मोटापा-
छीन रहा है मातृत्व ऊपर से दिल की खड़ी कर सकता है परेशानी
मोटापे
के शिकार महिलाओं में पीसीओएस और हाई कोलेस्ट्रॉल
228 पीसीओएस महिलाओं पर हुआ शोध
मोटापे
के शिकार 42.5 फीसदी पीसीओएस
कुमार संजय। लखनऊ
अनियमित
दिनचर्या, फास्ट फूड नतीजा मोटापा । मोटापे के
कारण मां बनने में परेशानी के साथ ही दिल की बीमारी का खतरा युवतियों में बढ़ रहा
है। किंग जॉर्ज मेडिकल विवि के उन्नत अनुसंधान केंद्र की डा. अपर्णा शुक्ला , स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ. रेनू सिंह ने पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
(पीसीओएस) ग्रस्त महिलाओं में शरीर भार, कोलेस्ट्रॉल का स्तर से रिश्ता जानने
के लिए शोध किया तो पता चला कि पश्चिमी लाइफस्टाइल के कारण पीसीओएस हो सकता है। इस
शोध को इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल क्यूरस ने हाल में ही स्वीकार किया है। पीसीओएस
ग्रस्त महिलाओं को मां बनने में परेशानी होती है। अनियमित मासिक चक्र गर्भ धारण में
परेशानी खड़ी करता है। बचाव के लिए वजन कम करना जरूरी है। इसके लिए लाइफ स्टाइल को
बदलने की जरूरत है।
मोटापा
और कोलेस्ट्रॉल के बीच है मिला संबंध
प्रसूति
एवं स्त्री रोग विभाग में आने वाले पीसीओएस वाले रोगियों में लिपिड प्रोफाइल और
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के बीच जटिल संबंध का पता लगाने के लिए 20.4 से 30.4 वर्ष की औसत आयु वाले 228 महिलाओं शोध किया गया। 45.6 फीसदी वर्तमान में विवाहित थी। 28.1 फीसदी अधिक वजन वाली थी। 42.5 फीसदी
मोटापे के शिकार थी। 28.5 फीसदी महिलाओं में सीरम कोलेस्ट्रॉल 200 मिलीग्राम/डीएल से अधिक यानि बढ़ा हुआ था। 70.2 फीसदी में ट्राइग्लिसराइड्स 150 मिलीग्राम/डीएल से अधिक मिला। अधिक
वजन, ट्राइग्लिसराइड्स, कुल कोलेस्ट्रॉल के साथ महत्वपूर्ण रूप से
संबंधित है।
50 फीसदी नहीं लगता है बीमारी का पता
शोध
रिपोर्ट के मुताबिक पीसीओसी अंतःस्रावी
ग्रंथि का विकार है जो प्रजनन आयु की लगभग 5-18
फीसदी महिलाओं को प्रभावित करता है। 50 फीसदी से अधिक महिलाओं का या तो बीमारी का पता
नहीं हो पाता है या देर से होता है।
जीवनशैली के पश्चिमीकरण के कारण पीसीओएस बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक
पीसीओएस प्रजनन स्वास्थ्य के साथ-साथ चयापचय(मेटाबोलिक) को प्रभावित करता है।
क्या
है पीसीओएस
पॉलीसिस्टिक
ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) है जो हार्मोन को प्रभावित करती है। यह अनियमित मासिक
धर्म, अतिरिक्त बाल विकास, मुँहासा और बांझपन का कारण बनता है।पीड़ित
लोगों को मधुमेह और उच्च रक्तचाप खतरा अधिक हो सकता है।
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