बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

दिल ही नहीं पैर की रक्त वाहिका में होती है स्टंटिंग

दिल ही नहीं पैर की रक्त वाहिका में होती है स्टंटिंग

पेऱीफेरल अार्टरी डिजीज में इंटरवेंशन तकनीक से की जाती है वैलूनिंग


अभी तक यही पता था कि दिल की रक्त वाहिका में रूकावट होने पर उसमें स्टंट डालकर रक्त प्रवाह सामान्य किया जाता है अब पैर की रक्त मुख्य रक्त वाहिका में रूकावट होने पर वैलूनिंग और स्टंटिंग कर रक्त प्रवाह को सामान्य किया जाता है। संजय गांधी पीजीआई में सोसाइटी फार इंटरवेंशन रेडियोलाजी के अधिवेशन में अायोजक प्रो.शिव कुमार ने बताया कि  शरीर के निचले हिस्से पैर, पेलविस, जनांग में रक्त मुख्य रक्त वाहिका एरोटा और इलियक से पहुंचता है । उम्र बढ़ने के साथ इस रक्त वाहिका में रूकावट अा जाती है जिसके कारण इन अंगों में रक्त संचार रूक जाता है या कम हो जाता है जिसके कारण पैर में दर्द, पैर ठंडा, पहना , पैर में घाव, गैंगरीन की परेशानी होती है। जनांग में रक्त संचार कम होने के कारण नपुंसकता की स्थित तक अा जाती है। विशेषज्ञों ने बताया कि हम लोग केथेडर से जहां पर रूकावट होती है नस में  वहां पर पहुंच रूकावट को दूर कर वैलूनिंग करने के बाद स्टंट लगा देते है जिससे रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है। बताया कि   65 के बाद 12 से 20 फीसदी लोगों में पेरीफेरल अार्टरी डिजीज की परेशानी होती है।   

सूई से ब्रर्टीब्रा में बोन सीमेंट भर कर ठीक होगा फ्रैक्टर
 
सूई से ब्रर्टीब्रा( रीढ़ की हड्डी की कशेरूका) में बोन सीमेट भर कर इसके फ्रैक्टर को ठीक करना संभव हो गया है। इस तकनीक को ब्रर्टीब्रा प्लास्टी या केफैलोप्लास्टी कहा जाता है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डी में कैल्शियम की कमी के कारण कशेरूका में फ्रैक्टर हो जाता है जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में दर्द के कारण पीढ़ में दर्द, कमर सीधे न होने की परेशानी होती है । इंटरवेंशन तकनीक से जिस कशेरूका में फ्रैक्टर होता है वहां पर उसके अंदर निडिन से पहले होल बनाते है फिर उसके अंदर बोन सीमेंट भर देते है इसमें एक घंटे का समय लगता है और मरीज अोपेन सर्जरी से बच जाता है। लाइफ स्टाइन ठीक हो जाती है।

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