दिन अच्छा रहा। शासन ने शुक्रवार को  सतवें वेतनमान का शासनादेश जारी कर दिया। यूपी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑल इम्प्लाईज फेडरेशन (यूपीपीजीएमआईईएफ) ने खुशी जतायी है। फेडरेशन व कर्मचारी महासंघ पीजीआई की अध्यक्ष सावित्री सिंह, महामंत्री दिलीप गंगवार और वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित शर्मा ने उम्मीद जतायी कि पीजीआई के बाद अब सरकार जल्द ही डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज, केजीएमयू व यूपी युनिवर्सिटी आफ मेडिकल सांइसेंज सैफई का भी शासनादेश जारी करेगी। पीजीआइ कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष  धर्मेश कुमार और कर्मचारी महासंघ पीजीआइ की अध्यक्ष सावित्री सिंह, महामंत्री एसपी यादव, अजय कुमार सिंह, एसपी राय, संयोजक मदन मुरारी , पदाधिकारी वीके त्रिपाठी, विजय बहादुर, बीरू यादव , अफसर बेग, अशोक कुमार सिंह,  डा. सुनन्दा, कौशलेंद्र चौरसिया, केके तिवारी  ने कहा कि  ने कहा कि हम लोग काफी दिनो से इसकी मांग कर रहे थे। क्रमिक अनशन भी किए । सरकार ने हम लोगों की परेशाऩी को समझ कर हमारे हित मे फैसला लिया जिसके लिए हम अाभारी है। कर्मचारी नेताअों ने निदेशक प्रो.राकेश कपूर अौर अपर निदेशक जयंत नरलीकर ने प्रति अाभार प्रकट किया। 

बुधवार, 13 सितंबर 2017

30 रूपए के पेट्रोल को 70 में बेच रही है सरकार

21.5 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर है मौजूदा एक्साइज ड्यूटी, वैट वसूली 27 फीसदी 
कच्चे तेल के दाम गिरे, फिर बढ़ोतरी क्यों
पेट्रोल और डीजल के दामों में तेजी सरकार की टैक्स पॉलिसी का परिणाम है। पेट्रोल पर अभी 21.5 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगाया जा रहा है, जबकि अक्टूबर 2014 में एक्साइज 9.6 रुपये प्रति लीटर था। फिलहाल पेट्रोल पर 27 फीसदी की दर से वैट वसूला जा रहा है, जबकि अक्टूबर 2014 में वैट की दर 12.7 फीसदी थी। अभी पेट्रोल पर डीलर को 3.24 रुपये प्रति लीटर का कमिशन दिया जा रहा है, जबकि अक्टूबर 2014 में कमिशन 1.79 रुपये प्रति लीटर था।

रोज दाम बदलने से किसे फायदा

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के बाद पेट्रोलियम मंत्री ने भले ही इसके लिए तेल कंपनियों को जिम्मेदार ठहरा दिया हो लेकिन अब इस पर सवाल उठ रहा है कि जब कच्चे तेल के दाम गिरे हैं तो फिर भी बढ़ोतरी क्यों की गई है। दरअसल सरकार ने 16 जून से डायनमिक फ्यूल प्राइस का फॉर्म्युला अपनाया था, जिसमें डेली बेसिस पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों की समीक्षा हो रही है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें इंटरनैशनल मार्केट पर निर्भर है। कच्चे तेल के दाम गिरते हैं तो यहां भी पेट्रोल और डीजल के कम होते हैं, मगर अब नजारा कुछ अलग लग रहा है। कमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट एस. वेंकेटेश का कहना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें मुख्य तौर पर क्रूड ऑयल और रुपये पर निर्भर हैं, मगर पिछले 6 महीने में क्रूड में 1.36 फीसदी की गिरावट रही है। वहीं रुपया पिछले 6 महीने में रुपया 2.94 फीसदी मजबूत हुआ है। ऐसे में अहम सवाल है कि फिर क्यों यह मूल्यवृद्धि।

यह कैसा खेल

अक्टूबर 2014 में कच्चे तेल के दाम इंटरनैशनल मार्केट में 108 डालर प्रति बैरल था। तब दिल्ली में पेट्रोल के दाम 76.10 रुपये था। अब जबकि कच्चे तेल के दाम 54 डालर प्रति बैरल है, दिल्ली में पेट्रोल के दाम 70.38 रुपये प्रति लीटर है। दिल्ली में डीजल की मौजूदा कीमत 58.6 रुपये प्रति लीटर है, जबकि अक्टूबर 2014 में दाम 59 रुपये प्रति लीटर था।

सोमवार, 11 सितंबर 2017

बचपन में ही ग्यारह फीसदी ब्लड प्रेशर के शिकार

बचपन में ही तैयार हो रही है  जवानी बरबाद करने की फसल

बचपन में ही ग्यारह फीसदी  ब्लड प्रेशर के शिकार

12 फीसदी ब्लड प्रेशर के मुंहाने पर 

 1041 बच्चों में हुअा शोध



कुमार संजय । लखनऊ
बचपन कहे या जवानी की दहलीज पर कदम रखने के पहले ही 24.2 में ब्लड प्रेशर की परेशानी है। इस सच का खुलासा राजधानी के 1041 बच्चों में शोध के बाद विशेषज्ञों ने किया है। विशेषज्ञों ने 13 से 18 अायुवर्ग के बच्चों में रक्त दाब देखा जो पता चला कि 11.8 फीसदी बच्चे  ब्लड प्रेशर के शिकार है। 12.4 फीसदी ब्लड प्रेशर के मुहाने पर खडे थे जिसे प्री हाइपर टेंशन कहा जाता है। इसके पीछे  कारण देखा तो पता चला कि जंक फूड, कम सब्जी और फल का सेवन, शारीरिक गतिविधियों में कमी , अधिक समय टीबी पर देने के कारण के कारण मोटापे बडा कारण है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड  प्रेशर के शिकार अौर मुहाने पर खडे बच्चों में मोटापा बडा कारण है । मोटापा का सबसे बडा कारण लाइफ स्टाइल है। शारीरिक गतिविधि बढाने के साथ अधिक सब्जी अौर फल का सेवन कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है। जंक फूड ( रेडीमेड) फूड खाने से बचाने की जरूरत है जिसमें माता-पिता की अहम  भूमिका है। शोध में चेतीनाद एकडमी अाफ रिसर्च एंड एजूकेशन चेन्न्ई के डा.सीनथामिज, मेडिकल विवि लखनऊ के कम्युनिटि मेडिसिन विभाग के डा. जमाल मसूद अौर डा. अरविंद कुमार श्रीवास्तव एवं एसजीपीजीआइ के बायो स्टेटिक विभाग के डा. प्रभाकर मिश्रा के इस शोध इंडियन जर्नल अाफ कम्युनिटि मेडिसिन ने स्वीकार किया है। 

हाई ब्लड प्रेशर बना सकता है दिमाग और दिल के लिए खतरनाक

संजय गांधी पीजीआई के हृ्दय रोग विशेषज्ञ प्रो.सुदीप कुमार कहते है कि ब्लड प्रेशर सामान्य से अधिक लंबे समय तक रहने पर ब्रेन स्ट्रोक के 54 फीसदी, हार्ट डिजीज के 47 फीसदी लोग शिकार होते है। 46.5 फीसदी में असमय मौत का कारण हाई ब्लड प्रेशर होता है। कहा कि लंबे समय तक रक्त दाब बढे होने पर किडनी भी खराब हो सकती है। बचपन में ब्लड प्रेशर का बढना मतलब जवानी को तबाह करना है।