शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

होशो –हवास और बिना सिर खोले पीजीआइ में निकाला ब्रेन ट्यूमर

होशो –हवास और बिना सिर खोले पीजीआइ में निकाला ब्रेन ट्यूमर
आवाज और पहचान की शक्ति कम कर सकता है ब्रेन ट्यूमर


संजय गांधी पीजीआई में एक 35 साल और एक 55 साल की मरीज में दिमाग के ट्यूमर की लाइव सर्जरी हुई ।  एक मरीज में बिना मरीज बेहोश किए और दूसरे मरीज में बिना सिर खोले नाक के जरिए दिमाग में पहुंच कर सर्जरी को आंजाम दिया गया।   संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग द्वारा कंट्रोवर्सी इन न्यूरो सर्जरी विषय पर आयोजित कार्य शाला में शुक्रवार को इन दोनों जटिल सर्जरी की बारीकियां दो सौ अधिक न्यूरो सर्जन को सिखायी गयी। विभाग के प्रमुख प्रो. संजय बिहारी, आयोजक प्रो. कमेश सिंह बैसवार, प्रो. कुतंल कांति दास के मुताबिक 35 साल युवक के ब्रेन के बायें साइड में आवाज, पहचान को नियंत्रित करने वाले स्थान पर ट्यूमर ( इंसुलर ग्लायोमा) था। मरीज को झटके आ रहे थे। ट्यूमर का साइज पांच सेमी का था आगे चल कर परेशानी बढ़ सकती थी। इसमें बिना बेहोश किए ही ट्यूमर का निकाला क्योंकि सर्जरी की सफलता सर्जरी के दौरान ही तय होनी थी । ट्यूमर निकालने के बाद तुरंत देखा जाना था कि भाषा और पहचान तो नहीं जा रही है। सर्जरी के दौरान मरीज को होश में रख कर उससे बात करते हुए चीजों को दिखा कर पहचान को सुनिश्चित किया गया। इस सर्जरी को कोच्ची के न्यूरो सर्जन प्रो. दिलीप पाणीकर , प्रो. आलोक कुमार और संस्थान के एनेस्थेसिया विशेषज्ञ प्रो. देवेंद्र गुप्ता और प्रो. शशि ने अंजाम दिया। प्रो. अरूण श्रीवात्व के मुताबिक कुल ब्रेन ट्यूमर के मामलों में से 25 फीसदी ट्यूमर इंसुलर ग्लायोमा देखा गया है यह दिमाग के दाए या बाएं हिस्से में हो सकता है। सर्जरी के बाद लकवा की आशंका रहती है क्यो कि सर्जरी के दौरान मिडिल सेरीब्रेल आर्टरी के डैमेज होने की आशंका रहती है । प्रो. बिहारी ने बताया कि न्यूरो सर्जरी को स्थापित करने वाले प्रो. डीके छाबडा और प्रो.वीके जैन के सम्मान में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसे जापान के  डा. सोतो, पुर्तगाल के डा. मैनुअल और अमेरिका के डा. अनिल नंदा देंगे।          
केस –टू – 50 वर्षीय पुरूष के ब्रेन स्टेम ( दिमाग के निचले सतह) में प्लेनम मैनिनजियोमा ट्यूमर चार सेमी का था।  जिसकी वजह से उसके आंख की रोशनी कम होने के साथ सिर में दर्द की परेशानी थी। इस मरीज में ट्यूमर को निकालने के लिए बिना सिर खोले नाक के जरिए नजल इंडोस्कोप दिमाग के निचले स्तर पर पहुंच कर सर्जरी की गयी। इस तकनीक से सर्जरी में पूरा ट्यूमर निकल जाता है और सिर पर कोई चीरा नहीं लगता है। 

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