रविवार, 25 फ़रवरी 2018

प्री एनेस्थेसिया चेक अप में तीस फीसदी में पकड़ अाती है बीमारी- सर्जरी के लिए जाएं तो बताएं पहले से कौन सी खा रहे हैं दवा



पीजीआई में पीजी एनेस्थेसिया रिफ्रेशर कोर्स



प्री एनेस्थेसिया चेक अप में तीस फीसदी में पकड़ अाती है बीमारी

प्री एनेस्थेसिया चेक अप से एनेस्थेसिया विशेषज्ञ पहले से होता है एलर्ट 

बिना चेक अप सर्जरी से 20  फीसदी में हो सकती है गंभीर परेशानी

जागरणसंवाददाता। लखनऊ      

सर्जरी से पहले प्री एनेस्थेसिया चेक अप में तीस फीसदी लोगों में सालों से शरीर में घर बना चुकी बीमारी पकड़ में अाती है  लेकिन प्री एनेस्थेसिया चेक अप तमाम अस्पतालों में नहीं होता है। इससे सर्जरी के दौरान एनेस्थेसिया के कारण परेशानी की अाशंका बढ़ जाती है। कई बार है यह काफी गंभीर होती है। संजय गांधी पीजीआई में पीजी एनेस्थेसिया रिफ्रेशर कोर्स में विशेषज्ञों ने कहा कि मरीज के तीमार दार भी  सर्जरी से पहले प्री एनेस्थेसिया चेक अप की मांग करें। एनेस्थेसिया के डाक्टर भी जहां काम कर रहे है वहां सिस्टम विकसित करें। कोर्स के अायोजक प्रो.संदीप साहू ने बताया कि 45 साल की अायु की बाद सर्जरी के लिए अाने वाले 30 फीसदी से अधिक लोगों में हाई बीपी, डायबटीज, अस्थमा, फैटी लिवर डिजीज, लिपिड प्रोफाइल में गड़बडी, एनीमिया सहित कई परेशानी मिलती है। इन परेशानियों का इलाज करने के बाद सर्जरी प्लान करना चाहिए। सर्जरी की इमरजेंसी है तो एनेस्थेसिया विशेषज्ञ को उस परेशानी के साथ एनेस्थेसिया देने की तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे जटिलता की अाशंका कम हो जाती है। प्रो.साहू ने कहा कि प्री एनेस्थेसिया चेक अप न होने से सीधे सर्जरी करने पर सात से 20 फीसदी में गंभीरता जटिलता की अाशंका रहती है। 


दिल के मरीजों में सर्जरी से पहले जाने दिल की परेशानी की गंभीरता
 
एसजीपीजीआर्ई के प्रो. प्रभात तिवारी ने कहा कि दिल की मरीजों में दिल की बीमारी कितनी है इसका पता लगाने के बाद सर्जरी के लिए एनेस्थेसिया प्लान करना चाहिए। मरीज का ईसीजी, इको जांच कर बीमारी का गंभीरता देेखते है। एनेस्थेसिया की दवाएं और मात्रा बीमारी के अनुसार तय करनी चाहिए। कहा कि सर्जरी के दौरान मरीज में हार्ट एटैक भी पड़ सकता है इससे निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। मरीज में पहले से दिल की परेशानी से बचाने के लिए दवाएं देनी चाहिए।   


मोटापा ग्रस्त मरीजों में शरीर के अंगों पर अधिक रहता है लोड

एम्स दिल्ली के प्रो.लोकेश कश्यप ने कहा कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में उनके दिल, लिवर और फेफडे को अधिक काम करना पड़ता है जिससे वह जल्दी जबाव देने लगता है। एेसे लोगों के शऱीर के अंगों पर पहले से अदिक लोड़ है एेसे में इनकी सर्जरी के दौरान बेहोशी देने के लिए दवा और डोज तय करने में अधिक सावधानी की जरूरत है। दवा की मात्रा शरीर के भार के अनुसार दी जाती है एेसे में अगों पर और अधिक लोड पड़ने पर फेल्योर की स्थित अा सकती है। 


सर्जरी से पहले डाक्टर को बताएं कौन सी चल रही है दवा

किसी भी सर्जरी के लिए जाने से पहले अपने डाक्टर को जरूर बताएं कौन -कौन सी दवाएं चल रही है। सर्जरी से पहले खून पतला करने की दवाएं बंद करते है। बीटा ब्लाक जैसी दवाएं नहीं बंद की जाती है। डायबटीज है तो खाने की गोली बंद कर इंसुलिन पर लेते है। एनेस्थेसिस्ट को पहले से चल रही दवाओं के बारे में जानकारी नहीं है तो वह अपने हिसाब से दवाएं तय करते है जिसमें रिस्क हो सकता है। 

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