रविवार, 23 फ़रवरी 2020

पीजीआइ में आईएसआरटी की सीएमई - डीबीटीएस तकनीक से सटीक मिलेगी स्तन कैंसर की जानकारी





पीजीआइ में आईएसआरटी की सीएमई  
डीबीटीएस तकनीक से सटीक मिलेगी स्तन कैंसर की जानकारी
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम में होने वाली मैमोग्राफी की बढेगी सफलता
जागरण संवाददाता। लखनऊ  
अब डीबीटीएस( डिजिटल ब्रेस्ट टोमो सिंथेसिस) तकनीक के जरिए संजय गांधी पीजीआई स्तन कैंसर का आशंका का पता लगाएगा खास तौर पर कम उम्र के महिलाओं में यह काफी सटीक साबित होगी। कम उम्र की महिलाओं में गांठ का पता नहीं लगता क्योंकि कोशिकाए बहुत घनी होती है ऐसे में साधारण मैमोग्राफी से गांठ का पता नहीं लगता । डीबीटीएस तकनीक से छोटी से छोटी स्तन की गांठ का पता लगाकर आशंका जान कर आघे बायोप्सी कर कैंसर की पुष्टि संभव होगी। संस्थान के रेडियोलाजी विभाग द्वारा इंडियन सोसाइटी आफ रेडियोग्राफर एंड टेक्नोलाजिस्ट(आईएसआरटी) के सीएमई में संस्थान री रेडियोलाजिस्ट प्रो. नमिता मोहिंद्रा के मुताबिक इस तकनीक में रेडिएशन बीम को 15 डिग्री कोण पर धीर-धीरे घुमाया जाता है जिससे स्तन की कई इमेज विभिन्न कोशिकाओं के मोटाई में मिलती है। इससे छिपे गांठ का पता लग जाता है। इस तकनीक को हम लोगों ने स्थापित कर लिया है। इससे स्तन कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम के तहत होने वाले मैमोग्राफी जांच की सटीक जानकारी दी दर 50 फीसदी तक बढ़ गयी है।

एमआरआई से पहले शरीर से हटा सभी धातु  
सीनियर रेडियोग्राफी टेक्नोलाजिस्ट धर्मेद्र कुमार और सरोज कुमार वर्मा ने बताया कि एमआरआई जांच के लिए किसी भी मरीज के शरीर पर कोई धातु की वस्तु नहीं होनी चाहिए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। किंग जार्ज मेडिकल विवि के आर एंड डी रीजनल कोआर्डीनेटर डा.विवेक कुमार, लोहिया के डा. धनंजय, विवेकानंद अस्पताल के टेक्नोलाजिस्ट रजनीश श्रीवास्तव ने रेडिएशन सेफ्टी पर विशेष जोर देते हुए कहा कि जरूरत हो तभी एक्स-रे कराना चाहिए। एक्स-रे के समय परिजनों को कक्ष में जाने से बचना चाहिए।

 सीटी स्कैन रिपोर्टिंग  के लिए बन रहा है आरटीफीशियल इंटेलीजेंस से साफ्टवेयर
पीजीआइ सहित अन्य संस्थान से लिया जा रहा है डाटा
कुमार संजय। लखनऊ
सिर और पेट के सीटी स्कैन की रिपोर्टिंग के लिए आरटीफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से साफ्यवेयर तैयार किया जा रहा है। इससे सटीक रिपोर्टिग की संभवना बढ़ेगी । रेडियोलाजिस्ट पर काम का भार कम होगा केवल उन्ही मरीजों के सीटी स्कैन को रिपोर्ट करना होगा जिनमें साफ्टवेयर किसी तरह की बीमारी की आशंका जाहिर करेगा। इसके लिए संजय गांधी पीजीआइ टीम लीडर के रूप में काम कर रहा है। संस्थान के रेडियोलाजी विभाग की प्रो. अर्चना गुप्ता इंडियन सोसाइटी आफ रेडियोग्राफर एंड टेक्नोलाजिस्ट से साथ मिल कर डाटा बैंक बना रही है। इस काम के लिए लोहिया संस्थान, किंग जार्ज मेडिकल विवि, विवेकानंद अस्पताल, देश के एम्स और निजि संस्थानों से सिर और पेट के सीटी स्कैन की फिल्म लेकर का डिजिटल बैंक बन रहा है। इसमें बीमारी वाले मरीजों के फिल्म के साथ ही सामान्य मरीजों की फिल्म को लोड किया जाएगा । साफ्टवेयर बनने के बाद किसी मरीज का सीटी फिल्म इसमें लोड करते ही बता देगा मरीज को क्या परेशानी या नार्मल है। सीनियर टेक्नोलाजिस्ट सरोज वर्मा ने बताया कि किसी मरीज में बीमारी की जानकारी होने पर उस फिल्म को रेडियोलाजिस्ट दोबारा रिपोर्ट देकर रिपोर्टिंग करेंगे इससे सीटी स्कैन की रिपोर्टिंग दक्षतना बढेगी।     

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें