बुधवार, 10 जनवरी 2024

पीजीआई ने खोजा लिवर फेल्योर मरीजों के पेट में पानी भरने का कारण-आंत का सूजन कम कर दिलाएंगे लिवर खराबी के मरीजों को राहत

 पीजीआई ने खोजा लिवर फेल्योर मरीजों के पेट में पानी भरने का कारण




 आंत का सूजन कम कर दिलाएंगे  लिवर खराबी के मरीजों को राहत

लैक्टोज एवं मैनीटॉल अनुपात बताएगा  कितनी गंभीर होती परेशानी


संजय गांधी पीजीआई के चिकित्सा विज्ञानियों ने लिवर फेल्योर के मरीजों गंभीरता के कम करने का रास्ता खोज लिया है। विज्ञानियों ने पता लगा लिया है कि लिवर फेल्योर की दशा में पेट में पानी भर जाता है जिसे डॉक्टरी भाषा में एसाइटिस कहते है। पेट में पानी भरने के पीछे आंत जिम्मेदार है । आंत में सूजन जा जाता है जिसके कारण आंत की पारगम्यता बढ़ जाती है जिससे आंत के बैक्टीरिया रक्त प्रवाह में चले जाते है । इसके कारण संक्रमण होता है। रक्त प्रवाह की नसे चौडी हो जाती है जिसके कारण पेट में पानी भरता है। बीमारी गंभीर हो जाती है।  विज्ञानियों ने लीवर खराबी के दो सौ मरीजों  के रक्त एवं मूत्र का नमूना लेकर एनएमआर( न्यूक्लियर मैग्नेटिक) एवं एलाइजा परीक्षण किया। मूत्र में लैक्टोज एवं मैनीटॉल का अनुपात देखा जो बढ़ा हुआ मिला । इससे आंत की पारगम्यता बढ़ जाती है। एलाइजा परीक्षण कर देखा पाया कि रक्त में साइटोकाइन ( एक तरह के खास रसायन) टीएनएफ अल्फा, आईएफएन गामा , आईएल-6 सहित कई बढे हुए मिले इससे साबित होता है कि बैक्टीरिया आंत से रक्त प्रवाह में जा कर संक्रमण करते हैं। शोध विज्ञानियों का कहना है कि इस शोध से स्पष्ट हो गया कि लिवर की परेशानी को कम करने के लिए आंत पर फोकस करना होगा। इसके लिए आंत का सूजन करने की जरूरत है। इसके लिए भी हम लोगों ने एक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल विकसित किया जिसके जरिए सौ से अधिक मरीजों को राहत मिल चुका है। इस ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से उन मरीजों को फायदा होता है जो लिवर प्रत्यारोपण करना की स्थिति में नहीं है। लिवर फेल्योर के बाद भी जिंदगी बिना परेशानी के कुछ समय के लिए बढ़ जाती है।

इन विज्ञानियों ने किया शोध

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. गौरव पाण्डेय, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल, सेंटर फार बायोमेडिकल रिसर्च के डा. दिनेश कुमार, गैस्ट्रोएनटोलजी विभाग के डा. दीपक बंसल, बीबीएयू के डा. अतुल रावत, सीबीएमआर के डा. दुर्गेश दुबे, सीबीएमआर के डा. अनुपम गुलेरिया के शोध को इंटरनेशन जर्नल  मैग्नेटिक रेजोनेंस इन केमिस्ट्री ने स्वीकार किया है। 

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