रविवार, 19 जनवरी 2025

पीजीआई में रेयर डिजीज जीपीडी-1 डिफिशिएंसी से ग्रस्त देश के चौथे शिशु का इलाज

 

6 माह के  शिशु में हो सकता है फैटी लिवर 


पीजीआई में रेयर डिजीज जीपीडी-1 डिफिशिएंसी से ग्रस्त देश के चौथे शिशु का इलाज


पूरे दुनिया में अब तक 30 बच्चों में चला है इस बीमारी का पता  


संजय गांधी पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने एक दुर्लभ बीमारी जीपीडी-1 डिफिशिएंसी से ग्रस्त 6 महीने के शिशु का इलाज सफलतापूर्वक किया है। यह भारत में इस बीमारी का चौथा मामला था। दुनिया भर में इस प्रकार के लगभग 30 मामले सामने आए हैं जिनकी उम्र एक माह से 13.6 वर्ष के बीच रही है। भारत में अब तक तीन मामलों की रिपोर्ट हुई है जिसमें से एशिया से केवल 9 मामले सामने आए हैं। जीपीडी-1 की कमी से बच्चों में फैटी लिवर का एक दुर्लभ कारण बन सकता है। समय पर इलाज से इसमें सुधार संभव है।  ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ा हुआ हो और लिवर की समस्या हो उनमें इस बीमारी की पुष्टि के लिए जीन परीक्षण कराना चाहिए।  


 


क्या है जीपीडी-1 डिफिशिएंसी?

जीपीडी-1 (ग्लिसरॉल-3-फास्फेट डिहाइड्रोजिनेज 1) जीन में उत्परिवर्तन (मू्यटेशन) के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है, जो बच्चों में फैटी लिवर का कारण बनता है। इस बीमारी में ग्लिसरॉल-3-फास्फेट डिहाइड्रोजिनेज 1 रसायन की कमी हो जाती है, जिसके कारण लिवर में फैट जमा होने लगता है। समय पर इलाज न मिलने पर लिवर की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।


शिशु में यह थी परेशानी

पीजीआई में 6 महीने का शिशु इलाज के लिए आया था, जो स्वस्थ माता-पिता का दूसरा बच्चा था। उसे चार महीने की उम्र से पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन और बढ़े हुए लिवर की समस्या थी। शिशु का वजन 3.8 किलोग्राम और लंबाई 56 सेंटीमीटर थी। उसकी रक्त जांच में यूरिया का स्तर 9.4 मिलीग्राम/डीएल, ट्राइग्लिसराइड का स्तर 627 मिलीग्राम/डीएल और लिवर एंजाइम्स (एसजीओटी 360 यू/एल और एसजीपीटी 164 आईयू/एल) बढ़े हुए थे। अल्ट्रासोनोग्राफी में ग्रेड टू फैटी लिवर पाया गया, और लिवर बायोप्सी से यह पुष्टि हुई कि लिवर में 90% फैट जमा हो चुका था।


ऐसे हुई इलाज



विशेषज्ञों ने शिशु को कम वसा और ट्राइग्लिसराइड आधारित आहार दिया। छह महीने बाद, ट्राइग्लिसराइड और लिवर एंजाइम्स के स्तर में सुधार देखा गया।  इस प्रकार के बच्चों का हर 3 से 6 महीने में लिवर प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल और अल्ट्रासाउंड परीक्षण कराया जाना चाहिए।


इलाज करने वाले विशेषज्ञ

इस दुर्लभ मामले का इलाज संजय गांधी पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. आशय शाह और प्रिज्म बाल चिकित्सा गैस्ट्रो सेंटर, अहमदाबाद के विशेषज्ञों ने किया। इस मामले की रिपोर्ट को "ग्लिसरॉल-3-फॉस्फेट डिहाइड्रोजिनेज 1 डिफिशिएंसी: ए रेयर कारण ऑफ फैटी लिवर डिजीज इन चिल्ड्रन" विषय के तहत इंडियन पीडियाट्रिक जर्नल में जनवरी 2025 में प्रकाशित किया गया है।

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