पीजीआई में ल्यूपस के साथ जिंदगी जागरूकता कार्यक्रम
सही इलाज तो ल्यूपस के 90 फीसदी पा सकते है सामान्य जिंदगी
बीमारी शुरू होने के 1.5 साल चलता है बीमारी का पता
15 से 20 फीसदी आराम मिलते ही बंद कर देते है दवा
ल्यूपस मरीजों के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन कर रहा है मदद
ल्यूपस बीमारी के साथ 90 फीसदी लोग सामान्य जिंदगी पा सकते है बस जरूरत है कि सही समय पर बीमारी का पता लग जाए और दवा कभी बंद मत करें। देखा गया है कि 15 से 20 फीसदी दवा आराम मिलते ही छोड़ देते है। यह सलाह संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग और इंसपायर ल्यूपस इंडिया द्वारा ल्यूपस के साथ जिंदगी विषय पर जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने दी। इस मौके पर इस बीमारी से ग्रस्त लोगों ने अपने अनुभव दूसरे मरीजों के साथ साझा किया। मरीजों ने के तमाम सवालों का जवाब विशेषज्ञों ने दिया। इस मौके पर विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल, प्रो. एबल लॉरेंस और रूद्रपन चटर्जी ने बताया कि हमारे पास बीमारी शुरू होने के 1.5 साल पहुंचे हैं। ऐसे में कई बार बीमारी गंभीर हो जाती है।बीमारी के लक्षण ही ऐसे होते है कि लोग त्वचा रोग विशेषज्ञ तो कभी सामान्य चिकित्सक के पास भटकते रहते है। इसलिए लक्षण शुरू होते ही किसी भी विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।यह बीमारी एक लाख में 14 से 15 लोगों में होती है। सबसे अधिक महिलाओं में जेनेटिक बनावट एवं हार्मोन के कारण होती है। 10 महिलाओं और एक पुरुष में बीमारी का अनुपात है। इलाज के लिए हम लोग इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं देते जिससे इम्यून सिस्टम को बैलेंस रखते हैं। यह दवाएं टी सेल एवं बी सेल को कम करती है जिससे एंटीबॉडी का स्तर कम होता है। मुदिता श्रीवास्तव ने बीमारी के साथ लाइफ स्टाइल के बारे में जानकारी दिया। संस्थान की पोषण विशेषज्ञा डा. अर्चना सिन्हा ने बताया कि नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। स्टेरॉयड चलता है जिसके कारण मरीजों के भार बढ़ जाता है इसको नियंत्रित करने के लिए पोषण के बारे में जानकारी दिया।प्रो.अमिता ने बताया कि मरीजों के 24 घंटे सात दिन हेल्प लाइन शुरू किया है। इलाज आयुष्मान से संभव है। संस्थान में तीन हजार मरीज पंजीकृत है। फालोअप में भी रहते हैं।
छिपाएं नहीं बता कर करें शादी
विशेषज्ञों ने बताया कि सही इलाज से मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है। लड़कियों की शादी से पहले परिवार के लोगों को बीमारी के बारे में अवश्य बताना चाहिए क्योंकि शादी के बाद तमाम लड़कियों में दवा बंद हो जाती है। जब बीमारी दोबारा परेशान करती है जब इलाज के लिए आते है ऐसे में कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।
क्या है ल्यूपस
यह एक आटो इम्यून डिजीज है। शरीर प्रतिरक्षा तंत्र शरीर को दुश्मन मान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगता है जिसके कारण शऱीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है। बीमारी का पता करने के लिए एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी और डीएसडीएनए परीक्षण किया जाता है जिसकी सुविधा संस्थान में उपलब्ध है।
यह परेशानी तो ल्यूपस संभव
- धूप में निकलने या सामान्य स्थिति में लाल चकत्ते
- बाल गिरना
- बुखार
- जोड़ों में दर्द
- मुंह में छाले
फोटो--ल्यूपस मरीजों के साथ विशेषज्ञों की ग्रुप फोटो
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