बुधवार, 8 मई 2019

पीजीआइ में आटो एंटीबाडी वर्कशाप-लंबे समय तक बुखार, जोड़ो में दर्द और शऱीर पर चकत्ते तो लें सलाह

पीजीआइ में आटो एंटीबाडी वर्कशाप

लंबे समय तक बुखार, जोड़ो में दर्द और शऱीर पर चकत्ते तो लें सलाह 
आटो इम्यून डिजीज पकड़ने के लिए पीजीआइ ने सिखायी तकनीक

पूरे भारत से 30 लोगों से सीखी तकनीक
जागरण संवाददाता। लखनऊ

संजय गांधी पीजीआइ के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग ने चार दिवसीय आयो एंटी बाडी वर्कशाप के समापन के मौके पर विभाग के प्रमुख प्रो. आरएन मिश्रा एवं प्रो. अमिता अग्रवाल ने कहा कि आटो इम्यून डिजीज का सही समय पर सही उपचार कर नियंत्रित किया जा सकता है। इस वर्ग में सौ से अधिक बीमारियां आती है जिसमें एसएलई, पाली मायोसाइिटस, वेस्कुलाइिटस, रूमटायड अर्थराइिटस प्रमुख बीमारियां है। इन बीमारियों का पता सामान्य जांच से नहीं लगता है। इसके लिए विशेष जांच होती है जो संस्थान में स्थापित है । इस जांच तकनीक के विस्तार के लिए वर्कशाप का आयोजन किया गया जिसमें जिपमर पांडीचेरी, सीएमसी वेल्लौर, अमृता इंस्टीट्यूट कोच्ची, पीजीआइ चंडीगढ़ जैसे बजे संस्थान के डीएम , एमडी छात्र सीखने के लिए आए। बताया कि देश का पहला संस्थान पीजीआइ जहां पर क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग स्तापित हुआ इसलिए भारत का पहला संस्थान जहां जांच तककीनक स्थापित हुई । इस तकनीक का हम लगातार विस्तार कर रहे जिससे पूरे देश में इन बीमारियों को सही समय पर पकड़ कर इलाज संभव हो सके। विशेषज्ञों का कहना है कि एक हजार में से 10 से 15 आटोइम्यून डिजीजी के गिरफ्त में है। कार्यशाला में तकनीकि अधिकारी ललित मोगा, अम्बरीश कुमार, अभिषेक पाण्डेय, मु. रिजवान, अजीत कुमार, वैज्ञानिक डा. मोहित, डा. अंकिता, डा.शशिकांत ने इम्यूनो फ्लोरसेंस, वेस्टर्न बाल्ट, एलाइजा , पीसीआऱ जैसी विशेष तकनीक को प्रदर्शन किया। प्रतिभागियों को आन हैंड प्रैक्टिस भी कराया गया।  विशेषज्ञों ने बताया कि लंबे समय तक बुखार, शरीर के जोड़ो में दर्द और शऱीर पर चकत्ते हों तो विभाग में तुरंत सलाह लेने की जरूरत  है

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