गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

Pgi नर्सेज एसोसिएशन ने दी आंदोलन की चेतावनी






 Pgi नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन द्वारा प्रशासनिक भवन के सामने प्लाजा पर आम सभा का आयोजन किया गया। आम सभा में नर्सिंग कैडर से लगभग 200 सदस्यों ने भाग लिया आमसभा में यूनियन के पदाधिकारियों और अन्य सीनियर्स द्वारा ट्रेड यूनियन एक्ट ,NSA का महत्व और इतिहास, यूनियन के पिछले 1 वर्ष की उपलब्धियां और लंबित मुद्दों,नर्सिंग के कानूनी पहलू ,नर्सिंग अनुशासन व नर्सिंग देखभाल, यूनियन की एकता एवं उसका महत्व,यूनियन के पिछले एक वर्ष की आय और व्यय का संपूर्ण विवरण आदि के विषय में चर्चा हुई।

कैडर की लंबित मांगों में से एक pay fixation और protection के कारण कैडर के सदस्यों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है जिसके लिए आम सभा में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया यदि 10 दिनों के अंदर पीजीआई प्रशासन ने इसका समाधान नहीं किया तो नर्सिंग स्टॉफ ऐसोशिएशन आंदोलन के लिए बाध्य होगी,जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी संस्थान प्रशाशन की होगी।

बुधवार, 27 दिसंबर 2023

गुर्दा रोगियों के लिए प्रोटीन युक्त भोजन फायदेमंद

 गुर्दा रोगियों के लिए प्रोटीन युक्त भोजन फायदेमंद




-पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से सोसायटी ऑफ रीनल न्यूट्रीशन एण्ड मेटाबोल्जिमनिर्धारण पर कार्यशाला

-गुर्दा मरीज अचानक कोई भी खानपान न छोड़ें


गुर्दा रोगी खानपान में परहेज करें, लेकिन पूरी तरह से कोई भी चीज बंद नहीं करें। इन्हें प्रोटीन युक्त भोजन बहुत जरूरी है। प्रोटीन, कैलोरी, मिनरल, विटामिन व अन्य जरूरी पोषक तत्व भोजन के जरिए ही मिलते हैं। गुर्दा मरीजों के लिये इलाज के साथ ही खानपान अहम होता है। मरीज बिना डॉक्टर और न्यूट्रीशयन की परामर्श के खाने में बहुत सी चीजों का परहेज करने लगते हैं। जो सेहत के लिये हानिकारक है। खासकर दूध, दही और अण्डा आदि के न खाने से मरीजों में कुपोषण बढ़ने लगता है। यह बातें यह बातें रविवार को पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद ने विभाग की ओर से सोसायटी ऑफ रीनल न्यूट्रीशन एण्ड मेटाबोल्जिम पर आयोजित कार्यशाला में दी। असंल एक होटल में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उदघाटन पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमान ने किया। कार्यशाला में गुर्दा रोग विशेज्ञों ने 300 से अधिक डायटिशियन को गुर्दा मरीजों के भोजन निर्धारण की जानकारी दी।

नवजातों में होती है ये दिक्कतें

कार्यशाला के आयोजक चैयरमैन डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि जन्म के समय नवजात में यदि पेशाब रूक-रूक कर हो रहा है। पेशाब का रंग लाल है, पेशाब करते समय नवजात रोता है। तो तुरन्त नेफ्रोलॉजिस्ट की सलाह लें। यह गुर्दे के बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। जन्म के समय नवजात के सभी अंगों को देखना चाहिये। उन्होंने बताया कि बेवजह दर्द की दवा और एंटीबायटिक दवाओं के सेवन से गर्दे की दिक्कत हो सकती है। पेशाब और खून की मामूली जांच से बीमारी की पहचान की जा सकती है।

भोजन के साथ रोज पांच ग्राम नमक खाएं

कार्यशाला के आयोजक सचिव डॉ. मानस रंजन बेहरा ने बताया कि गुर्दा और ब्लड प्रेशर के मरीज नमक का सेवन कम करें। रोजाना पांच ग्राम तक नमक का सेवन फायदेमंद है। खासकर सेंधा नमक खाने से बचें। इसमें पोटेशियम अधिक होता है। शरीर में पोटिशयम की मात्रा बढ़ने पर मरीज बेहोश हो जाता है। इसके अलावा एक ग्राम प्रति किग्रा वजन के हिसाब से प्रोटीन लेना चाहिए। यदि गुर्दा मरीज है तो उसे 0.8 ग्राम प्रति किग्रा. वजन के हिसाब प्रोटीन जरूरी है। 

10 में से एक व्यक्ति सीकेडी का शिकार 

अहमदाबाद के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विन डाभी ने बताया कि देश में 10 में से एक व्यक्ति क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) की चपेट में है। देश में दो लाख से अधिक गुर्दा रोगियों को डायलिसिस की जरूरत है। अधिक खर्चे और संसाधन न होने की वजह से अधिकांश मरीज गुर्दा प्रत्यारोण नहीं करा पाते हैं। इस दिशा में काम करने की जरूरत है। इस मौके पर पीजीआई की डायटिशियन शिल्पी पाण्डेय, निरुपमा सिंह और अर्चना सिन्हा समेत भारी संख्या में डॉक्टर कौर डायिटिशियन मौजूद रहीं।

मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

पीजीआई जान की बाजी लगा कर बचाया 25 से अधिक लोगों जीवन

 



जान की बाजी लगा कर बचाया 25 से अधिक लोगों जीवन  

कई को देना पड़ा ऑक्सीजन सपोर्ट

एक गर्भवती डाक्टर ने दिखाया जज्बा


संजय गांधी स्नातकोत्तर पीजीआई के इंडो सर्जरी ओटी में आग लगने के समय आईसीयू और ओटी में 25 से अधिक मरीज थे । धुआं भरने के कारण इनके जीवन पर खतरा था इन्हे निकालने के लिए संस्थान के कर्मचारी अधिकारी अपने जान की परवाह न करते हुए इऩ्हें सुरक्षित निकालने में लगे रहे। कार्डियक ओटी में मे आपरेशन कर प्रोफेसर शान्तनु पाण्डे, एन्डोसर्जरी ओ टी में प्रो ज्ञान चंद, प्रो, सब्बा रत्मन , एनेस्थीसिया की डाक्टर चेतना शमशेरी, डा० संदीप साहू डा० संजय कुमार, डा० अंकुश, डा० तपस, रेजीडेंट - डा० श्वेता, डा० शिप्रा , डा० राजश्री , डा० निशांत, डा० आकाश जेरोम, डा० आशुतोष चौरसिया, डा० पलल्व, डा० दिव्या, डा० लारेब, डा० नितिन, डा० नूपुर, डा० प्रत्युष, डा० अन्वेशा, डा० सुरेश, डा० सूरज नाईक, गौरव टेक्नोलॉजिस्ट राजीव सक्सेना, चंद्रेश , अर्जुन , श्री राज कुमार, ओटी सहायक जितेन्द्र, फायर फाइटर- विशाल सिंह ने धुएं व आग की परवाह न करते हुए मरीजों को तुरंत दूसरी जगह पहुंचाया।

एक महिला चिकित्सक ने गर्भावस्था होने के बावजूद धुएं में घुसकर रोगियों को रेस्क्यू किया, जिन्हें बाद में तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कर उपचार दिया गया। अब महिला चिकित्सक और उनके गर्भस्थ शिशु दोनों ठीक है।

  अत्यधिक धुएं के बीच देर तक रहने से हुई परेशानी के कारण डा० शमशेरी और टेक्निकल ऑफिसर श्री राजीव सक्सेना को कुछ समय ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा।

 नर्सिंग ऑफिसर नीलम, मनोरमा, सौरभ, विद्यावती, रीता, अल्का, कमलेश कुमारी, निरुपमा, व् सीमा शुक्ला, इलेक्ट्रिशन अतुल, अटेंडेंट,जयकरन, पंकज, तुषार, राकेश, जेनरेटर स्टाफ अतुल ने अतुलनीय साहस का परिचय दिया और आग व् धुंवे की परवाह न करते हुए मौके पर डटे रहें । उन्हें सांस लेने में हुई तकलीफ के कारण इनमे से कुछ को ऑक्सीजन सपोर्ट व आवश्यक दवाएं दी गईं । रोगी सहायकों में हेमंत, ओम प्रकाश, रवि , रवि रंजन, विशाल रावत, मनीष प्रभाकर, सफाई पर्यवेक्षक, ओम प्रकाश, राधे श्याम सिंह, जीतेन्द्र, सुरेंद्र, राजू, शिवराज, तुषार, कैलाश, अनिल , लिफ्ट मैन- राहुल और सरोज ने असाधारण साहस का परिचय दिया और बचाव कार्य में पूरा सहयोग दिया । निदेशक प्रो. आर के धीमन ने फायर फाइटर टीम के योगदान की विशेष सराहना करनी होगी जिन्होंने घटना की सूचना मिलते ही अपना आंतरिक फायर फाइटिंग सिस्टम सक्रिय किया और हाइड्रेंट सिस्टम का प्रयोग करते हुए कुछ ही समय में आग पर काबू पा लिया रोगियों को बाहर निकलने में भी उनका विशेष सहयोग रहा।


गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

पीजीआई कोई भी मरीज बिना इलाज न हो वापस-बृजेश पाठक





 पीजीआई का 40 वां स्थापना दिवस

पीजीआई कोई भी मरीज बिना इलाज न हो वापस-बृजेश पाठक

 

शहर के अस्पतालों को बीच आपसी सहयोग से करें इलाज

 

संस्थान परिसर से एक भी मरीज बिना इलाज वापस नहीं जाना चाहिए । बेड नहीं खाली कह कर आप लोग वापस कर देते है । बेड नहीं है तो स्ट्रेचर या एंबुलेंस में ही जा कर प्राथमिक उपचार देने के बाद ही दूसरे जगह जाने की सलाह दें। बहुत उम्मीद लेकर लोग अपने परिजन को लेकर यहां आते है। उप मुख्य मंत्री बृजेश पाठक ने  संजय गांधी पीजीआई के 40 वें स्थापना दिवस समारोह में कहा कि एक नोडल व्यवस्था बनाने की जरूरत है। लखनऊ में तीन बडे संस्थान के अलावा कई और सरकारी अस्पताल है यहां बेड नहीं है तो आपनी सामाजस्य से किसी भी दूसरे अस्पताल में इलाज शुरू किया जा सकता है। बृजेश पाय़क ने कहा कि यदि आप लोग दूर जाकर इलाज नहीं कर सकते है तो कम से कम से अस्पताल में आए हर मरीज को भगवान मान कर सेवा और इलाज करें। डाक्टर के लिए अपना और पराया मरीज नहीं होता है । डाक्टरों को अपनी कोशिश करनी चाहिए जीवन और मृत्यु तो इश्वर के हाथ में है। हमारे ऊपर 25 करोड़ लोगों की जवाबदेही । संस्थान को हर स्तर पर मदद कर रहे हैं किसी भी चीज की कमी नहीं होने देंगे। राज्य मंत्री चिकित्सा शिक्षा मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि अपने लक्ष्य को दो गुना करें। संस्थान से प्रदेश ने निकट के प्रदेश के लोगों की भी काफी अपेक्षा है। कारपोरेट अस्पताल जो डॉक्टर गए उनसे आय बढ़ाने को कहा जाता है डॉक्टर का मरीज देखना है न कि पैसा एकत्र करना। डीन शालीन कुमार ने धन्यवाद प्रस्तुत किया।     

 

एक ही दिन में जांच

मुख्य वक्ता जन स्वास्थ्य सहयोग के संस्थापक डा. रमन कटारिया ने कहा कि इलाज का खर्च कम करने के लिए मरीज का अस्पताल में स्टे कम करने की जरूरत है। हमने यह किया है एक ही दिन में देखने के बाद सारी जांच कराते है । अगले दिन मरीज को देख कर दवा लिख देते है। दवा की कीमत कम करने के लिए जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। हम छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके में काम करते है देखा कि कुपोणण के कारण टीबी सहित दूसरे बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। देखा टीबी के 58 फीसदी मरीज कुपोषण के शिकार थे।  

पीजीआई में लगेगा गामा नाइफ

ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को बिना सर्जरी इलाज देने के लिए संस्थान के न्यूरो सर्जरी को गामा नाइफ की जरूरत है। निदेशक प्रो.आरके धीमान ने कहा कि  इसके लिए हम सरकार के स्तर प्रयास रत है । जरूरत पड़ी पीपी मॉडल पर गामा नाइफ लगाया जाएगा।   इमरजेंसी के 210 बेड 6 महीने के अंदर क्रियाशील करेंगे। इसके लिए एमडी की सीट भी दो से बढ़ा कर 6 से 10 करेंगे।

एक साल में मरीज

नए पंजीकरण -एक लाख 16 हजार

ओपीडी में सलाह- 8 लाख 30 हजार

भर्ती – 55 हजार

सर्जरी -14 हजार

 

स्थापना दिवस पर हुआ रक्तदान

स्थापना दिवस कर्मचारी नेता  धर्मेश कुमार , तकनीकी अधिकारी  अखिलेश कुमार, शिंदे, राम शऱण सहित 25 से अधिक लोगों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया। इस मौके पर क्रिकेट मैच. फल वितरण, वृक्षारोपण सहित कई कार्यक्रम का आयोजन हुआ।  

 

इनको मिला बेस्ट रिसर्च एवं बेस्ट कर्मचारी का सम्मान

 संकाय सदस्य मेडिकल 

डा. अंशु श्रीवास्तव- पीडियाट्रिक गैस्ट्रो एन्ट्रोलॉजी

डा. जिया हाशिम – पल्मोनरी मेडिसिन

डा. दुर्गा प्रसन्ना मिश्रा- क्लीनिक इम्यूनोलॉजी

जा. जया कृष्णन- इंडोक्राइनोलॉजी

संकाय सदस्य सर्जरी

डा. गौरव अग्रवाल – इंडो सर्जरी

डा. आशीष कनौजिया- एनेस्थीसिया

डा. वेद प्रकाश मौर्य – न्यूरो सर्जरी

डा. आशुतोष कुमार – न्यूरो सर्जरी


संकया सदस्य वेसिक साइंस

डा. सीपी चतुर्वेदी- हिमोटोलॉजी

डा. रोहित सिन्हा- इंडोक्राइनोलॉजी

डा. निधि तेजन – माइक्रोबायोलॉजी


संकाय सदस्य क्लीनिकल 

डा. चिन्मय साहू – माइक्रोबायोलॉजी

डा. कुंतल कांति दास- न्यूरो सर्जरी

डा. अरग्या सामाता- पीडियाट्रिक गैस्ट्रो


छात्र

डा. दर्पण- क्लीनिक इम्यूनोलॉजी

डा. अविनाश डी गौतम- रेडियोलॉजी

डा. अर्चना तिवारी – एंडोक्राइन

डा. नेहा शुक्ला- यूरोलॉजी

डा. दीन दयाल – मॉलिक्यूलर मेडिसिन

डा. अजय चावन- न्यूरोलॉजी

डा. स्पंदना जे – इंडो सर्जरी

डा. तरुण कुमार- पीडियाट्रिक सर्जरी

डा. निखिल सी- क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी

डा. शोर्य सौऱभ- नेफ्रोलॉजी

डा. टूबा क्यूमर- क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी

डा. टीनू सिंह – सीसीएम

डा. रिनीली- इंडो सर्जरी

डा. आशीष रंजन- यूरोलॉजी

डा. नजरीन हमीद – न्यूरो आटोलाजी

डा. पूजा – मेडिकल जेनेटिक्स

डा. प्रगति सक्सेना- हिमोटोलॉजी

डा. सौरव वैश्य – मेडिकल जेनेटिक्स

डा. भारत – न्यूरोलॉजी

डा. विदुषी सिंह- माइक्रोबायोलॉजी

डा. प्राची अग्रवाल- नियोनाटोलॉजी


बेस्ट कर्मचारी , डीएम एमसीएच


महिपाल सिंह – बेस्ट टेक्नोलॉजिस्ट इंडोक्राइनोलॉजी

श्री कुमार पीके- बेस्ट नर्स पीडियाट्रिक सर्जरी

सुनील कुमार – बेस्ट नर्स नियोनेटोलॉजी

डा. शैला फरहीन- बेस्ट एमडी पैथोलॉजी

डा. पूजाना – बेस्ट एमसीएच- पीडियाट्रिक सर्जरी

डा. श्रीकांत – बेस्ट डीएम- गैस्ट्रोएंटरोलॉजी

पीजीआई रिसर्च शो केस-नहीं सहना पड़ेगा 12 बार प्रोस्टेट बायोप्सी का दर्द-कम उम्र की महिलाओं के दिल की बीमारी से बचाना होगा संभव

 पीजीआई रिसर्च शो केस






नहीं सहना पड़ेगा 12 बार प्रोस्टेट बायोप्सी का दर्द - प्रो.संजय सुरेका

अब प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को बायोप्सी का दर्द बार-बार नहीं सहना पड़ेगा। संजय गांधी पीजीआई के यूरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ प्रो. संजय सुरेका ने सौ से अधिक मरीजों पर शोध के बाद साबित किया है यदि एडवांस प्रोस्टेट कैंसर है तो पूरे विश्व में प्रचलित 12 कोर बायोप्सी की जरूरत नहीं है। 12 कोर बायोप्सी में माल द्वार के जरिए 12 बार निडिल डाल कर प्रोस्टेट के 12 जगह से बायोप्सी अल्ट्रासाउंड के जरिए लिया जाता है। यह काफी दर्द युक्त होता है। रक्तस्राव की आशंका के साथ संक्रमण की आशंका रहती है। प्रो. सुरेखा ने साबित किया यदि प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन 65 से अधिक है। रेक्टल एग्जामिनेशन में प्रोस्टेट हार्ड है जो केवल पुष्टि के लिए दो कोर बायोप्सी की जरूरत है। इसमें केवल दो बार दो जगह से बायोप्सी लेना चाहिए। देखा कि एडवांस प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों मो दो कोर बायोप्सी से 97 फीसदी में बायोप्सी से कैंसर की पुष्टि हुई। यह शोध पूरे विश्व को राह दिखाने वाला है। इस शोध को इन सिस्टमिक प्रोस्टेट बायोप्सी एन ओवर किल इन मेटेस्टिक प्रोस्टेट कार्सिनोमा विषय को लेकर हुए शोध को इंटरनेशनल यूरोलॉजी एंड नेफ्रोलॉजी जर्नल ने स्वीकार किया है। इस शोध को प्रो. संजय सुरेका  ने रिसर्च शो केस में भी प्रस्तुत किया। प्रो.सुरेका ने कहा प्रारंभिक प्रोस्टेट कैंसर के मामले में 12 कोर बायोप्सी ही कारगर है। 


कम उम्र की महिलाओं के दिल की बीमारी से बचाना होगा संभव- प्रो. रूपाली खन्ना

कम उम्र की महिलाओं के दिल की बीमारी कोरोनरी आर्टरी डिजीज से बचाना संभव होगा। संजय गांधी पीजीआई की हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. रूपाली खन्ना ने 45 से कम उम्र की महिलाओं में दिल की बीमारी की आशंका बढ़ाने वाले कारणों का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है। हृदय की बीमारी से ग्रस्त 99 युवा महिलाओं में कारण पता लगाने के लिए शोध किया   । इनमें 66  महिलाओं का कोरोनरी एंजियोग्राफी परीक्षण किया गया।  दो-तिहाई महिलाओं यानि 66 फीसदी   महिलाओं में सीएडी का पता चला है। इनमें  मधुमेहउच्च सीरम ट्राइग्लिसराइड स्तरकम प्रोजेस्टेरोन और कम इंसुलिन स्तर देखने को मिला। इस शोध से साबित हुआ कि डायबिटीज पर नियंत्रण और प्रोजेस्ट्राम हार्मोन का नियंत्रित रख कर दिल की बीमारी से बचा जा सकता है। प्रो. रूपाली ने बताया कि सीएडी में दिल की रक्त वाहिका में रुकावट आ जाती है जिससे एंजियोप्लास्टी कर खोला जाता है। देख गया है कि कुल महिलाओं में होने वाली सीएडी बीमारी 45 से कम आयु की 20 फीसदी होती है। इस शोध को इंडियन मेडिकल जर्नल आफ कार्डियोवेस्कुलर डिजीज इन वुमेन ने भी स्वीकार किया है। इस शोध पत्र को रिसर्च शो केश में प्रस्तुत किया।



नहीं लेना पड़ेगा बिना जरूरत एंटीबायोटिक- डा. किशन मजीठिया


आटो इण्यून डिजीज एसएलई से ग्रस्त मरीजों में बुखार का कारण पता लगाना होगा संभव होगा। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज इमरजेंसी में बुखार के साथ आते है बुखार का कारण बीमारी की सक्रियता या संक्रमण इसका पता लगाना जरूरी होता है तभी इलाज की सही दिशा तय होती है। कारण का पता जल्दी लगाने के लिए संजय गांधी पीजीआई के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के डा. किशन मजीठिया ने विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल के साथ  159 मरीजों पर शोध किया तो पाया कि बैक्टीरिया संक्रमण होने पर सीआरपी, टीएलसी, न्यूट्रोफिल एवं लिम्फोसाइट का अनुपात, सीडी 64, सीडी 14 मार्कर बढ़ जाता है। यह सबी जांच संस्थान में उपलब्ध है तो चार से पांच घंटे में रिपोर्ट मिल जाती है। बुखार का कारण बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक चलाते है और बीमारी की सक्रियता के कारण बुखार होने पर इलाज उस दिशा में किया जाता है। इस मार्कर से कारण का सही पता लगने पर अनावश्यक एंटीबायोटिक मरीज को नहीं देना होता है। यदि कारण बीमारी की सक्रियता है तो एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं होता है।  



समय से होता है उच्च सांद्रता  एंटी डी एंटीबॉडी युक्त महिलाओं में प्रसव- डा. वसुंधरा

 

पति पत्नी में ब्लड ग्रुप में भिन्नता के कारण गर्भस्थ शिशु में एनीमिया की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे दंपति के गर्भस्थ शिशु का जीवन बचाने के लिए गर्भ में रक्त चढ़ाया जाता है जिसे इंट्रा यूटेराइन ब्लड ट्रांसफ्यूजन कहते हैं। अभी तक माना जाता रहा है कि एंटी डी एंटीबॉडी की  उच्च सांद्रता वाले महिलाओं में आईआईटी के बाद भी जल्दी प्रसव कराना पड़ता है लेकिन संजय गांधी पीजीआई के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की डा. वसुंधरा सिंह,डा.धीरज खेतान, डा. प्रशांत अग्रवाल  ने साबित किया है कि एंटी डी की सांद्रता अधिक होने पर भी प्रसव समय से होता है। समय से पहले प्रसव की जरूरत नहीं है। 105 गर्भस्थ महिलाओं पर शोध किया इनमें एंटी डी एंटीबॉडी टाइटर को आधार पर प्रसव के समय देखा  तो पाया कि एंटी डी सांद्रता और समय से पहले प्रसव का कोई संबंध नहीं है। उच्च सांद्रता वाले एंटी डी एंटीबॉडी वाली महिलाओं के गर्भस्थ शिशु में जल्दी इंट्रा यूटेराइन रक्त चढ़ाना पड़ता है। इससे गर्भस्थ शिशु में रक्त की कमी नहीं होती है। मां में उपस्थित एंटी डी गर्भस्थ शिशु के लाल रक्त कणिका को नष्ट कर देता है जिसके कारण शिशु एनीमिया होता है।



स्टेरॉयड नहीं करेगा नुकसान – प्रो. जिया हाशिम  

 

फेफड़ों के संक्रमण, सूक्ष्म रक्त वाहिका में रुकावट (वैस्कुलाइटिस) , सीओपीडी( क्रोनिक आब्सट्रेक्शन पल्मोनरी डिजीज) सहित कई बीमारी में स्टेरॉयड ( इम्यूनो सप्रेसिव) देना पड़ता है। हाई डोज डेक्सामेथासोन अक्सर दिया जाता है हमने देखा कि इससे फंगल संक्रमण की आशंका बढ़ जाता है। संजय गांधी पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. जिया हाशिम ने   शोध में पाया कि कम मात्रा में डेक्सामेथासोन की जगह वाइसोलोन, मिथाइन प्रिडलीसिलोन स्टेरायड देना चाहिए।  सौ से अधिक मरीजों पर शोध किया है। इस शोध को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। शोध को रिसर्च शो केस में भी प्रस्तुत किया।   



 

 





बुधवार, 13 दिसंबर 2023

1960 की एंटीबायोटिक साबित हो रही जीवनदायी- डाक्सीसाइक्लीन यानि नई बोतल में पुरानी शराब

 चार रुपए की गोली दिलाएंगी संक्रमण से मुक्ति



1960 की एंटीबायोटिक साबित हो रही जीवनदायी

डाक्सीसाइक्लीन यानि नई बोतल में पुरानी शराब

एमडीआर का मुकाबला करेगी पुरानी गोली

पीजीआई और अमेरिका ने मिल कर रखा तथ्य 


 कुमार संजय। लखनऊ

 यूटीआई( मूत्र मार्ग संक्रमण) और श्वसन तंत्र के संक्रमण से निजात दिलाने में  चार रुपए की गोली कारगर साबित हो सकती है। कोई भी एंटीबायोटिक एक गोली 10 से 15 रूपए से कम में नहीं आती है जबकि डाक्सीसाइक्लीन एक गोली तीन से चार रुपए में आती है। इसके अलावा जब थर्ड और सेकंड जनरेशन की एंटीबायोटिक फेल हो रही है ऐसे में यह कारगर साबित हो सकती है। कई महंगी एंटीबायोटिक  प्रतिरोध हो चुका है ।  मल्टी ड्रग रजिस्टेंस( एमडीआर) या एंटीबायोटिक प्रतिरोध  चिकित्सा विज्ञान की सबसे बड़ी चुनौती है । इस चुनौती का सामना 1960 में बनी एंटीबायोटिक डाक्सीसाइक्लीन कर सकती है। यह लगभग चार रुपए में एक गोली मिल जाती है। इस तथ्य को दुनिया के सामने संजय गांधी पीजीआई के इमरजेंसी मेडिसिन के प्रो. तनमय घटक और इमरजेंसी मेडिसिन  कॉलेज फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटीटालोहासी फ्लोरिडा यूएसए के प्रो. रूबेन डब्ल्यू ने कई शोध पत्रों के अध्ययन के बाद सामने रखा है। इस तथ्य को जर्नल ऑफ ग्लोबल इनफेक्शियस डिजीज ने विश्व की स्थिति: डॉक्सीसाइक्लिन - ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस के लिए एक नई बोतल में एक पुरानी शराब शीर्षक से संपादकीय के रूप में  स्वीकार किया है।

 शोध पत्र में कहा है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए शक्तिशाली एंटीबायोटिक की खोज है  या पुराने एंटीबायोटिक के फिर से इस्तेमाल है। डॉक्सीसाइक्लिन एक ऐसा "पुराना" ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक है। 1960 के दशक की शुरुआत में खोजा गया और अभी भी उपयोग में है। अत्यधिक लिपोफिलिक होने के कारण यह साइटोप्लाज्मिक झिल्लियों को पार करता है।  ऊतकों तक  पहुंचता है।  डॉक्सीसाइक्लिन एक  चक्र उत्पन्न करता है जिससे बैक्टीरिया जीवित रहने के लिए  आवश्यक प्रोटीन का निर्माण नहीं कर सकते। बैक्टीरिया की अंततः मृत्यु हो जाती है।

किस मात्रा में कारगर

डॉक्सीसाइक्लिन की फार्माकोकाइनेटिक्स प्रोफ़ाइल अद्वितीय है।डॉक्सीसाइक्लिन को 100 मिलीग्राम दो बार निर्धारित किया जाता है। प्रतिदिन या 200 मिलीग्राम प्रतिदिन । इस मात्रा में  अनुकूल परिणाम देखे गए।

 

 यूटीआई और श्वसन तंत्र संक्रमण में कारगर

मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) में सुधार सबसे अधिक 93.4 फीसदी में देखा गया। इसी तरह श्वसन तंत्र के संक्रमण में भी  कारगर देखा गया।  डाक्सीसाइक्लीन में मृत्यु दर कम होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि  डॉक्सीसाइक्लिन जैसे "पुराने" एंटीबायोटिक्स के  यूटीआई के मामलों में उपयोगी साबित हो सकता है। इसके साथ ही ए. बौमन्नी बैक्टीरिया के कारण होने वाले श्वसन तंत्र संक्रमण में उपयोगी साबित हो सकता है।

 

पीएनएच बीमारी के बाद भी मां बनने वाली पहली महिला बनी रेखा

 




पीएनएच बीमारी के बाद भी मां बनने वाली पहली महिला बनी रेखा

क्लीनिक हेमेटोलॉजिस्ट और स्त्री रोग विशेषज्ञ ने मिल कर दिया मां बनने का सुख 
 
रॉक्सिस्मल नॉक्टेर्नल हीमोग्लोबिन्यूरिया (पीएनएच) एक दुर्लभ विकार है, जो हेमोलिसिस का कारण बनता है। इस बीमारी में धमनी और शिरा में थ्रोम्बोसिस का खतरा बहुत अधिक होता है। पीएनएच रोगियों के लिए, गर्भावस्था के दौरान परेशानी होती है। पीएनएच के रोगियों में गर्भावस्था के बहुत कम सफल परिणाम सामने आए हैं। डॉ. रेखा शुक्ला को वर्ष 2021 में क्लासिकल पीएनएच का पता चला था।  हेमोलिसिस के प्रारंभिक स्थिरीकरण और नियंत्रण के बाद उन्होंने मां  की इच्छा व्यक्त की। उनकी प्रसूति एवं स्त्री रोग सलाहकार डॉ. प्रियंका त्रिवेदी से चर्चा करने के बाद आगे बढ़ने का फैसला किया।
सफल गर्भाधान और गर्भावस्था की पुष्टि के बाद संजय गांधी पीजीआई के  क्लीनिक हेमेटोलॉजी विभाग चिकित्सकों ने एलएमडब्ल्यूएच और एस्पिरिन प्रोफिलैक्सिस शुरू किया गया। पी एन एच प्रेरित हेमोलिसिस को नियंत्रित किया। 10 नवंबर 2023 को उन्होंने गोमती नगर की डॉ. प्रियंका त्रिवेदी की देखरेख में 2.8 किलोग्राम वजन वाली एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। लखनऊ में पीएनएच रोगी में सफल गर्भावस्था परिणाम का यह पहला मामला है। क्लीनिकल हिमैटोलाजिस्ट डा. संजीव ने बताया कि   ऐसी उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं को हेमेटोलॉजिस्ट एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की करीबी निगरानी से मां बनने का सुख दिया जा सकता है।