रविवार, 23 फ़रवरी 2020

सीबीएमआर ने ब्लैडर कैंसर की गुत्थी सुलझाने के लिए खोजा बायोमार्कर

सीबीएमआर ने ब्लैडर कैंसर की गुत्थी सुलझाने के लिए खोजा बायोमार्कर
दो बूंद खून खोल देगा ब्लैडर कैंसर के तमाम राज
ब्लैडर कैंसर और बताएगा कितनी सफल रही सर्जरी    
कुमार संजय। लखनऊ
ब्लैडर कैंसर की पुष्टि बिना बायोप्सी के भी संभव होगी  साथ ही सर्जरी के बाद कितना फायदा हुआ।  दोबारा ब्लैंडर कैंसर की कितनी आशंका है जानने के लिए सेंटर फार बायोमिडक रिसर्च (सीबीएमआर) के मुख्य वैज्ञानिक डा. आशीष गुप्ता ने कुछ खास  बायोमार्कर का पता लगाया है। देखा कि यह बायोमार्कर कैंसर की स्थित में बढ़ जाते है लेकिन सर्जरी के बाद इनका स्तर कम हो जाता है। देखा कि सर्जरी पूरी तरह सफल होने पर मार्कर का स्तर सामान्य स्वस्थ्य लोगों के बराबर हो जाता है। डा. गुप्ता के मुताबिक उन्होंने 160 लोगों के सीरम ले कर न्यूक्लियर मैगनेटिक रीसोनेंस( एनएमआर) तकनीक से डाइमिथाइलएमीन, मैलोनेट, लैक्टेट, ग्लूटामिन, हिस्टाडीन और वालीन मेटाबोलाइट के स्तर का अध्यन किया। 160 लोग जिनके रक्त से सीरम के मेटाबोलाइट के अध्यन किया उनमें से 52 सामान्य स्वस्थ्य लोग, 55 ब्लैडर कैंसर के मरीज सर्जरी से पहले लिया गया सीरम, 53 ब्लैंडर कैंसर के मरीज जिनका सर्जरी के बाद लिए गए सीरम में मेटाबोलाइट का स्तर  तीन महीने तक समयान्तराल पर देखा तो पाया कि सर्जरी के बाद इन मेटाबोलाइट( बायो मार्कर) का स्तर कम हो जाता है। इस शोध से साबित हुआ कि दो मिली लीटर खून लेकर उससे सीरम निकाल कर इन बायोमार्कर के आधार पर  काफी हद तक ब्लैडर कैंसर का पता लगाया जा सकता है। सर्जरी कितनी सफल रही इसका भी पता लग जाता है। सर्जरी के बाद यदि इन बायोमार्कर का स्तर बढ़ रहा है तो दोबारा कैंसर की आंशका का काफी पहले लगा सकते हैं।

ऐसे हुआ शोध
हमने एनएमआर डिराइव्ड टारगेट सीरम मेटाबोलिक बायोमार्कर एप्रीसल आफ ब्लैडर कैंसर – ए प्री एंड पोस्ट आपरेटिव इवैलुएशन विषय को लेकर लंबे समय तक शोध किया। इस शोध को जर्नल आफ फार्मास्युटिकल एंड बायोमिडकल एनालसिस ने स्वीकार किया है।सीबीएमआर के डा. दीपक कुमार,  संजय गांधी पीजीआइ डा. निलय, प्रो.यूपी सिंह और मेदांता दिल्ली के डा. अनिल मंधानी और किंग जार्ज मेडिकल विवि के डा. नवनीत कुमार, डा. मनोज कुमार और प्रो.एसएन संखवार ने मरीज के रक्त देने के साथ ही अन्य तकनीकि सहयोग दिया।
क्या है ब्लैडर कैंसर

ब्‍लैडर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को ब्‍लैडर कैंसर कहते है। ब्लैडर की बाहरी दीवार की मांसपेशियों की परत को सेरोसा कहते हैं जो कि फैटी टिश्‍यूएडिपोज़ टिश्यूज़ या लिम्फ नोड्स के बहुत पास होता है। ब्‍लैडर वो गुब्बारेनुमा अंग है जहां पर यूरीन का संग्रह और निष्कासन होता है।
यह परेशानी तो लें सलाह

-मूत्र में रक्त (हेमेटुरिया) की उपस्तिथि
-मूत्र में रक्त आना व दर्द-रहित
-पेशाब के दौरान दर्दलगातार पेशाब आना या ऐसा करने में सक्षम होने के बिना पेशाब की आवश्यकता महसूस होती है
- श्रोणि या हड्डी का दर्दनिचला हिस्से में दर्द या सूजन की शिकायत होती हैं।

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के आंकड़ो के अनुसार ब्लैडर कैंसर की दर 2.25 फीसद है। हर साल 100,000  लोग शिकार होते है जिसमें से 3.67 फीसद पुरूष और 0.83 महिलाएं होती है। 

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