पीजीआई में ब्रासकान-2018
ट्यूमर का अाकार घटा कर बचाया जा सकता है स्तन
बढ़ रही है स्तन कैंसर के प्रति जागरूरकता
अब चालिस फीसदी महिलाएं स्तन कैंसर के शुरूअाती दौर में ले रही है विशेषज्ञ से सलाह
नहीं है जीवन के अायु पर फर्क
प्रो.ज्ञान चंद का कहना है कि स्तन कैंसर के इलाज में पूरा स्तन निकलाने और स्तन को बचाने दोनों इलाज की तकनीक में टोटल सर्वाइवल लगभग बराबर है। कहने का मतलब है कि स्तन कैंसर युक्त महिला का जीवन दस साल है दोनों तकनीक से इलाज में जीवन दस साल ही रहेगा। देखा गया है कि स्तन बचाने वाली सर्जरी में कुछ मामलों में लोकल रीकरेंश होता है जिसका इलाज कर दिया जाता है।
पीठ और पेट की चर्बी से बनाते है स्तन
प्रो. अंकुर भटनागर ने बताया कि स्तन निकल जाने पर हम लोग पीठ की मांसपेशी ( लैटिमस डोरसाई) , पेट की चर्बी से स्तन बना देते है इसके अलावा जिन महिलाअों में केवल स्तन में ट्यूमर को निकाला जाता है वहां गडढे को स्तन की मांसपेशी से भर जाते है जिससे स्तन का अाकार खराब नहीं होता है। जिनमें यह संभव नहीं होता उनमें इंप्लांट लगाते हैं। अब तक पीजीआई में हम लोग 30 से अधिक महिलाअों में ब्रेस्ट रीकांस्ट्रेक्टिव सर्जरी कर चुके हैं।
वहीं कराएं इलाज जहां हो सब सुविधा
विशेषज्ञों ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज उसी सेंटर पर कराना चाहिए जहां पर मल्टी स्पेशिएल्टी हो जिससे इलाज की सफलता दर बढ़ती है और मरीज को दौड़ना नहीं पड़ता है। स्तन कैंसर के इलाज के लिए मल्टी डिस्पेलेनरी विशेषज्ञता की जरूरत होती है जिसमें इंडो सर्जन ,प्लास्टिक , रेडियोथिरेपी, हिस्टोपैथोलाजिस्ट , रेडियोलाजिस्ट की अहम भूमिका है
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