रविवार, 9 फ़रवरी 2020

थ्री डी मैंपिग बताएगा कहां छूट रहा है दिल का करंट-- दिल में करंट की गड़बडी से दिल होता है परेशाना






थ्री डी मैंपिग बताएगा कहां छूट रहा है दिल का करंट
दिल में करंट की गड़बडी से दिल होता है परेशाना
दिल की धड़कन पर भी रखना होगा नजर


 दिल को धमनी की रूकावट ही नहीं दिल में करंट की कमी से भी दिल में परेशानी खड़ी हो सकती है। डाक्टरी भाषा में इसे  सिक साइनस सिंड्रोम कहते हैं।  सिक साइनस सिंड्रोम बीमारी होने पर दिल को उचित मात्रा में करंट नहीं मिलता है। कंरट की कमी होने पर दिल को धड़कने के लिए शक्ति नहीं मिलती है। दिल  काम करना बंद कर सकता है।  दिल को अधिक करंट मिलने पर भी दिल तेजी से धड़कने लगता हैजिससे दिल की परेशानी हो सकती है।  दिल काम करना बंद देता है। दिल को कंरट कम मिलने की बमारी को बे्रडी कार्डिया और अधिक मिलने की बीमारी को टैकीकार्डिया कहते हैं। इन दोनो बीमारियों का इलाज संभव है। इन दोनों परेशानी का इलाज रेडियो फ्रिक्वेसी एबीलेशन सहित अन्य तकनीक से संभव है।  संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो.अादित्य कपूर प्रो.नवीन गर्गप्रो. सत्येंद्र तिवारी और प्रो.सुदीप कुमार ने कार्डीकान 2020 में बताया कि पहले जहां पर करंट का सर्किट खराब है जानने के लिए फ्लोरो स्कोपी से किया जाता था।  अब थ्री डी मैपिंग से हार्ट के हर चेम्बर का थ्री डायमेंसन इमेंज देख कर  जगह का पता लगना संभव हो गया है। इससे इलाज की दक्षता में बढोत्तरी होगी।   
  तीस फीसदी लोगों मे दिल को करंट न मिलने के कारण दिल की परेशानी  
 प्रो.सुदीप कुमार ने बताया कि ३० से ४० फीसदी लोगों में दिल की बीमारी का कारण यहां तक कि हार्ट फेल्योर का कारण दिल को करंट न मिलना है। दिल को कंरट कम मिलने पर पेस मेकर लगाया जता है जो दिल को निश्चित मात्रा में करंट की आपूर्ति करता है। दिल को अधिक करंट मिलने पर दिल की धड़कन ७० प्रति मिनट से बढ़ जाती हैजिससे रक्त एवं आक्सीजन की पूर्ति कम हो जाती है। दिल कम करना बंद कर देता है। दिल को जहां से अधिक करंट मिल रहा है उस जगह पर जाकर रेडियोफ्रिक्वेंशी एबीलेशन तकनीक से वहां जमें वसा को जला कर कंरट को कम कर दिया जाता है।  

   40 फीसदी लोगों में दिल की रक्त वाहिका में रूकावट के कारण दिल की परेशानी

   पीजीआइ के ही हृदय रोग विशेषज्ञ डा.अंकित साहू   का कहना है कि  ४० से ५० फीसदी लोगों में हृदय रोग का कारण धमनी में रूकावट होती हैजिसका इलाज एंजियोप्लास्टी एïवं बाईपास सर्जरी से संभव है।
माइल्ड ऐटैक को न करें नजंरदाज
   प्रो.सत्येंद्रतिवारी ने कहा कि  कुछ लोगों कोहार्ट अटैक का हल्का सा झटका महसूस होता है। इसे 'माइल्ड हार्ट अटैककहते हैं। ये तरह से मुख्य हार्ट अटैक कापूर्व संकेत होता है। लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इसे हार्ट बर्न या गैस कीसमस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैंजो उनके लिएभारी पड़ जाता है। 

 क्याहै माइल्ड हार्ट अटैक

  माइल्ड हार्ट अटैक को आम भाषा में लोग छोटा हार्ट अटैक कहतेहैं। इस हार्ट अटैक को नॉन एसटी एलिवेशन म्योकार्डियल इंफार्कशन कहते हैं। इसमेंहार्ट की नस सौ फीसदी नहीं बंद होती हैलेकिन प्रक्रिया वही होती हैजो बड़े हार्टअटैक में होती है। इस तरह के हार्ट अटैक में ब्लड क्लॉट नस को पूरी तरह बंद नहींकरता हैमगर इसमें हार्ट को डैमेज करने वालेएंजाइम्स बढ़े हुए रहते हैं। 

ये होते हैं लक्षण माइल्ड

 हार्ट अटैक के संकेत भी वही होतेहैंजो कंप्लीट हार्ट अटैक के होते हैंजैसे-सीने में तेज दर्दचलते समय भारीपनलगनापसीना आनाबेचैनी होनाजबड़ों में दर्दचलते-चलते गिरजाना आदि। लेकिन इन लक्षणों की इंटेंसिटी कम होती हैइसलिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। इसमें ईसीजीईको और कार्डियक एंजाइम्स की जांच की जाती है।

न बरतें लापरवाही 

प्रो. नवीन गर्ग ने कहा कि  माइल्ड हार्टअटैक या छोटे हार्ट अटैक के बाद जब शरीर में ब्लड फ्लो सामान्य हो जाता हैतो लोग इसे गैस की समस्या या हार्ट बर्न समझकर नजरअंदाज करदेते हैं। मगर माइल्ड हार्ट अटैक को बड़े हार्ट अटैक का पूर्व संकेत कहा जा सकताहैइसलिए इसे गंभीर मानना चाहिए। इस तरह केमामलों में दूसरा हार्ट अटैक आने के चांस लगभग तीस फीसदी होते हैं।

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