जान की बाजी लगा कर बचाया 25 से अधिक लोगों जीवन
कई को देना पड़ा ऑक्सीजन सपोर्ट
एक गर्भवती डाक्टर ने दिखाया जज्बा
संजय गांधी स्नातकोत्तर पीजीआई के इंडो सर्जरी ओटी में आग लगने के समय आईसीयू और ओटी में 25 से अधिक मरीज थे । धुआं भरने के कारण इनके जीवन पर खतरा था इन्हे निकालने के लिए संस्थान के कर्मचारी अधिकारी अपने जान की परवाह न करते हुए इऩ्हें सुरक्षित निकालने में लगे रहे। कार्डियक ओटी में मे आपरेशन कर प्रोफेसर शान्तनु पाण्डे, एन्डोसर्जरी ओ टी में प्रो ज्ञान चंद, प्रो, सब्बा रत्मन , एनेस्थीसिया की डाक्टर चेतना शमशेरी, डा० संदीप साहू डा० संजय कुमार, डा० अंकुश, डा० तपस, रेजीडेंट - डा० श्वेता, डा० शिप्रा , डा० राजश्री , डा० निशांत, डा० आकाश जेरोम, डा० आशुतोष चौरसिया, डा० पलल्व, डा० दिव्या, डा० लारेब, डा० नितिन, डा० नूपुर, डा० प्रत्युष, डा० अन्वेशा, डा० सुरेश, डा० सूरज नाईक, गौरव टेक्नोलॉजिस्ट राजीव सक्सेना, चंद्रेश , अर्जुन , श्री राज कुमार, ओटी सहायक जितेन्द्र, फायर फाइटर- विशाल सिंह ने धुएं व आग की परवाह न करते हुए मरीजों को तुरंत दूसरी जगह पहुंचाया।
एक महिला चिकित्सक ने गर्भावस्था होने के बावजूद धुएं में घुसकर रोगियों को रेस्क्यू किया, जिन्हें बाद में तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कर उपचार दिया गया। अब महिला चिकित्सक और उनके गर्भस्थ शिशु दोनों ठीक है।
अत्यधिक धुएं के बीच देर तक रहने से हुई परेशानी के कारण डा० शमशेरी और टेक्निकल ऑफिसर श्री राजीव सक्सेना को कुछ समय ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा।
नर्सिंग ऑफिसर नीलम, मनोरमा, सौरभ, विद्यावती, रीता, अल्का, कमलेश कुमारी, निरुपमा, व् सीमा शुक्ला, इलेक्ट्रिशन अतुल, अटेंडेंट,जयकरन, पंकज, तुषार, राकेश, जेनरेटर स्टाफ अतुल ने अतुलनीय साहस का परिचय दिया और आग व् धुंवे की परवाह न करते हुए मौके पर डटे रहें । उन्हें सांस लेने में हुई तकलीफ के कारण इनमे से कुछ को ऑक्सीजन सपोर्ट व आवश्यक दवाएं दी गईं । रोगी सहायकों में हेमंत, ओम प्रकाश, रवि , रवि रंजन, विशाल रावत, मनीष प्रभाकर, सफाई पर्यवेक्षक, ओम प्रकाश, राधे श्याम सिंह, जीतेन्द्र, सुरेंद्र, राजू, शिवराज, तुषार, कैलाश, अनिल , लिफ्ट मैन- राहुल और सरोज ने असाधारण साहस का परिचय दिया और बचाव कार्य में पूरा सहयोग दिया । निदेशक प्रो. आर के धीमन ने फायर फाइटर टीम के योगदान की विशेष सराहना करनी होगी जिन्होंने घटना की सूचना मिलते ही अपना आंतरिक फायर फाइटिंग सिस्टम सक्रिय किया और हाइड्रेंट सिस्टम का प्रयोग करते हुए कुछ ही समय में आग पर काबू पा लिया रोगियों को बाहर निकलने में भी उनका विशेष सहयोग रहा।
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