ब्रेन डेड घोषित करना पीजीआई ने किया अनिवार्य
ब्रेन डेड घोषित करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञों की टीम
ब्रेन डेड प्रक्रिया पर आयोजित हुआ
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान अंगदान को बढ़ावा देने के लिए ब्रेन डेड घोषित करना अनिवार्य कर दिया है। ब्रेन डेड घोषित करने के लिए एपेक्स ट्रामा सेंटर में विशेषज्ञों की टीम भी बना दी गई है। इस टीम में न्यूरो सर्जन न्यूरोलॉजिस्ट और निश्चित ना विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट के तहत यह अनिवार्य है कि रोड एक्सीडेंट या किसी अन्य दुर्घटना में घायल व्यक्ति का पूरा इलाज किया जाए और इलाज के बाद भी स्थिति में सुधार ना हो तो ब्रेन डेड घोषित किया जाए। ब्रेन डेड घोषित होने वाले व्यक्ति के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जाए जिससे लोगों को अंग मिल सके। अंगदान अभियान आगे बढ़ सके संस्थान के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख और स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख प्रोफेसर राजेश हर्षवर्धन ने ब्रेन डेड की प्रक्रिया को लेकर सीएमई का आयोजन किया । अंगदान से जुड़े प्रतिनिधियों के अलावा संस्थान के न्यूरो सर्जन एनएसथीसिया विशेषज्ञ सहित अन्य लोग शामिल हुए। प्रोफ़ेसर वर्धन ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अंगदान करने के लिए परिजनों को प्रेषित किया जाना चाहिए इसमें पुलिस की भी आम भूमिका है। स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया गया है जिसके तहत परिजनों की सहमति ली जाती है। किस स्टेप पर किसकी भूमिका है इसके बारे में जानकारी दी गई। एनेस्थीसिया विभाग की डॉक्टर सुरुचि और न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर कमलेश सिंह, न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर राजकुमार ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित करने के लिए मानक तय किए गए हैं। उस मानक के आधार पर विशेषज्ञ ब्रेन डेड घोषित करते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति का ब्रेन एकदम काम नहीं करता है ऐसी स्थिति में लंबे समय तक उसके जीवन की संभावना नहीं होती है। ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नीलिमा दीक्षित और शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रेन डेड होने वाले व्यक्ति के परिजनों को हम बताते हैं कि कैसे उनका परिजन दूसरों को जीवन दे कर जिंदा रह सकता है। वह व्यक्ति नहीं है तो क्या हुआ उसके अंग तो जीवित है। प्रोफेसर हर्षवर्धन ने बताया कि किडनी लीवर का प्रत्यारोपण प्रदेश में कई सेंटरों पर हो रहा है तमाम लोगों को अंग न मिलने के कारण जीवन गवाना पड़ता है। उन्हें अंग मिल जाए तो उनका जीवन बच सकता है । अभी हाल में ही किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से ब्रेनडेड व्यक्ति की किडनी मिली थी एक किडनी मेडिकल कॉलेज में प्रत्यारोपित हुई और दूसरी पीजीआई में। ऐसे लीवर मेडिकल विश्वविद्यालय में प्रत्यारोपित किया गया। स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन अंगदान को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चला रहा है।
क्या है ब्रेन डेड
ब्रेन डेड एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग काम करना बंद कर देता है। इंसान को सिर पर कोई चोट लगने की वजह से ऐसा होता है या फिर मरीज ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी का शिकार हो चुका हो। जब दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है, तब ब्रैंड डेड होता है। ब्रेन डेड होने की स्थिति में मरीज को लाइफ सपोर्ट पर रखा जाता है।