फरवरी के बाद धीमा हो जाएगा एचएमपीवी वायरस
1.38 फीसदी में वायरल निमोनिया का कारण है एचएमपीवी
एचएमपीवी वायरस से न हों परेशान, बस बरतें सावधानी
आईसीएमआर ने वायरल निमोनिया के कारण जानने के लिए किया शोध
देश का सबसे बड़ा शोध
कुमार संजय
ह्यूमन मेटा न्यूमोवायरस (एचएमपीवी) को लेकर देश का सबसे बड़ा शोध सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। शोध के अनुसार, फरवरी के बाद वायरस का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगेगा। यह शोध मई 2022 से बाबा ऱादव दास मेडिकल कालेज कालेज के रोग विभाग में आने वाले बच्चों पर शिरू हुआ । विशेषज्ञों के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में, विशेष रूप से कमजोर इम्यून सिस्टम वाले बच्चों में संक्रमण की आशंका अधिक होती है। हालांकि, संक्रमित बच्चों में केवल 1% मामलों में गंभीर जटिलता की संभावना होती है, जिसे सपोर्टिव थेरेपी जैसे ऑक्सीजन थेरेपी, संतुलित आहार और लक्षण आधारित उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है।
943 बच्चों पर हुआ अध्ययन
आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (एआरआई) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (एसएआरआई) के शिकार पांच साल से कम उम्र के 943 बच्चों पर शोध किया। इसमें पाया गया कि 1.38% बच्चों में श्वसन तंत्र में संक्रमण का कारण एचएमपीवी वायरस था, बाकी में दूसरे वायरस थे।
आईसीएमआर की मुख्य शोधकर्ता डॉ. हीरावती देवल ने बताया कि एचएमपीवी वायरस की सक्रियता ठंड के दौरान अधिक होती है और फरवरी-मार्च के बाद इसका प्रभाव कम होने लगता है। यह एक सामान्य वायरस है, जिससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी में वायरस की पुष्टि होती है, तो सतर्कता बरतना आवश्यक है। इसके तहत, बच्चे के आसपास रहने वालों को मास्क पहनने और हाथ साफ रखने की जरूरत होती है।
श्वसन तंत्र के संक्रमण के लिए नौ प्रमुख वायरस जिम्मेदार
शोध के दौरान यह भी पाया गया कि श्वसन तंत्र के संक्रमण के लिए नौ वायरस जिम्मेदार हैं:
पैराइन्फ्लुएंजा वायरस
एडेनोवायरस
आरएसवी-बी
इन्फ्लूएंजा-ए
सार्स-कोविड-2
एचएमपीवी
आरएसवी-ए
इन्फ्लूएंजा-बी
एचआरवी
इनमें सबसे अधिक 11.13% मामलों में पैरा इन्फ्लूएंजा वायरस और दूसरे नंबर पर एडिनोवायरस का संक्रमण देखा गया।
बच्चों को परेशान करता है निमोनिया
श्वसन तंत्र के संक्रमण के कारण निमोनिया और बाल मृत्यु दर 14.3% तक देखी गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार, एक से पांच वर्ष के बच्चों की मृत्यु के 15.9% मामलों में निमोनिया प्रमुख कारण है।
वायरल संक्रमण के मुख्य लक्षण
नाक से पानी बहना
ठंड लगना और कंपकंपी
सांस लेने में परेशानी
उल्टी
पेट दर्द
कैसे हुआ यह शोध?
हॉस्पिटल बेस्ड सर्विलांस ऑफ रेस्पिरेटरी वायरस इन चिल्ड्रेन अंडर फाइव इयर्स ऑफ एज विद एआरआई पर देश का सबसे बड़ा शोध किया गया।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के रीजनल सेंटर, गोरखपुर से डॉ. हीरावती देवल के निर्देशन में यह शोध किया गया। शोध दल में शामिल वैज्ञानिकों में प्रमुख रूप से मिताली श्रीवास्तव, नेहा श्रीवास्तव, नीरज कुमार, रोहित बेनीवाल, राजीव सिंह, अमन अग्रवाल, गौरव राज द्विवेदी, स्थिता प्रज्ञा बेहरा, आसिफ कवाथेकर, संजय प्रजापति, सचिन यादव, दीप्ति गौतम, नलिन कुमार, आसिफ इकबाल, रजनी कांत और वर्षा पोतदार शामिल थे।
इसके अलावा, बाल रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर की डॉ. अनिता मेहता, भूपेन्द्र शर्मा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अमरेश कुमार सिंह, विवेक गौड़, एम्स गोरखपुर के डॉ. महिमा मित्तल और आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी, चेन्नई के डॉ. मनोज मुरहेकर भी इस शोध में सम्मिलित हुए।
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