सोमवार, 4 मार्च 2019

13 साल तक लड़की की तरह पाला लेकिन था वह लड़का- पीजीआइ ने अर्धविकिसत जनांग को ठीक कर बनाया लड़का

पीजीआइ में यूरोलाजी वर्कशाप


13 साल तक लड़की की तरह पाला लेकिन था वह लड़का
पीजीआइ ने अर्धविकिसत जनांग को ठीक कर बनाया लड़का
हारमोन थिरेपी से लड़को की तरह करेगा व्यवहार
जागरण संवाददाता। लखनऊ  

तेरह वर्षीय सोम का पालन घर वाले लड़की की तरह कर रहे थे । 13 साल लड़की की तरह पालने के बाद सही समय पर मासिक धर्म नहीं शुरू हुआ तो घर वाले परेशान हो कर कई डाक्टरों को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। एक डाक्टर ने पीजीआई में दिखाने की सलाह दी। घर वाले संजय गांधी पीजीआई के यूरोलाजिस्ट प्रो.एमएस अंसारी को दिखाया तो पता चला कि इसके जनांग तो लड़को वाले है जो अर्ध विकसित है। संस्थान में आयोजित यूरोलाजी के वर्कशाप में विशेष केस के तौर पर शनिवार को सर्जरी कर जनांग को लड़को की तरह बनाया गया। आगे जनांग को और विकिसत करने के लिए हारमोन थिरेपी  दी जाएगी। प्रो. अंसारी ने बताया कि यह सामाजिक और वैवाहिक जीवन पूरी जीने में सछम होगा। सोम की मानसिक स्थित भी लड़कियों की तरह है इसको बदलने के लिए हरामोन थिरेपी ही कारगर होगी। वर्कशाप में 13 केस की सर्जरी की गयी जिसमें 6 मामले डिसआर्डर आफ सेक्सुअल डिवलेपमेंट( एम्बूगुअस जेनेटेलिया), पांच मामले हाइपोस्पेडियास के जिसमें पेशाब का निकलने का रास्त सही जगह पर नहीं होता है। दो अन्य मामलों की सर्जरी की गयी।       

अब रतिक नहीं बितानी पडेगी ट्रांसजेंडर की तरह जिंदगी

अब रतिका को ट्रांसजेंडर की तरह जिंदगी नहीं बितानी पडेगी। विशेषज्ञों ने  अर्धविकसित जनांग को सर्जरी कर ठीक कर दिया है। अब आगे वह सामाजिक, वैवाहिक जिंदगी पूरी तरह जी सकेगी। संजय गांधी पीजीआई में पिडियाड्रिक यूरोलाजी वर्कशाप में रतिका की सर्जरी हुई। प्रो.एमएस अंसारी के मुताबिक पांच साल की रतिका अनुवांशिकी तौर पर लड़की थी लेकिन जनांग लड़को की तरह था चिल्ड्रेन हास्पिटल फिलाडेल्फिया यूएसए के डा. क्रिस्टोफर के सहयोग ने जनांग को माडीफाइ कर दिया गया। जनांग को लड़की की तरह बनाया गया। इसके वहां स्थित स्किन को ही इस्तेमाल किया गया। इसमें मूत्र नलिका पूरी तरह ठीक इस लिए केवल जनांग को ठीक किया गया। यह परेशानी जंमजात बनावटी विकृति के कारण होती है। प्रो.अंसारी के मुताबिक पहले  जागरूकता नहीं जिसके कारण कई बार ट्रांसजेंडर मान कर ऐसे लोगों को जीवन बिताना पड़ता था।

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