मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024

कीटनाशक विषाक्तता का सही इलाज मिले तो सौ फीसदी को बचाना संभव


 क्रिटिकांन -2024


 


कीटनाशक विषाक्तता का सही इलाज मिले तो सौ फीसदी को बचाना संभव


 


सही इलाज न मिलने पर 15 फीसदी में हो जाता है घातक


 


कीटनाशक विषाक्तता खासतौर पर  ग्रामीण क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण  समस्या है। कई किसान अनजाने में शिकार होते है तो कई बार लोग जीवन लीला समाप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल जानबूझकर करते हैं। ऑर्गनोफॉस्फोरस कीटनाशक की विषाक्तता होने पर सही इलाज से सभी को बचाया जा सकता है। सही समय पर सही इलाज न मिलने पर 15 फीसदी से अधिक मामले घातक हो जाते हैं। क्रिटिकांन 2024 में इस विषय़ पर आयोजित एक सत्र में प्रो. तनमय घटक ने बताया कि समय पर यदि मरीज आ जाए तो दवाओं से मरीज की जिंदगी बचा सकते हैं। पहले पेट में नली डालकर रसायन को बाहर निकालते हैं। इसके बाद लक्षण के आधार पर एट्रोपिन दवा देते है जिससे हार्ट रेट बढ़ जाता है। रेस्पायरेटरी पैरालिसिस की आशंका कम हो जाती है। इसके आलावा पैली डाक्सीन एक नई दवा भी आयी है जो विषाक्तता के प्रभाव को कम करती है। प्रो. तमनय ने बताया कि मुख्य उपचार - एट्रोपिन, ऑक्सिम्स और डायजेपाम  को सबसे अच्छा उपचार है लेकिन तमाम को नहीं पता है। यह दवाएं ऊतकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार करती है।  एट्रोपिन श्वसन में  सहायता करता है। गैस्ट्रिक लैवेज की भूमिका है  लेकिन रोगी के स्थिर होने के बाद ही इसे किया जाना चाहिए। ऑर्गनोफॉस्फोरस विषाक्तता के बेहतर चिकित्सा प्रबंधन के परिणामस्वरूप दुनिया भर में आत्महत्या से होने वाली मौतों में कमी लायी जा सकती है। ऑर्गन फास्फोरस कीटनाशक  मौतों में से लगभग दो-तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं । हर साल 15 से 30 फीसदी  मरीज कीटनाशकों  जहर खाकर मर जाते हैं।


क्या करता है कीट नाशक


ऑर्गनोफॉस्फोरस कीटनाशक एस्टरेज़ एंजाइम को बाधित करते हैं। एसिटाइलकोलिनेस्टरेज़ अवरोधन के परिणामस्वरूप  तंत्रिका तंत्र, सीएनएस(नर्वस सिस्टम), और न्यूरोमस्कुलर जंक्शनों में एसिटाइलकोलाइन का संचय और एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स की अधिक उत्तेजना होती है जिसके कारण परेशानी होती है। दवाएं इन्ही पर काम करती है। 


 


यह परेशानी तो तुरंत लें सलाह


 


 


- सांस लेने में परेशानी


- रोना


 


-    पेशाब


 


-दस्त


 


-    अल्प रक्त-चाप


मंदनाड़ी


-उल्टी करना


-लार निकालना


 


आईसीयू में बुखार माने सेप्सिस ही नहीं


 


हर बुखार सेप्सिस नहीं होता है। आईसीयू में बुखार होने पर तुरंत मान लिया जाता है कि सेप्सिस हो गया है। प्रो. तमनय घटक कहते है कि केवल 30 से 40 फीसदी में बुखार को कारण सेप्सिस होता है। बाकी में बुखार के दूसरे कारण उस पर ध्यान देने के बाद इलाज की दिशा तय करनी चाहिए। कई दवाओं के कारण भी बुखार होता है।

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