सोमवार, 4 मार्च 2019

8 घण्टे सर्जरी कर बनाया मूत्राशय-जंम से नहीं थी पेशाब की थैली लगातार टपकता था पेशाब

पीजीआई में  यूरोलॉजी वर्कशॉप


   8 घण्टे सर्जरी कर बनाया मूत्राशय

        यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एमएस अंसारी ने बताया कि यह जन्मजात बीमारी है। इसे मूत्राशय की एक्सस्ट्रोफी कहते हैं। एक्सस्ट्रोफी का अर्थ होता है एक खोखले अंग का उलटा होना। इसमें पेशाब की थैली अंदर नहीं होती है। लिंग तो होता है, लेकिन उसका पूर्णरूप से विकास नहीं होता है। पेट के अंदर पेशाब की थैली नहीं होने की वजह से लगातार पेशाब होती रहती है, जिससे लिंग क्षतिग्रस्त हो जाता है। प्रोफेसर अंसारी ने बताया कि करीब तीन माह पहले यह बच्चा ओपीडी में आया था। इसके बाद उसे आपरेशन की डेट दी गई थी। रविवार को आठ घंटे चली सर्जरी में पेशाब की थैली बनाई गई है। अब बच्चा सामान्य बच्चों की तरह पेशाब कर सकेगा। उसके लिंग को भी प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से ठीक किया गया है।

पांच हजार में एक बच्चे को होती है बीमारी

प्रोफेसर एमएस अंसारी ने बताया कि यह बीमारी पांच हजार बच्चों में किसी एक बच्चे को होती है। पेशाब की थैली नहीं होने की वजह से लगातार बूंद-बूंद पेशाब होती रहती है। इससे दुर्गंध आने लगती है। कुछ लोग बच्चे को डायपर लगाते हैंतो कुछ लोग कपड़ा बांध कर रखते हैं। इससे लिंग में संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। इस तरह की दिक्कत होने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। अल्ट्रासाउंड जांच में पेट के निचले हिस्से में उभार साफ तौर पर दिखता है। पेशाब की थैली नहीं होने, मूत्र नलिकाओं से अविकसित होने आदि का पता चल जाता है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें