मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

ब्रेन डेड घोषित करना पीजीआई ने किया अनिवार्य

 





ब्रेन डेड घोषित करना पीजीआई ने किया अनिवार्य

ब्रेन डेड घोषित करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञों की टीम

ब्रेन डेड प्रक्रिया पर आयोजित हुआ 




संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान अंगदान को बढ़ावा देने के लिए ब्रेन डेड घोषित करना अनिवार्य कर दिया है। ब्रेन डेड घोषित करने के लिए एपेक्स ट्रामा सेंटर में विशेषज्ञों की टीम भी बना दी गई है।  इस टीम में न्यूरो सर्जन न्यूरोलॉजिस्ट और निश्चित ना विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट  एक्ट के तहत यह अनिवार्य है कि रोड एक्सीडेंट या किसी अन्य दुर्घटना में घायल व्यक्ति का पूरा इलाज किया जाए और इलाज के बाद भी स्थिति में सुधार ना हो तो ब्रेन डेड घोषित किया जाए।  ब्रेन डेड घोषित होने वाले व्यक्ति के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जाए जिससे लोगों को अंग मिल सके।  अंगदान अभियान आगे बढ़ सके संस्थान के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख और स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख प्रोफेसर राजेश हर्षवर्धन ने ब्रेन डेड की प्रक्रिया को लेकर सीएमई का आयोजन किया ।  अंगदान से जुड़े प्रतिनिधियों के अलावा संस्थान के न्यूरो सर्जन एनएसथीसिया विशेषज्ञ सहित अन्य लोग शामिल हुए।  प्रोफ़ेसर वर्धन ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित होने के बाद  अंगदान करने के लिए परिजनों को प्रेषित किया जाना चाहिए इसमें पुलिस की भी आम भूमिका है।  स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया गया है जिसके तहत परिजनों की सहमति ली जाती है। किस स्टेप पर किसकी भूमिका है इसके बारे में जानकारी दी गई।  एनेस्थीसिया विभाग की डॉक्टर सुरुचि और न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर कमलेश सिंह, न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर राजकुमार ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित करने के लिए मानक तय किए गए हैं।  उस मानक के आधार पर विशेषज्ञ ब्रेन डेड घोषित करते हैं।  इस स्थिति में व्यक्ति का ब्रेन एकदम काम नहीं करता है ऐसी स्थिति में लंबे समय तक उसके जीवन की संभावना नहीं होती है। ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नीलिमा दीक्षित और शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रेन डेड होने वाले व्यक्ति के परिजनों को हम बताते हैं कि कैसे उनका परिजन दूसरों को जीवन दे कर जिंदा रह सकता है।  वह व्यक्ति नहीं है तो क्या हुआ उसके अंग तो जीवित है।  प्रोफेसर हर्षवर्धन ने बताया कि किडनी लीवर का प्रत्यारोपण प्रदेश में कई सेंटरों पर हो रहा है तमाम लोगों को अंग न मिलने के कारण जीवन गवाना पड़ता है।  उन्हें अंग मिल जाए तो उनका जीवन बच सकता है । अभी हाल में ही किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से ब्रेनडेड व्यक्ति की किडनी मिली थी एक किडनी मेडिकल कॉलेज में प्रत्यारोपित हुई और दूसरी पीजीआई में।  ऐसे  लीवर मेडिकल विश्वविद्यालय में प्रत्यारोपित किया गया।  स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन अंगदान को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चला रहा है।



क्या है ब्रेन डेड


ब्रेन डेड एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग काम करना बंद कर देता है।  इंसान को सिर पर कोई चोट लगने की वजह से ऐसा होता है या फिर मरीज ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी का शिकार हो चुका हो। जब दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है, तब ब्रैंड डेड होता है। ब्रेन डेड होने की स्थिति में मरीज को लाइफ सपोर्ट पर रखा जाता है।

बुधवार, 19 अप्रैल 2023

Increasing burden of liver diseases due to fatty liver











 Increasing burden of liver diseases due to fatty liver


 every fourth  suffering from fatty liver disease




 Fatty liver can be reduced by reducing 5 percent weight


 


Department of Hepatology, Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences

 Celebrated 'World Liver Day on 19th April 2023' and organized a webinar to spread awareness about the increasing burden of liver diseases in the country.

 Faculty and staff members of the institute and doctors from 38 medical colleges of the state participated in large numbers in the webinar.

 Prof. Dhiman expressed concern over the increasing burden of liver diseases in the country and the State. He particularly emphasized on early detection of liver diseases so that progression to cirrhosis and liver cancer can be prevented

Professor Saxena urged the physicians to timely refer cirrhosis patients to hepatologists at an early stage, so that they can be cured with timely liver transplant. He told that if we can create a network of ICU in private and government hospitals, then we can prepare at least one liver donor in Lucknow city itself.

Professor Amit Goyal talked about the increasing cases of fatty liver in the country as well as in Uttar Pradesh. As per the latest studies, every fourth person in the country has fatty liver. The main causes of fatty liver are sedentary lifestyle, eating junk food and lack of exercise and sports activities among people. It was also emphasized that weight loss and exercise are the most effective treatments for fatty liver disease. Losing 5% of body weight can cure fatty liver and if we can lose 10% of our weight then liver injury and liver fibrosis can also be reversed. Nutritionist Dr. Rita told that apart from exercise, proper eating is necessary to reduce body weight.


Dr. Surendra Singh talked about the various aspects of liver transplant and its availability at the institute. He informed that SGPGI is the first such institute in the country which has started Living Donor Liver Transplant.

 and is doing liver transplant at much less cost than private hospitals. He urged all the doctors across the state to immediately refer patients with liver cirrhosis to Sanjay Gandhi PGI for evaluation for liver transplant. Liver transplant facility is available here. Patients needing liver transplant can come for consultation in Hepatology OPD on every Monday and Friday of the week.


फैटी लीवर के कारण बढ़ रहा लीवर के बीमारियों का बोझ हर चौथा फाइट लीवर का शिकार

 


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फैटी लीवर के कारण बढ़ रहा लीवर के बीमारियों का बोझ

 हर चौथा फाइट लीवर का शिकार


 5 फीसदी वेट घटने  से कम हो सकता है फाइट लीवर

 

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के हेपेटोलोजी विभाग द्वारा

 '19 अप्रैल 2023 को विश्व यकृत दिवस' मनाया और देश में यकृत रोगों के बढ़ते बोझ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया। 

 वेबिनार में संस्थान की फैकल्टी और स्टाफ सदस्यों और राज्य के 38 मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

 प्रो धीमन ने देश और राज्य में लिवर की बीमारियों के बढ़ते बोझ पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से लिवर की बीमारियों का जल्दी पता लगाने पर जोर दिया ताकि सिरोसिस और लिवर कैंसर को बढ़ने से रोका जा सके।


प्रोफेसर सक्सेना ने चिकित्सकों से सिरोसिस के रोगियों को प्रारंभिक अवस्था में हेपेटोलॉजिस्ट को समय पर रेफर करने का आग्रह किया, ताकि उन्हें समय पर लिवर प्रत्यारोपण के साथ ठीक किया जा सके। उन्होंने बताया कि अगर हम निजी और सरकारी अस्पतालों में आईसीयू का नेटवर्क बना सकते हैं, तो हम लखनऊ शहर में ही कम से कम एक लिवर डोनर तैयार सकते हैं।


प्रोफेसर अमित गोयल ने देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी फैटी लिवर के बढ़ते मामलों के बारे में बात की। नवीनतम अध्ययनों के अनुसार, देश में हर चौथे व्यक्ति में फैटी लिवर है। फैटी लिवर के मुख्य कारण गतिहीन जीवन शैली, जंक फूड खाना और लोगों में व्यायाम और खेल गतिविधियों की कमी है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि वसायुक्त यकृत रोग के लिए वजन कम करना और व्यायाम सबसे प्रभावी उपचार है। शरीर के वजन का 5% वजन कम करने से फैटी लिवर ठीक हो सकता है और अगर हम अपना 10% वजन कम कर सकते हैं तो लिवर की चोट और लीवर फाइब्रोसिस भी उलट सकता है। पोषण विशेषज्ञ डॉ रीता ने बताया शरीर का भार कम करने के लिए व्यायाम के अलावा सही खानपान जरूरी है।

डॉ. सुरेंद्र सिंह ने लिवर प्रत्यारोपण के विभिन्न पहलुओं और संस्थान में इसकी उपलब्धता के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई देश का पहला ऐसा संस्थान है जिसने लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट किया है और निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम खर्च में लिवर ट्रांसप्लांट कर रहा है। उन्होंने राज्य भर के सभी चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे लिवर सिरोसिस के रोगियों को लिवर प्रत्यारोपण हेतु मूल्यांकन के लिए संजय गांधी पी जी आई जल्दी रेफर करें। यहां  लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है। लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले मरीज सप्ताह के प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को हेपेटोलॉजी ओपीडी में परामर्श के लिए आ सकते हैं।

मंगलवार, 18 अप्रैल 2023

With the right treatment, 90 percent of lupus patients can live a normal life.

 




Life with Lupus Awareness Program at PGI


With the right treatment, 90 percent of lupus patients can live a normal life.


The disease is detected 1.5 years after the onset of the disease.


Stop the medicine as soon as 15 to 20 percent relief


24 hour helpline is helping for lupus patients




90% of people with lupus disease can lead a normal life, just need to detect the disease at the right time and never stop the medicine. It has been seen that 15 to 20 percent leave the medicine as soon as they get relief. This advice was given by experts from the Department of Clinical Immunology, Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences and Inspire Lupus India, an awareness program on the topic of living with lupus. On this occasion, people suffering from this disease shared their experiences with other patients. All the queries of the patients were answered by the experts. On this occasion, the head of the department, Prof. Amita Aggarwal, Prof. Abel Lawrence and Rudrapan Chatterjee said that we have reached 1.5 years since the onset of the disease. In such a situation, the disease becomes serious many times.the symptoms of the disease are such that people sometimes consult dermatologists. Keeps wandering to the general practitioner. so the symptoms start Any specialist should be consulted as soon as it occurs.This disease occurs in 14 to 15 people in one lakh. The most In women it is due to genetic makeup and hormones. 10 The ratio of the disease in women and one man is. For treatment We give immunosuppressive drugs to balance the immune system Let's keep These drugs reduce T cells and B cells, which make antibodies The level of Mudita Srivastava living with the disease Information about style. Institute nutritionist Dr., Archana Sinha told that the use of salt should be reduced. Steroids run, due to which the weight of the patients increases. Gave information about nutrition to control.Prof. Amita told that 24 hours seven days helpline for patients is introduced. Treatment is possible with Ayushman. Institute Three thousand patients are registered in it. He also stays in the follow up.


don't hide, marry 

by telling Experts said that with the right treatment, the patient can lead a normal life.Can Married life is also good. marriage of girls Must tell family members about illness before Needed because after marriage all the girls stop taking medicine. Is. When the disease bothers again When you come for treatment Sometimes the situation becomes serious.


what is lupus


It is an auto immune disease. The body's immune system starts making antibodies against the body considering it as an enemy, due to which any part of the body can be affected. Anti nuclear antibody and dsDNA tests are done to diagnose the disease, the facility of which is available in the institute.


this problem then lupus possible


Rash on exposure to sunlight or in normal condition


- hair fall


-      Fever


-      Joint pain


- Sores in the mouth

सही इलाज तो ल्यूपस के 90 फीसदी पा सकते है सामान्य जिंदगी

 


पीजीआई में ल्यूपस के साथ जिंदगी जागरूकता कार्यक्रम


सही इलाज तो ल्यूपस के 90 फीसदी पा सकते है सामान्य जिंदगी


बीमारी शुरू होने के 1.5 साल चलता है बीमारी का पता


15 से 20 फीसदी आराम मिलते ही बंद कर देते है दवा


ल्यूपस मरीजों के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन कर रहा है मदद 




ल्यूपस बीमारी के साथ 90 फीसदी लोग सामान्य जिंदगी पा सकते है बस जरूरत है कि सही समय पर बीमारी का पता लग जाए और दवा कभी बंद मत करें। देखा गया है कि 15 से 20 फीसदी दवा आराम मिलते ही छोड़ देते है।  यह सलाह संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग और इंसपायर ल्यूपस इंडिया  द्वारा ल्यूपस के साथ जिंदगी विषय पर जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने दी। इस मौके पर इस बीमारी से ग्रस्त लोगों ने अपने अनुभव दूसरे मरीजों के साथ साझा किया। मरीजों ने के तमाम सवालों का जवाब विशेषज्ञों ने दिया।  इस मौके पर विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल, प्रो. एबल लॉरेंस  और रूद्रपन चटर्जी ने बताया कि हमारे पास बीमारी शुरू होने के 1.5 साल पहुंचे हैं। ऐसे में कई बार बीमारी गंभीर हो जाती है।बीमारी के लक्षण ही ऐसे होते है कि लोग त्वचा रोग विशेषज्ञ तो कभी सामान्य चिकित्सक के पास भटकते रहते है। इसलिए लक्षण शुरू होते ही किसी भी विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।यह बीमारी एक लाख में 14 से 15 लोगों में होती है। सबसे अधिक महिलाओं में जेनेटिक बनावट एवं हार्मोन के कारण होती है। 10 महिलाओं और एक पुरुष में बीमारी का अनुपात है।  इलाज के लिए हम लोग इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं देते जिससे इम्यून सिस्टम को बैलेंस रखते हैं। यह दवाएं टी सेल एवं बी सेल को कम करती है जिससे एंटीबॉडी का स्तर कम होता है। मुदिता श्रीवास्तव ने बीमारी के साथ लाइफ स्टाइल के बारे में जानकारी दिया। संस्थान की पोषण विशेषज्ञा डा. अर्चना सिन्हा ने बताया कि नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। स्टेरॉयड चलता है जिसके कारण मरीजों के भार बढ़ जाता है इसको नियंत्रित करने के लिए पोषण के बारे में जानकारी दिया।प्रो.अमिता ने बताया कि  मरीजों के 24 घंटे सात दिन हेल्प लाइन शुरू किया है।  इलाज आयुष्मान से संभव है। संस्थान में तीन हजार मरीज पंजीकृत है।  फालोअप में भी रहते हैं।



छिपाएं नहीं बता कर करें शादी


 विशेषज्ञों ने बताया कि सही इलाज से मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है। लड़कियों की शादी से पहले परिवार के लोगों को बीमारी के बारे में अवश्य बताना चाहिए  क्योंकि शादी के बाद तमाम लड़कियों में दवा बंद हो जाती है। जब बीमारी दोबारा परेशान करती है जब इलाज के लिए आते है ऐसे में  कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।


क्या है ल्यूपस


यह एक आटो इम्यून डिजीज है। शरीर प्रतिरक्षा तंत्र शरीर को दुश्मन मान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगता है जिसके कारण शऱीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है। बीमारी का पता करने के लिए एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी और डीएसडीएनए परीक्षण किया जाता है जिसकी सुविधा संस्थान में उपलब्ध है।   


यह परेशानी तो ल्यूपस संभव


-      धूप में निकलने या सामान्य स्थिति में लाल चकत्ते


-      बाल गिरना


-      बुखार


-      जोड़ों में दर्द


-      मुंह में छाले   




फोटो--ल्यूपस मरीजों के साथ विशेषज्ञों की ग्रुप फोटो

रविवार, 16 अप्रैल 2023

Early treatment of Parkinson's gives relief in 90 percent of cases.




 Foundation Day Celebration of PGI Neurology Department


Early treatment of Parkinson's gives relief in 90 percent of cases.


 colored vegetables and polluted water can affect brain cells





Colored  vegetables, polluted air and water can damage the nigra cell of the brain which is proved to be the cause of Parkinson's. In the awareness program organized on Parkinson's disease on the occasion of the foundation day of Neurology Department of Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences, Prof. Ruchika Tandon said that the risk of this disease increases with age. Apart from this, virus infection, contaminated air, contaminated water, aluminum, manganese rich diet is increasing this problem. Nowadays, vegetables are colored in the market to keep them fresh. Pesticide chemicals sprinkled on fruits and vegetables also increase the risk. Its toxins destroy the nigra cell. Head of the Department Prof. Sanjeev Jha said that due to the destruction of the cells of the nigra, the level of dopamine chemical in the brain starts falling. This chemical transmits the message to the brain in the right way. Unable to deliver the message when it is low. The control of the mind ends with the parts of our body. In its initial days, we do not feel this change, but as the nigra cells start dying. The symptom appears in the form of tremors. Pro. Vinita Elithabez told that if the treatment is started in the early stages, then in the first five years, there is a reduction of 80 to 90 percent of the problems with medicines. After this, the effect of the medicine may decrease, in which case the dosage of the medicine needs to be increased. Pro. VK Paliwal told that we do deep vein stimulation after the effect of the medicine. Neurosurgery Prof. Together with Pawan Verma, we are doing this continuously. This gives a lot of relief. On this occasion, Prof. of Neurology Department, BHU. Deepika Joshi and Prof of Kanpur Medical College. Navneet should contact a neurologist for treatment as soon as the tremor starts in the hand. A walkathon was organized on this occasion in which Dr. Prakash, Dr. Mahesh, Dr. Nagendra, CTO SP Singh, STO Ramesh Kumar Nigam, Assistant Administrative Officer Manju Lata Yadav, Dr. Rupali Mahajan,

पार्किंसंस का शुरू में इलाज तो 90 फीसदी मामलों में राहत

 



पीजीआई न्यूरोलॉजी विभाग का स्थापना दिवस समारोह

पार्किंसंस का शुरू में इलाज तो 90 फीसदी मामलों में राहत

 रंगी सब्जियां और प्रदूषित पानी दिमाग के सेल को कर सकते है प्रभावित




रंगी हुई ताजी सब्जी , प्रदूषित हवा और पानी दिमाग के निग्रा सेल को नुकसान पहुंचा सकती है जो पार्किंसंस के कारण साबित होता है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग के स्थापना दिवस के मौके पर पार्किंसंस डिजीज पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में विभाग की प्रो. रुचिका टंडन ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। इसके आलावा वायरस का संक्रमण, दूषित हवा, दूषित पानी, एल्यूमिनियम , मैंगनीज युक्त आहार इस परेशानी को बढ़ा रहा है। आज कल सब्जियों का ताजी रखने के बाजार पर रंग दिया जाता है ।फलों और सब्जियों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशक रसायनो भी खतरा बढ़ा देते हैं। इसके टॉक्सिन निग्रा सेल को नष्ट करते हैं। विभाग के प्रमुख प्रो. संजीव झा ने बताया कि निग्रा की सेल्स के नष्ट होने से दिमाग में डोपामाइन रसायन का लेवल गिरने लगता है । यह रसायन दिमाग को सही तरह से सन्देश पहुंचाता है। कम होने पर संदेश पहुंचाने में असमर्थ पाता है । दिमाग का कंट्रोल हमारे शरीर के अंगों से समाप्त हो जाता है। इसके शुरुआती दिनों में हमे यह बदलाव महसूस नहीं होते पर जैसे- जैसे निग्रा की सेल्स मरने लगती है। लक्षण कंपन के रूप में दिखाई देता है। प्रो. विनीता एलिथाबेज ने बताया कि शुरुआती दौर में इलाज शुरू हो जाए पहले पांच साल कर दवाओं से परेशानी में 80 से 90 फीसदी तक कमी हो जाती है। इसके बाद दवा का असर कम हो सकता है ऐसे में दवा की मात्रा बढाने की जरूरत पड़ती है। प्रो. वीके पालीवाल ने बताया कि दवा का असर होने पर हम लोग डीप वेन स्टीमुलेशन करते है। न्यूरो सर्जरी के प्रो. पवन वर्मा के साथ मिल कर हम लोग यह लगातार कर रहे है। इससे काफी आराम मिलता है। इस मौके पर बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रो. दीपिका जोशी एवं कानपुर मेडिकल कालेज के प्रो. नवनीत ने हाथ में कंपन शुरू होते ही इलाज के लिए न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। इस मौके पर वॉकथॉन का आयोजन किया गया जिसमें डा. प्रकाश, डा. महेश, डा. नागेंद्र , सीटीओ एसपी सिंह, एसटीओ रमेश कुमार निगम, सहायक प्रशासनिक अधिकारी मंजू लता यादव, डा. रूपाली महाजन, डा.धीरज कुमार, डा. भूपेश यादव, डा. नेहा पांडेय, डा. सौम्या, डा. अनादि मिश्रा, डा. हिमांशु सहित तमाम चिकित्सक एवं कर्मचारी शामिल हुए।

शनिवार, 15 अप्रैल 2023

ऑल इण्डिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव मनीष मिश्रा ने टी बी के मरीजों को लिया गोद

 

ऑल इण्डिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव मनीष मिश्रा ने टी बी के मरीजों को लिया गोद*  


    ऑल इण्डिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव मनीष कुमार मिश्र ने बिहार राज्य  कैमूर जिले के टी बी से ग्रसित एवम आर्थिक रूप से कमजोर  चार मरीजों को गोद लिया । गोद लिये रोगियों को 1600-1600 रूपये की राशि से पौष्टिक आहार का पैकेट एव आर्थिक सहयोग के रूप में  नकद राशि का लिफाफा  टी बी के रोगियों को दिया गया। टीबी के चार रोगी के नाम शैलेश पासवान 22वर्ष गांव बसहा,मधु साह 38 वर्ष गांव सेन्दुरा,जिउत कुमार 22 वर्ष गांव दिग्घी,एव मुस्कान कुमारी 17वर्ष गांव सिलौटा के है। राष्ट्रीय सचिव मनीष कुमार मिश्रा के द्वारा उपरोक्त चार  मरीजों को छः माह तक पोषण आहार की सामग्री के पैकेट दिया जाता रहेगा।मनीष कुमार मिश्र ने बताया ४ मरीज आर्थिक रूपसे बहुत ही कमजोर है जब की टी बी के इलाज के दौरान बेहतर पौष्टिक आहार की ज़रूरत होती है उन्होंने बताया की तह मेरा सौभाग्य है की मेरे द्वारा ग़रीब मरीजो की सेवा का अवसर मिला है ! गोद लिये चारो टी बी के मरीजों ने मनीष कुमार मिश्र का धन्यवाद किया !     पोषण आहार के पैकेट  चावल, आटा,दाल,गुड खजूर,डचना,सरसों का तेल,नमक,अण्डा,बिस्किट ,प्रोटीन पावडर एव ड्राई फूड का पैकेट एवम फल दिया गया ।  इस दौरान प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. संजय सिंह के साथ तमाम स्वास्थ कर्मी एवम क्षेत्र की जनता उपस्थित रही।  यह जानकारी प्रदेश अध्यक्ष अनुराग वर्मा ने दी

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

गोमूत्र सेहत के लिए नहीं है ठीक।Cow urine not good for human consumption: IVRI



Cow urine not good for human consumption: IVRI


Cow urine not good for human consumption


 Research carried out by Bareilly-based ICAR-Indian Veterinary Research Institute (IVRI) has revealed that fresh cow urine may contain potentially harmful bacteria and is not suitable for direct human consumption. The study – led by Bhoj Raj Singh of the institute along with three PhD students – found that cow urine contained at least 14 types of harmful bacteria with the presence of Escherichia coli, which can cause stomach infections.

The findings of the peer-reviewed research have been published in online research website, Researchgate.


Though, according to the country’s premier animal research body, urine of buffalo was more effective on certain bacteria. The institute is carrying further research on the potential of distilled cow urine to strengthen imरूर

Cow Urine: क्या गाय से ज्यादा भैंस का यूरिन इंसानों के लिए अच्छा है? आईवीआरआई की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Indian Veterinary Research Institute) के छात्रों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि गाय के मूत्र में भैंस की तुलना 


Cow Urin, IVRI

गोमूत्र को आयुर्वेद में इंसानों के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है। अब एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि गाय के मूत्र में कई हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं तो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के इज्जतनगर में भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गाय के दूध में भी कम से कम 14 तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि गाय की तुलना में भैंस के मूत्र में कम बैक्टीरिया पाए जाते हैं।

इस रिपोर्ट को भोजराज सिंह और पीएचडी के 3 छात्रों की ओर से तैयार किया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्वस्थ गायों के दूध में Escherichia coli की मौजूदगी भी पाई जाती है, जिससे पेट में संक्रमण भी होता है। रिपोर्ट में कहा गया कि लोगों को गोमूत्र पीने से बचना चाहिए। यह उनको बीमार कर सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक गाय, भैंस, इंसानों के 73 यूरीन सैंपल के स्टैटिस्टिकल विश्लेषण में पता चला कि भैंसों का यूरीन, गायों के यूरीन से अधिक सर्च में क्या आया सामने भोजराज सिंह ने बताया कि टीम ने साहीवाल, थारपारकर, विंदावनी (क्रॉस ब्रीड) गायों के यूरिन का सैंपल लिया। इसके साथ ही इंसानों और भैंस का भी सैंपल लिया गया। यह स्टडी पिछले साल जून से लेकर नवंबर तक की गई। इसमें सामने आया कि एक स्वस्थ इंसान के यूरिन में भी हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। हालांकि गाय के डिस्टिल (आसवन) यूरीन में हानिकारक बैक्टीरिया होता है या नहीं, इसको लेकर आगे अभी रिसर्च की जा रह

गोमूत्र पीना हो सकता है हानिकारक

भोजराज सिंह ने कहा कि इंसानों को गाय का यूरिन नहीं पीना चाहिए। इससे कई बीमारियां हो सकती है। ऐसी धारणा है कि गोमूत्र जीवाणुरोधी होता है लेकिन यह सही नहीं है। गो मूत्र में कई ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं तो इंसानों के लिए काफी खतरनाक हो सकते हैं।



पीजीआई ने 11 वर्षीय दिशा के कटे हाथ को जोड़कर दी जिंदगी को दिशा

 









पीजीआई ने 11 वर्षीय दिशा के कटे हाथ को जोड़कर दी जिंदगी को दिशा

तीन विभाग के 25 विशेषज्ञों की मेहनत ने संभव हुई सर्जरी

सही तरीके से कटे अंग के साथ दो से तीन घंटे के अंदर पहुंचना जरूरी 

  संजय गांधी पीजीआई के तीन विभाग के 25 विशेषज्ञों ने निगोहां के मस्तीपुर की रहने वाली  11 वर्षीय दिशा को विकलांग होने से बचा

 लिया। कंधे से कट कर पूरा हाथ कट कर निकल गया था । विशेषज्ञों ने

 चार घंटे की कड़ी मेहनत के बाद हाथ को अच्छे तरीके से जोड़ दिया

 है। हाथ में रक्त प्रवाह सामान्य हो गया है। नर्व रीकंस्ट्रक्शन,

 मांसपेशियों की छोटी सर्जरी के बाद हाथ की उंगलियों में गति भी

 सामान्य हो जाएगी।23 फरवरी को तेल पेरने की मशीन में दिशा का

 हाथ फंस गया ।  कंधे से पूरा हाथ अलग हो गया। परिजन हाथ को

 सामान्य पॉलीथिन में रखकर दिशा को लेके संस्थान एपेक्स ट्रामा सेंटर

 पहुंचे । ट्रामा सेंटर से   प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर को सूचना

 मिली तो तुरंत  सेंटर पहुंच कर हाथ को पुनः जोड़ने का फैसला लिया।

 एनेस्थीसिया , ऑर्थोपेडिक्स विभाग के विशेषज्ञों से सलाह लेकर

 तैयारी तुरंत शुरू किया। प्रो. अंकुर के मुताबिक   हाथ को अलग हुए

 दो घंटे हो चुके थे।  चार घंटे के अंदर सर्जरी को अंजाम देना था नहीं

 तो यह सर्जरी सफल नहीं होती। सभी विभाग ने तत्परता के साथ मिल

 कर काम किया। आधे घंटे के अंदर ओटी में शिफ्ट कर सर्जरी शुरू की

 गयी जो सफल रही। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धीराज, ट्रामा

सेंटर के  चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजेश हर्षवर्धन एवं निदेशक पो.आरके

 धीमान ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है। प्रो. अंकुर भटनागर और प्रो.

 अनुपमा सिंह ने बताया कि हम लोग किसी भी कटे अंग को जोड़ने की

 तकनीक स्थापित किए है। बस जरूरत है तो दो तीन घंटे के अंदर कटे

 अंग को सही तरीके से लेकर एपेक्स ट्रामा सेंटर पहुंचने की।  

 

यह होता है खतरा

 कटे हाथ की मांसपेशियां क्षति ग्रस्त हो जाती जिससे मायोग्लोबलीन जैसे कई रसायन बनते है यह हाथ जोड़ने के बाद रक्त प्रवाह सामान्य होने के बाद शरीर में जाकर किडनी को डैमेज कर सकते हैं। ऐसे में देरी होने पर इसकी आशंका और बढ़ जाती है।

 

एक साथ दो टीम लगी

 दो टीम लगी एक टीम कटे हुए हाथ को बोन, रक्त प्रवाह नलिका, मांसपेशी और नर्व को ठीक किया और दूसरी टीम में जहां से हाथ कटा था वहां पर ठीक किया क्योंकि बिना रिपेयर किया जोड़ना संभव नहीं था। सब कुछ ठीक बोने के बाद कटे हाथ के नर्व , वेन, मांसपेशी, त्वचा को जोड़ा गया। इसके साथ हाथ के अगले हिस्से में परेशानी न हो इसके लिए विशेष प्रोसीजर किया गया। चार घंटे के अंदर हाथ जोड़ दिया । रक्त प्रवाह सामान्य हो गया।

 

सर्जरी के बाद बीपी गिरा तो हम लोग हो गए परेशान  

 

दिशा को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया लेकिन 24 घंटे बाद दिशा की रक्तदाब गिरने लगा तो आईसीयू विशेषज्ञों की मेहनत रंग लायी 48 घंटे के अंदर रक्त दाब सामान्य हो गया। वेंटीलेटर भी हट गया। दिशा को प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। अब वह पूरी तरह ठीक है।

इस टीम ने दिया अंजाम

प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर, प्रो. अनुपमा सिंह, डा. राजीव भारती, डा. तंजुम कंबोज, डा. भूपेश गोगिया, डा. गौतम, आर्थोपैडिक प्रो केशव कुमार एवं उनकी टीम, एनेस्थीसिया एवं आईसीयू केयर डा. प्रतीक, डा. वंश, डा. रफत, डा. गनपत, डा. सुरूचि सहित नर्सेज एवं ओटी टेक्नीशियन

 

जल्दी लाएं कटे ऐसे

कटे हुए अंग को पॉलीथिन में रखने के बाद किसी आइस बॉक्स में रख कर लाने से अंग क्षति ग्रस्त नहीं होता है। नर्व , आर्टरी एवं मांसपेशियां ठीक रहती है । सर्जरी की सफलता दर बढ़ जाती है।

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

पीजीआई ने स्टाफ और मरीजों के लिए मास्क अनिवार्य किया

 

पीजीआई ने स्टाफ और मरीजों के लिए मास्क अनिवार्य किया


सीएमएस ने ओपीडी, इमरजेंसी और वार्डो के लिए जारी किया आदेश

 कोरोना के मरीज बढ़ते ही पीजीआई ने दोबारा से कोविड प्रोटोकॉल को लागू कर दिया है। मरीज से लेकर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी मास्क लगााने के साथ हाथों को सैनेटाइज और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। संस्थान प्रशासन ने शनिवार को ओपीडी, इमरजेंसी, वार्ड समेत सभी जिम्मेदारों को आदेश जारी कर इसका पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश जारी किये हैं। 

पीजीआई के सीएमएस प्रो. संजय धिराज ने बताया कि कोविड के बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। संस्थान में इलाज कराने आने वाले मरीज, तीमारदार, डॉक्टर, रेजिडेंट और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए मास्क लगाना जरूरी कर दिया है। ओपीडी, इमरजेंसी, वार्ड, जांच केन्द्र व काउंटर पर सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन के निर्देश दिये हैं। नोटिस बोर्ड पर कोविड से बचाव को लेकर जरूरी दिशा चस्पा किये गए हैं।

एक संक्रमित भर्ती

पीजीआई के राजधानी कोविड हॉस्पिटल-दो में एक संक्रमित मरीज भर्ती है। सीएमएस डॉ. संजय धिराज ने बताया कि इलाज के दौरान मरीज की कोविड जांच में रिपोर्ट पॉजिटव आयी है। एक हफ्ते में तीन की कोविड रिपोर्ट पॉजिटव आयी है। हालांकि इन्हें भर्ती नहीं करना पड़ा है।