सोमवार, 29 अक्तूबर 2018

गर्भवस्था के दौरान फिजियोथिरेपी से कम होती है 40 फीसदी सीजेरियन की आशंका



पीजीाई में क्लीनिकल स्किल अपडेट आन फिजियोथिरेपी टेक्निक्स पर सीएमई
गर्भवस्था के दौरान फिजियोथिरेपी से कम होती है 40 फीसदी सीजेरियन की आशंका
 
प्रसव के बाद नहीं बैडोल रहेगा फिजिक 



सुरक्षित प्रसव और गर्भावस्था के कारण शरीर की बनावट में बदलाव रोकने में फिजियोथिरेपी कारगर साबित हो रही है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में तमाम रसायनिक बदलाव होते है जिसके कारण शरीर के बनावट में भी बदलाव अाता है। पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। कमर पर दबाव बढ़ जाता है। इससे गर्भावस्था के दौरान और बाद में परेशानी होती है। इस अवस्था में फिजियोथिरेपी लेकर तमाम परेशानियों से बचा सकता है। संजय गांधी पीजीआई में क्लीनिकल स्किल अपडेट आन फिजियोथिरेपी टेक्निक पर अायोजित सीएमई में डा. सूरज कुमार ने  बताया कि गर्भावस्था के दौरा फिजियोथिरेपी लेने से सर्जरी  की आशंका 30 से 40 फीसदी तक कम हो जाती  है। प्रसव के बाद गर्भावस्था के पहले का फिजिक भी पाया जा सकता है। महिलाएं कई बार फिजिक में खराबी के कारण परेशान रहती है।शुरूआती तीन महीनो में व्यायाम से न सिर्फ गर्भवती महिला बल्कि शिशु के शरीर में भी रक्त और ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है।  मांसपेशियों में कसाव आता है और महिला की प्रतिरोधक क्षमता व शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होती है।गर्भवती महिला  कमर दर्द की तकलीफ से बच सकती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन बढ़जाता है जिसे फिजियोथेरेपी  को बढ़ने से रोक सकती हैं।डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को अतिरिक्त चर्बी घटाने और वजन नियंत्रण करने में मदद मिलती है। 

फिजियोथिरेपी से 50 फीसदी बीमारी से निजात

 सीएमई का उद्घाटन अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन, कार्डियक सर्जन प्रो.एसके अग्रवाल, निश्चेतना विभाग के प्रो. देवेंद्र गुप्ता  और एमएस डा.एके भट्ट, एमएस डा.एके भट्ट ने करते हुए कहा  कि फिजियोथिरेपी के जरिए 40 से 50 फीसदी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।  कहा कि तंत्रिका तंत्र की कमजोरी, अास्टियो अर्थराइिटस सहित कई परेशानी जिसमें दवा काम नहीं करती उसमें यह विधा काफी कारगर सबित हो रही है।  

वेंटीलेटर पर कम दिन रहेगा मरीज
डा. बृजेश त्रिपाटी, डा. संदीप शर्मा और डा. राजेंद्र कुमार ने बताया कि आईसीयू में वेंटीलेटर पर रहने वाले मरीजों में सही तरीके से फिजियोथिरेपी देकर निमोनिया, निमोनिक पैच, लंग कोलेप्स सहित तमाम परेशानियों को कम किया जा सकता है। देखा गया है कि सही तरीके से फिजियोथिरेपी देने से वेंटीलेटर पर रहने का सामय 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है। फेफडे में संक्रमित स्राव होता है जिसे इस तकनीक से स्राव को फेफडे से निकाल कर ट्रेकिया में लाते जहां से सक्शन कर स्राव को बाहर निकाल देते है इससे फेफडे में संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। कहा कि हर आईसीयू में फिजियोथिरेपी विशेषज्ञ की तैनाती होनी चाहिए। 


मिलता है कब्ज और सिर दर्द से छुटकारा

डा. संतोष उपाध्याय ने बताया कि फिजियोथिरेपी की भूमिका शरीर  के जो़ड़ो तक ही सिमित नहीं है। पेट आदि जहां जोड़ नहीं है उसकी फिजियोथिरेपी कर शरीर के भीतरी अंगो को मोबलाइज कर कब्ज, अपच, भूख न लगना, शरीर में दर्द और सिर दर्द की परेशानी दूर की जा सकती है। सिर दर्द के 40 फीसदी मामलों में पेट की परेशानी कारण साबित होती है। इस तकनीक को विसरल मैनुपुलेशन कहते हैं।   
 

मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

इंडियन सोसाइटी अाफ हाइपरटेंशन ने पीजीआई विशेषज्ञों को समर्पित किया जर्नल

इंडियन सोसाइटी अाफ हाइपरटेंशन ने पीजीआई विशेषज्ञों को समर्पित किया जर्नल

पहली बार केवल पीजीआई के  विशेषज्ञों को किया गया शामिल
उच्च रक्तचाप से निपटने के लिए दिए विशेषज्ञों ने टिप्स
जागरण संवाददाता। लखनऊ



उच्च रक्त चाप के कारण होने वाली तमाम परेशानियों और इससे निपटने की जानकारी के विस्तार के लिए इंडियन सोसाइटी अाफ हाइपरटेंशन एंड वर्ड हाइपरटेंशन लीग ने 
पहली बार अपने मेडिकल जर्नल हाइपरटेंशन को  संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञों को समर्पित किया है। जर्नल में संस्थान में विशेषज्ञों के लेख को स्थान दिया गया है। एडीटोरियल टीम में संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सत्येंद्र तिवारी शामिल है। जर्नल की प्रति संस्थान को निदेशक प्रो. राकेश कपूर को प्रो.तिवारी ने सौंपा। निदेशक ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है। इंटरनेशन जर्नल केवल संस्थान के विशेषज्ञों को स्थान दिया है । इससे उत्तर भारत में उच्च रक्तचाप के कारण और निवारण की जानकारी चिकित्सा जगत के लोगों को मिलेगी। इसमें सामान्य अस्पताल  डा. प्रेरणा कपूर, हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. आदित्य कपूर, इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो.सुभाष यादव, प्रो.सुशील गुप्ता,
न्यूरोलाजिस्ट  प्रो.वीके पालीवाल, प्रो.सुनील प्रधान, नेफ्रोलाजिस्ट  धर्मेंद्र भदौरिया, प्रो. मानस रंजन पटेल, प्रो.अमित गुप्ता ने अपने अनुभव बताया है। 

शहरी 20 फीसदी लोग उच्च रक्त चाप के चपेट में

विशेषज्ञों ने बताा कि 22.9 फीसदी पुरूष 23.6 फीसदी महिलाएं उच्च रक्तचाप के चपेट में हैं। शहरी क्षेत्र के लोग अधिक उच्च रक्तचाप के चपेट में देखा गया कि शहरी क्षेत्र के 20 से 25 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र के 10 से 12 फीसदी उच्च रक्त चाप के चपेट में है। विशेषज्ञों ने बताया कि उच्च रक्च चाप नियंत्रित न रहने पर ब्रेन स्ट्रोक, किडनी की खराबी , दिल की बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। देखा गया है कि ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बडा कारण उच्च रक्च  चाप साबित हो रहा है।    

रविवार, 21 अक्तूबर 2018

डायबिटीज आंखों की बीमारी की पांचवीं बड़ी वजह

डायबिटीज आंखों की बीमारी की पांचवीं बड़ी वजह


पीजीआई में डायबिटिक रेटिनोपैथी पर कार्यशाला
जागरण संवाददाता।लखनऊ
डायबिटीज से देश में सात करोड़ लोग पीड़ित हैं। डायबिटीज आंखों की बीमारी की पांचवीं बड़ी वजह है। डायबिटीज के मरीजों को चाहिए कि वह साल में एक बार आंखों के पर्दे की जांच जरूर कराएं। डायबिटीज काबू नहीं की तो आंख की रोशनी (अंधता) जाने का खतरा काफी बढ़ जाता है। यह जानकारी रविवार को पीजीआई के नेत्र विभाग के वरिष्ठ प्रो विकास कनौजिया ने दी। 
आंख के पर्दे के इलाज की नई तकनीक बताई 
आल इंडिया ऑप्थॉमोलॉजिकल सोसायटी एकेडमिक एंड रिसर्च कमेटी की ओर से 'डायबिटीज की वजह से अंधता की पहचान और इलाज' विषय पर पीजीआई में सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन हुआ। कमेटी के कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रो विकास कनौजिया ने बताया कि इस सीएमई में उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से सरकारी व गैर सरकारी डॉक्टर पहुंचे। इन सभी डॉक्टरों को डायबिटीज मरीज की आंख की जांच और इलाज की नई तकनीक के बारे में जागरुक किया गया। बताया गया कि डायबिटीज मरीज की आंख के पर्दे में सूजन आना, आंख के अंदर खून आ जाने से रोशनी जाने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में डॉक्टर को सही से जांच करके तुरंत ही मरीज का बेहतर और नई तकनीक से इलाज शुरू कर देना चाहिए। विकास ने बताया कि सूजन होने पर एक-एक माह पर तीन बार आंख के अंदर इंजेक्शन लगाकर नई तकनीक से बीमारी से बचाव हो सकता है। 

60 से 70 फीसदी तक आते हैं मरीज 
पीजीआई नेत्र रोग विभाग की प्रमुख प्रो कुमुदिनी शर्मा ने बताया कि संस्थान के इंडोक्राइन विभाग से ही रोजाना डायबिटीज के 70 से अधिक मरीज आते हैं। इनमें से 60 से 70 फीसदी डायबिटीज मरीजों में आंख के पर्दे की जांच में दिक्कत मिलती है। यानी कि इन डायबिटीज मरीज की आंख की रोशनी जाने का खतरा रहता है। ऐसे में इनका तुरंत इलाज किया जाता है। दिल्ली से आए कमेटी के चेयरमैन डॉ. ललित वर्मा व महाराष्ट्र ऑप्थॉमोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत बावनकुले, पीजीआई के डॉ. ईश भाटिया, डॉ. हिमांशू शुक्ला, डॉ. शोभित चावला, डॉ. अमित पोरवाल, डॉ. मधु भदौरिया, डॉ. राजेश सहाय, डॉ. गौरव निगम, डॉ. शोभित कक्कड़, डॉ. उपसम गोयल, डॉ. संजीव हंसराज, डॉ. समर्थ अग्रवाल, डॉ. कमलजीत सिंह आदि प्रमुख डॉक्टरों ने अपने विचार और सुझाव साझा किए।   

ऐसे करें बचाव 
- डायबिटीज से पीड़ित लोग शुगर और ब्लड प्रेशर को बहुत ही नियंत्रित रखें। 
- आलू, चावल, फ्राइड राइस, डिब्बा बंद जूस न पिएं, खाएं। 
- नियमित रूप से व्यायाम जरूर करें, हरी घास पर नंगे पांव चलें। 

क्रिटकल केयर का हुनर प्रदेश के डाक्टरों को सिखाएगा पीजीआई

क्रिटकल केयर का  हुनर  प्रदेश के डाक्टरों को सिखाएगा पीजीआई


एक्यूट क्रटिकल केयर कोर्स का नोडल सेंटर बना पीजीआई

कम होगी आईसीयू में भर्ती की जरूरत
कुमार संजय । लखनऊ


बीमारी के कारण या इलाज के दौरान कई बार मरीज की स्थित इतनी खराब हो जाती है कि मरीज को आईसीयू में क्रिटिकल केयर की जरूरत पड़ती है। क्रिटिकल केयर के लिए रोज मरीज के तीमारदारों को 20 से 40  हजार तक खर्च करना पड़ता है। क्रिटिकल केयर की सुविधा सरकारी अस्पतालों में कम होने के कारण बेड के लिए लंबी वेटिंग रहती है। इस परेशानी को कम करने के लिए प्लान बनाया गया है कि सामान्य डाक्टर जिसमें सर्जन भी शामिल है उनको इतना ट्रेंड किया जाए कि वह क्रिटिकल केयर अपने अस्पताल  मौजूदा संसाधन के साथ उपलब्ध करा दें। इसके लिए विदेश की तर्ज पर प्रदेश में एक्टूट क्रिटिकल केयर ट्रेनिंग मेडिकल कालेज. जिला अस्पताल के डाकटर को दिया जाएगा। ट्रेनिंग के लिए इंग्लैंड, अास्ट्रेलिया लंदन के भारतीय मूल के विशेषज्ञ  पूरे कोर्स की पूर रेखा तैयार किया है। ट्रेनिंग के लिए संजय गांधी पीजीआई को नोडल सेंटर बनाया है। ट्रेनिंग की शुरूआत करते हुए प्रदेश के चालिस डाक्टरों को तीन दिन क्रिटिकल केयर का हुनर भी विशेषज्ञों ने सिखाया। विशेषज्ञों ने संस्थान के निदेश प्रो.राकेश कपूर से मुलाकात हर स्तर पर संस्थान को सहयोग देने को कहा है।  
 
भारतीय मूल के इन विदेशीयों ने चलाई मुहिम   
इंग्लैंड के प्रो. महेश निर्मल, डा. अजय शर्मा, लंदन के डा.शैलवा कुमार, आस्ट्रेलिया के डा. शांतनु भट्टाचार्य, यूके से गीता शेट्टी सभी अपने क्षेत्र के माहिर लोग है। इनका कहना है कि सभी डाक्टर चाहे वह मेडिसिन का हो या सर्जन सभी को क्रिटकल केयर अाना चाहिए इससे इलाज की सफलता दर बढ़ती है । इसके लिए हम लोगों पूरा प्रोटोकाल बनाया है जिसमें ए से लेकर जे तक ट्रिप्स है। सबसे अहम है खून, एक्स-रे जांच लास्ट स्टेप है लेकिन भारत में यह स्टेप पहले है। जांच से पहले क्या करना है इसके बारे में पूरी जानकारी दी गयी है।   

20  फीसदी को पड़ती है क्रिटिकल केयर की जरूरत

कोर्स को-आर्डीनेटर एनेस्थेसिया विभाग के प्रो.संदीप साहू ने बताया कि इलाज के लिए आने वाले कुल मरीजों में लगबघ 20 फीसदी मरीज एेसे होते है जिनको क्रिटकल केयर की जरूरत पड़ती है। अधिक बीमारी पड़ने और मौत में काफी दूरी होती है समय पर मैनेजमेंट कर इनको बचाया जा सकता है। बताया कि विदेशों में एक्टूट क्रिटकल केयर ट्रेनिंग के बाद भी प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलती है लेकिन हमारे देश में एेसा नहीं है। इसी लक्ष्य को स्थापित करने के लिए प्रदेश के सभी डाक्टर को ट्रेनिंग देने का सिलसिला शुरू किया है। 40 लोगों को ट्रेंड किया है यह आगे दूसरे डाक्टर को ट्रेनिंग देने के लिए कोर्स का आायोजन करेंगे। हम हर स्तर पर सहयोग करेंगे।  

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018

आईआईएम के निदेशक गंभीर हार्ट एटैक के बाद पीजीआई में भर्ती

आईआईएम के निदेशक गंभीर हार्ट एटैक के बाद पीजीआई में भर्ती


वेंटीलेटर पर है प्रो.प्रसाद


आईआईएम के निदेशक प्रो. अजीत प्रसाद को गंभीर हार्ट एटैक के बाद संजय गांधी पीजीआई के पोस्ट अाफ आईसीयू में रिववार की भोर में 5.25 मनिट पर भर्ती किया गया। इनके परिजन रात में इलाज के रिपोर्ट के साथ रात में 12 बजे  आए थे। संस्थान के कार्डियोलाजी विभाग के प्रो. पीके गोयल ने स्थित देखने के बाद पोस्ट अाफ अाईसीयू में भर्ती करने की सलाह दी। सूत्रों के मुताबिक पोस्ट अाफ यूनिट के प्रो.एसपी अंबेश ने सारी स्थित जानने के बाद पोस्ट अाफ में रात में 1.30 मिनट पर बेड की व्यवस्था की जिसके बाद परिजन इन्हें लेकर वेंटीलेंटर एंबूलेस से पीजीआई लाए। प्रो. अंबेश के मुताबिक इनकी हालत काफी गंभीर थी हार्ट एटैक बहुत ही गंभीर था तमाम कोशिश के बाद इन्हे रिवाइव करने के साथ वेंटीलेटर पर रखने के साथ जरूररी दवाएं शुरू की गयी। प्रो.अंबेश ने बताया कि हालत में सुधार हो रहा है लेकिन अभी वह वेंटीलेटर पर ही इस स्थित के बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है। हम लोग पूरी कोशिश कर रहें है।  

मुख्यमंत्री ने निदेशक से कहा पीजीआई लखनऊ से दूर स्थापित करें सेटेलाइट सेंटर

मुख्यमंत्री ने निदेशक से कहा  पीजीआई लखनऊ से दूर स्थापित करें सेटेलाइट सेंटर

पीजीआई में लोकापर्ण और शिलान्यास

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कहा कि वह लखनऊ तक ही समिति न रहें लखनऊ से बाहर पीजीआई का सेटेलाइट सेंटर बनाएं। इसके लिए सरकार हर स्तर पर मदद करेंगे। पीजीआई का नाम जुडने से उस सेंटर पर फैकल्टी की कमी नहीं रहेगी क्योंकि पीजीआई एक ब्रांड है जो विश्व स्तर पर धाक जमा रखा है।
जिसका नतीजा है कि मेरे पास सबसे अधिक सिफारिश पीजीआई में बेड के लिए आती है। मुख्यंमंत्री आज इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर, किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर का शिलान्यास करने के साथ हिमैटोलाजी विभाग और लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर का लोकापर्ण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे संस्थान में लगबघ 550 बेड बढेगे जिससे आम जनता को राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पैसे वाले के हर जगह इलाज है लेकिन गरीबो के लिए इलाज आज भी चुनौती है जिसका सामना करने के लिए हम स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। हम प्रदेश में 13 मेडिकल कालेज खोल रहे है । इंफ्रास्टकचर तो खडा हो जाएहा लेकिन हमारी बडी चिंता फैकल्टी है कि कहां से मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि डाक्टर मरीजों का कोटा न फिक्स करें जितना अधिक मरीज देखेंगे उतना ही अधिक उन्हे सीखने को मिलता है। हर मरीज कुछ नया सीख दे जाता है।  चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि पीजीआई के स्थापना के लगभग तीस साल बाद अब दूसरे फेज का काम शुरू हुअा है अभी 985 बेड है जिसके लिए मारामारी मची रहती है।  राज्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि सरकार हर स्तर पर पीजीआई को मदद कर रही है। निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने कहा कि हम रेत पर निशान नहीं छोडना चाहते कि हवा आए निशान उड़ जाए इमरजेंसी मेडिसिन और किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर अमित निशान होगा। इस मौके पर ग्रमीण अभियंत्रण मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे।    

धरती के भगवान बने रहना चुनौती
मुख्यमंत्री ने कहा कि लगातार सीखने की ललक और मानवीय संवेदना के कारण डाक्टर को धरती का भगवना कहा जाता है लेकिन आज इन दोनों की कमी के कारण इन्हें धरती का भगवान बनने रहने की चुनौती है। पीजीआई के डाक्टर और कर्मचारी मन लगाकर काम करते है जिसके कारण संस्थान अपने स्थापना के कम उम्र में ही काफी नाम रोशन किया है। दूसरे संस्थानों को पीजीआई से सीख लेनी चाहिए।


निदेशक ने मुख्यमंत्री से की संवर्ग पुर्नगठन की मांग

निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने मुख्यमंत्री से मांग कि कर्मचारियों का संवर्ग पुर्नगठन लंबे समय से लंबित है जिसके लिए कर्मचारी परेशान है । कर्मचारीयों के काम कारण ही हम लोग सफल है यह खुश नहीं रहेंगे तो मन लागकर काम नहीं कर पाएंगे एेसे में मुख्मंत्री जी आफ से अनुरोध है कि इनके समस्या पर ध्यान देकर शीघ्र फैसला लिया जाए। मुख्यमंत्री को कर्मचारी नेताअों ने ज्ञापन भी दिया जिसमें सतवें वेतन अायोग के अनुसार भत्ते, 2001 की नियमावली में बदलाव, पीजीआई एम्स के अधीन करने और संवर्ग पुर्नगठन की मांग की गयी है।   


 इटावा से आए 12 वर्षीय सुजीत को नही दिया मिलने

मुख्यमंत्री  को पीजीआई आया देख 12 वर्षीय सुजीत कुमार जाटव मुख्यमंत्री से मिलने श्रुति आडीटोरियम पुंचा लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने नहीं मिलने दिया। सुजीत अपने भाई का इलाज कराने पीजीआई में अाया है। ग्राम पंचायत जुगौरा ग्राम बावरी पुर जिला इटावा का रहने वाले सुतीज ने  बताया कि उनके चाचा की हत्या वहां के एक नेता ने करा दी जिसकी कई जांच नहीं हो रही है । उसके बहन की भी हत्या हो गयी है पुलिस कुछ नहीं कर रही है।    

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

तो अब प्रतिभा भरेगी हौसले की उडान

...तो अब प्रतिभा भरेगी हौसले की उडान

दस साल भटकने के बाद मिला जिंदगी जीने का हौसला
पीजीआई के प्रो.विकास अग्रवाल के नुस्खे से मिली राहत 
कुमार संजय । लखनऊ
कोई जहर दे दे मर जाऊं।  एेसे जीने से क्या फायदा। मत कराअों कोई दवा जो होगा देखा जाएगा।  6 महीने पहले  कौशांबी जिले के ईशु पुरारा गांव की रहने वाली  23 वर्षीया प्रतिभा यही कहा करती थी । अब जीने की चाह है। घर -परिवार के लिए कुछ करना चहती हैं। संजय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट प्रो. विकास अग्रवाल और प्रो. दुर्गा प्रसन्ना की मेहनत रंग लायी । प्रतिभा की परेशानी कम हो गयी जिससे हौसले को पंख लग गए। प्रतिभा के लिए दस कदम चलना भी संभव नहीं था। सांस फूलने  लगती लेकिन अब वह दो से तीन किमी पैदल चल सकती है। एमए की पढाई की लिए वह कालेज जा रही है। प्रतिभा ने बताया कि 2006 में उसके हाथ-पैर की ऊंगलियों में घाव हो जाता था। मवाद नहीं पड़ता लेकिन पक जाता था । इसके बाद धीरे-धीरे सांस भी फूलने लगी। इलाहाबाद में तमाम सरकारी , निजि डाक्टरो ने इलाज किया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं। स्थिति इतनी बिगड़ जाती थी हर महीने चार से पांच दिन के लिए भर्ती होना पड़ता था। दस साल इलाज के दर-दर भटकते रहे। इसी बीच एक डाक्टर साहब ने कानपुर भेजा वहां पर भी इलाज हुअा लेकिन कोई फायदा नहीं हुअा। जनवरी 2017 में कानपुर के डाक्टर साहब ने पीजीआई भेजा जहां पर यह डाक्टर साहब बीमारी को पकड़ कर इलाज शुरू किया। इलाज के बारे में बताया कि यह उनका खोजा हुअा इलाज है सहमति हो तो इलाज का नस्खा दें। हमने हां कर दिया । इलाज शुरू हुअा इलाज के दो महीने बाद से राहत मिलने लगी। अब बिल्कुल फिट सी हो गयी हूं। 

अार्थिक तंगी के कारण गयी थी टूट
प्रतिभा ने बताया कि हम दो बहन और तीन भाई है। पिता बेरोजगार है। माता अागन बाडी कार्यकत्री है। खेती भी नहीं है एेसे में हर महीने में15 से 20 हजार खर्च करना बडा कठिन था। केवल एक भाई जो सिपाही है वहीं पूरा घर चलाता है। मुझे लगता था कि मेरे कारण पूरा घर परेशान है। सिपाही का वेतन भी कम होता है एेसे में हमारा इलाज. बाकी भाई बहनो की पढाई बडी मुश्किल से काम चल रहा है। 

नहीं था विश्व में आईएलडी विथ स्कैलोडर्मा का इलाज 

प्रो. विकास अग्रवाल के मुताबिक प्रतिभा को  फेफडे की खास तरह की बीमारी आईएलडी है। जिसका विश्व में कोई खास इलाज नहीं है। पूरे विश्व में साइक्लोफास्फोमाइड दिया जाता है लेकिन इस दवा से बीमारी बढ़ने की दर में कुछ ही कमी देखी गयी है। इस बीमारी से ग्रस्त होने पर व्यक्ति का फेफडा पांच से सात साल में काम करना बंद कर देता है जिससे मौत हो जाती है। हम लोगों ने एेसे मरीजों को एेसी खास दवा खोजी है जिससे मरीज के बीमारी के कारण होने वाली  परेशानियों में कमी देखी गयी है।  खास नुस्खे मरीज को चार से पांच फीसदी तक अाराम मिला अभी तक विश्व में एेसा कोई नुस्खा नहीं था जिसमें मरीज को अाराम मिले।  मरीज और उनके परिजन की अनुमति के बाद नए कंबीनेशन को ट्राइ किय़ा।  इस नए नुस्खे से कई लोगों को राहत मिल रही है। इस बीमारी में फेफडे में स्थित स्थित सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं कडी हो कर बंद हो जाती है जिससे फेफडा पूरी तरह अाक्सीजन नहीं ले पाता है और मरीज के शरीर में अाक्सीजन की कमी होने लगती है। बीमारी बढने के साथ फेफडा पूरी तरह काम करना बंद कर देता है।

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

पीजीआई में क्रमिक अनशन शुरू - संयुक्त मोर्चा के बैनर तले मांगो को लेकर अाक्रोशित है कर्मचारी

पीजीआई में क्रमिक अनशन शुरू

संयुक्त मोर्चा के बैनर तले मांगो को लेकर अाक्रोशित है कर्मचारी


संजय गांधी पीजीआई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के द्वारा प्रस्तावित क्रमिक धरना सोमवार से गया है।  संयुक्त मोर्चा की महत्वपूर्ण मांगों में प्रमुख रूप से संस्थान  की प्रथम विनी मावली 2011 में संशोधन किया जाना। एम्स दिल्ली में जिस तिथि से संस्थान के कर्मचारियों को वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं अनुमन्य की जाती है उसी तिथि से  समस्त कर्मचारियों अधिकारियों एवं शैक्षणिक वर्ग के कर्मचारियों पर लागू की जाए। धरने पर बैठे    श्री एन पी श्रीवास्तव श्री राजेश कुमार शर्मा श्रीमती रेखा मिश्रा जी श्री धर्मेश कुमार जी श्री जीतेंद्र कुमार यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन संस्थान की नियमावली में संशोधन नहीं करना चाहता है तो उत्तर प्रदेश शासन से अनुरोध है कि संस्थान  को केंद्र सरकार के अधीन करने हेतु अपनी स्वीकृति लिखित रूप से केंद्र सरकार को भेजने की कृपा करें। कहा कि  संस्थान के कर्मचारियों जिनको विगत 20 से 25 वर्षों से पदोन्नति का एक भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ है ऐसे  में एम्स दिल्ली  के आधार प्रमोशन दिया जाए।  संस्थान के अन्य सम्मानित कर्मचारी भी क्रमिक धरना स्थल पर आकर अपना सहयोग प्रदान किया

पीजीआई में मंहत परमहंस दास से नहीं मिल पाए डा. प्रवीण तोगडिया



पीजीआई में मंहत परमहंस दास  से नहीं मिल पाए डा. प्रवीण तोगडिया 


ड्रिप के साथ अोरल फीड लेना किया शुरू

संजय गांधी पीजीआई के पोस्ट अाफ आईसीयू में भर्ती मंहत परमहंस दास से मिलने पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के नेता डा. प्रवीण तोगडिया को को मंहत से नहीं मिलने दिया गया। तोगडिया ने अारोप लगाया कि शासन -प्रशासन एक डाक्टर को मरीज से नहीं मिलने दे रहा है। दोपहर लगभग 12.17 मिनट पर तोगडिया संस्थान पहुंचे । संस्थान परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पहले टाइट थी। अस्पताल परिसर में स्थित निदेशक कार्यालय प्रवेश द्वार से इन्हें अंदर निदेशक कार्यालय लाया गया जहां पर निदेशक प्रो. राकेश कपूर, इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. सुशील गुप्ता, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह सिंह सहित कई अधिकारियों ने इन्हें रिसीव कर कक्ष में बैठाया । बंद कमरे में पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। लगभग 12.56 पर तोगडिया सहित कई अधिकारी कमरे से बाहर निकले। तोगडिया सीधे निकासी द्वार पर बाहर निकले जहां पर उन्होने कहा कि हमें मंहत जी से नहीं मिलने दिया गया। मैं खुद कैंसर का डाक्टर हूं लेकिन डाक्टर को मरीज से नहीं मिलने दिया गया। हमने प्रार्थना की मंहत के दर्शन करने दे लेकिन नहीं करने दिया हम झगडा तो नहीं कर सकते हैं। संसद में राम मंदिर के कानून की बात करने वाले आज परमहंस जी राम मंदिर की बात करने के कारण इनके गुनहगार हो गए। इन्हे जबरन घसीट कर लाया गया। कहा कि महंत की क्रिटिकल है तो हम इन डाक्टरों से भी सीनियर है हम भी उनकी गंभीरता देख लेते। 


मंहत जी ने इलाज लेना किया शुरू

मंहत जी केवल मुंह के जरिए पानी ले रहे थे जिससे सुधार नहीं हो रहा था । देर रात निदेशक और जिला प्रसासन के लोग मंहत को काफी देर तक समझाए तब वह इलाज लेने को राजी हुए। ड्रिप के जरिए दवाएं दी जा रही है। स्थित में तेजी से सुधार हो रहा है। मंगलवार को सुबह 11 बजे के करीब निदेशक फिर मंहत  के पास गए और उन्होंने जूस पिला कर अोरल फीड शुरू कराया। 


पोस्ट अाफ आईसीयू में महंत जी अलावा 15 मरीज भर्ती है जिसमें कई लोग वेंटीलेटर पर है। प्रवीण जी आईसीयू में जाते इनके साथ लोगों की भीड़ भी जाती जिससे बाकी मरीजों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता । इसके अलावा इनके वहां जाने से इनमें भी संक्रमण होने की आशंका रहती है। प्रवीण जो को मंहत जी के बारे में सारी जानकारी दी गयी वह संतुष्ट होकर गए। मंहत जी स्थित में सुधार हो रहा है.....निदेशक प्रो.राकेश कपूर