कडनी के परेशानी के कारण बढ़ रहा है पारा
बीपी 120-200 से अधिक तो हो जाएं एलर्ट
तीस साल से कम उम्र है और पारा बढा चढ़ा हुआ है तो इसका कारण किडनी की परेशानी हो सकती है। इसे डाक्टरी भाषा में सेकेंड्री हाइपर टेंशन कहते है । इसके कारण बच्चे भी बीपी के शिकार हो रहे है । इस हाइपर टेंशन(बीपी) को दवा और इंटरवेंशन रेडियोलाजिकल तकनीक से काफी हद तक मैनेज किया जा सकता है। संजय गांधी पीजीआइ में इंडियन सोसाइटी आफ नेफ्रोलाजी ( नार्थ जोन) के वार्षिक अधिवेशन में सेकेंड्री हाइपर टेंशन को मुख्य विषय बना कर विशेषज्ञों ने चर्चा किया। संस्थान के नेफ्रोलाजिस्ट प्रो. धर्मेंद्र भदौरिया के मुताबिक हाइपर टेंशन के कुल मामलों में से 7 से 10 फीसदी लोगों में कारण सेकेंड्री हाइपर टेंशन होता है जिसमें 50 फीसदी लोगों में कारण किडनी की परेशानी होती है। कारण किडनी के अंदर की परेशानी और किडनी को खून सप्लाई करने वाली वाहिका में रूकावट( रीनो वेस्कुलर डिजीज) होती है। रेडियोलाजिकल इंटरवेंशन तकनीक से संस्थान के रेडियोलाजिस्ट रूकावट को दूर करते हैं। किडनी के अंदर परेशानी के मामले में दवा से बीपी कंट्रोल किया जाता है। लंबे समय तक बीपी कंट्रोल न होने पर दिमाग के साथ दिल औक किडनी पर बुरा असर पड़ता है। प्रो. भदौरिया के मुताबिक तीस से कम उम्र है साथ ही सिस्टोलिक 200 और डिस्टोलिक 120 से अधिक है तो सचेत होने की जरूरत है। सेकेंड्री हाइपर टेंशन का कारण पता करने के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट, यूरीन में प्रोटीन, सिरम क्रिएटनिन और किडनी का अंल्ट्रासाउंड और डाप्लर टेस्ट कर किडनी कारण का पता करते हैं। बाकी 50 फीसदी लोगों में एड्रीनल ग्लैड में ट्यूमर सहित अन्य परेशानी होती है।
कम होगी किडनी खराबी की गति
अमेरिका के प्रो.राजीव अग्रवाल ने बताया कि मिनिरलो कार्टीकोक्वायड एंटागोनिस्ट दवाएं जो किडनी के डिजिटल नेफ्रान पर स्थित रिपेस्पटर को ब्लाक करती है। इससे शरीर में सोडियम की मात्रा नहीं बढ़ने पाती है। इससे बीपी कंट्रोल रहता है। यह रसायन बीपी के कारण किडनी की खराबी कम हो जाती है। सोयिडम शरीर से बाहर निकल जाता है।
पोटैशियम की कमी हाई बीपी का कारण
प्रो. रवि शंकर कुशवाहा ने बताया कि इलेक्ट्रोलाइड असंतुलन भी उच्च रक्त चाप का बड़ा कारण है देखा गया है कि सोडियम की कमी के कारण भी बीपी बढ़ता है। ऐसे लोगों को खाने में सब्जी और फल की मात्रा बढ़ाने की जरूरत होती है। इससे कंट्रोल न होने पर दवाएं भी देते है।
50 फीसदी लोगों में दवा की लापरवाही
विशेषज्ञों ने कहा कि बीपी नियंत्रित न होने के पीछे 50 फीसदी लोगों में दवा का सही मात्रा में सही समय पर न लेना है। ऐसा केवल हमारे यहां नहीं है पूरे विश्व की परेशानी है। कई बार लोग दवा खाना बंद कर देते है कि हमारा बीपी कंट्रोल हो गया कंट्रोल दवा से रहता है दवा बंद करने के बाद फिर बढ़ना शुरू हो जाता है कई बार एकदम से बढ़ जाता है ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक तक की आशंका रहती है।