पीजीआई ने 11 वर्षीय दिशा के कटे हाथ को जोड़कर दी जिंदगी को दिशा
तीन विभाग के 25 विशेषज्ञों की मेहनत ने संभव हुई सर्जरी
सही तरीके से कटे अंग के साथ दो से तीन घंटे के अंदर पहुंचना जरूरी
संजय गांधी पीजीआई के तीन विभाग के 25 विशेषज्ञों ने निगोहां के मस्तीपुर की रहने वाली 11 वर्षीय दिशा को विकलांग होने से बचा
लिया। कंधे से कट कर पूरा हाथ कट कर निकल गया था । विशेषज्ञों ने
चार घंटे की कड़ी मेहनत के बाद हाथ को अच्छे तरीके से जोड़ दिया
है। हाथ में रक्त प्रवाह सामान्य हो गया है। नर्व रीकंस्ट्रक्शन,
मांसपेशियों की छोटी सर्जरी के बाद हाथ की उंगलियों में गति भी
सामान्य हो जाएगी।23 फरवरी को तेल पेरने की मशीन में दिशा का
हाथ फंस गया । कंधे से पूरा हाथ अलग हो गया। परिजन हाथ को
सामान्य पॉलीथिन में रखकर दिशा को लेके संस्थान एपेक्स ट्रामा सेंटर
पहुंचे । ट्रामा सेंटर से प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर को सूचना
मिली तो तुरंत सेंटर पहुंच कर हाथ को पुनः जोड़ने का फैसला लिया।
एनेस्थीसिया , ऑर्थोपेडिक्स विभाग के विशेषज्ञों से सलाह लेकर
तैयारी तुरंत शुरू किया। प्रो. अंकुर के मुताबिक हाथ को अलग हुए
दो घंटे हो चुके थे। चार घंटे के अंदर सर्जरी को अंजाम देना था नहीं
तो यह सर्जरी सफल नहीं होती। सभी विभाग ने तत्परता के साथ मिल
कर काम किया। आधे घंटे के अंदर ओटी में शिफ्ट कर सर्जरी शुरू की
गयी जो सफल रही। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धीराज, ट्रामा
सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजेश हर्षवर्धन एवं निदेशक पो.आरके
धीमान ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है। प्रो. अंकुर भटनागर और प्रो.
अनुपमा सिंह ने बताया कि हम लोग किसी भी कटे अंग को जोड़ने की
तकनीक स्थापित किए है। बस जरूरत है तो दो तीन घंटे के अंदर कटे
अंग को सही तरीके से लेकर एपेक्स ट्रामा सेंटर पहुंचने की।
यह होता है खतरा
कटे हाथ की मांसपेशियां क्षति ग्रस्त हो जाती जिससे मायोग्लोबलीन जैसे कई रसायन बनते है यह हाथ जोड़ने के बाद रक्त प्रवाह सामान्य होने के बाद शरीर में जाकर किडनी को डैमेज कर सकते हैं। ऐसे में देरी होने पर इसकी आशंका और बढ़ जाती है।
एक साथ दो टीम लगी
दो टीम लगी एक टीम कटे हुए हाथ को बोन, रक्त प्रवाह नलिका, मांसपेशी और नर्व को ठीक किया और दूसरी टीम में जहां से हाथ कटा था वहां पर ठीक किया क्योंकि बिना रिपेयर किया जोड़ना संभव नहीं था। सब कुछ ठीक बोने के बाद कटे हाथ के नर्व , वेन, मांसपेशी, त्वचा को जोड़ा गया। इसके साथ हाथ के अगले हिस्से में परेशानी न हो इसके लिए विशेष प्रोसीजर किया गया। चार घंटे के अंदर हाथ जोड़ दिया । रक्त प्रवाह सामान्य हो गया।
सर्जरी के बाद बीपी गिरा तो हम लोग हो गए परेशान
दिशा को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया लेकिन 24 घंटे बाद दिशा की रक्तदाब गिरने लगा तो आईसीयू विशेषज्ञों की मेहनत रंग लायी 48 घंटे के अंदर रक्त दाब सामान्य हो गया। वेंटीलेटर भी हट गया। दिशा को प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। अब वह पूरी तरह ठीक है।
इस टीम ने दिया अंजाम
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर, प्रो. अनुपमा सिंह, डा. राजीव भारती, डा. तंजुम कंबोज, डा. भूपेश गोगिया, डा. गौतम, आर्थोपैडिक प्रो केशव कुमार एवं उनकी टीम, एनेस्थीसिया एवं आईसीयू केयर डा. प्रतीक, डा. वंश, डा. रफत, डा. गनपत, डा. सुरूचि सहित नर्सेज एवं ओटी टेक्नीशियन
जल्दी लाएं कटे ऐसे
कटे हुए अंग को पॉलीथिन में रखने के बाद किसी आइस बॉक्स में रख कर लाने से अंग क्षति ग्रस्त नहीं होता है। नर्व , आर्टरी एवं मांसपेशियां ठीक रहती है । सर्जरी की सफलता दर बढ़ जाती है।
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