अब चार घंटे के नवाजत में सुनने की क्षमता का लगेगा पता
पीजीआइ ने स्थापित किया ओटो एकास्टिक इमीशन
कान में इलेक्ट्रोड डाल बता देंगे कितना सुन रहा है शिशु
कुमार संजय। लखनऊ
अब संजय गांधी पीजीआइ में चार घंटे के नवजात शिशु के सुनने की क्षमता का परीक्षण संभव होगा। संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग ने ओटो एकास्टिक इमीशन परीक्षण तकनीक स्थापित किया है जिसमें शिशु के कान में इलेक्ट्रोड डाल कर सुनने की क्षमता का पता लगता है। पहले से परीक्षण में शिशु के कान पर स्पीकर लगा कर हाव –भाव देखा जाता था । नवजात कई बार प्रतिक्रिया नहीं देते तो ऐसे में परीक्षण संभव नहीं हो पाता था। विभाग न्यूरो ओटोलाजिस्ट प्रो. अमित केशरी के मुताबिक नवजात में सुनने की क्षमता जानने के लिए विशेष आडियोमेट्री लैब स्थापित की गयी है जिसमें नेशनल हेल्थ मिशन के राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत अनुदान मिला है। नवजात में सुनने की कमी का पता तुरंत लगने पर तुरंत हियरिंग ऐड लगा कर काल के कोशिकाओं के संरक्षित रखने के साथ ही शिशु के दिमाग के विकास को बाधित होने से रोका जा सकता है। प्रो.अमित के मुताबिक जंम के दिन या दो चार दिन परीक्षण के बाद जंम के तीन और 6 महीने बाद दोबारा परीक्षण करते है । सुनने की क्षमता में कमी की पुष्टि होने के बाद हियरिंग ऐड लगा देते है। इससे बच्चे के ब्रेन डिवलेपमेंट होने के साथ काल के सेल नहीं नष्ट होते है। शिशु सुनने लगता है तो वह बोलने भी लगता है।
आईसीयू में भर्ती होने वाले 15 फीसदी में मिली परेशानी
प्रो. अमित केसरी ने बताया कि विवेकानंद अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. निरंजन सिंह के साथ हम लोगों ने आईसीयू में भर्ती होने वाले 400 बच्चों में शोध किया तो पाया कि इनमें 15 फीसदी बच्चों में सुनाई देने की क्षमता में कमी है। इन बच्चों में तुरंत हियरिंग एड लगा कर इनके मानसिक विकास को संरक्षित रखा जा सकता है।
इन नवजात का होना चाहिए सुनने की क्षमता का परीक्षण
- समय से पहले जंम लेने वाले
- जंम के समय दो किलो से कम वजन
- जंम के बाद नियोनेटल आईसीयू में भर्ती होने वाले
- अनुवांशिकी सुनने की कमी परिवार में
- गर्भवती में टीबी, हरपीज या अन्य वायरल संक्रमण
- गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप
- गर्भावस्था के दौरान डायबटीज
- हाई रिस्क प्रिगनेंसी
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