रविवार, 28 नवंबर 2021

पीजीआई देश का पहला संस्थान देगा डीएम इन मैटर्नल एंड फीटल मेडिसिन डिग्री

 


पीजीआई देश का पहला संस्थान देगा डीएम इन मैटर्नल एंड फीटल मेडिसिन डिग्री

पीजीआई एमआरएच विभाग का स्थापना दिवस समारोह   

पूरे विश्व के 50 फीसदी मृत शिशु का जन्म भारत में


संजय गांधी पीजीआई देश का पहला संस्थान होगा जो गर्भस्थ शिशु और गर्भवती महिला के इलाज के लिए डाक्ट्रेट डिग्री धारक विशेषज्ञ तैयार करेगा। संस्थान मैटर्नल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ विभाग डीएम इन मैटर्नल एंड फीटल मेडिसिन शुरू करने जा रहा है। विभाग की प्रमुख प्रो. मंदाकिनी प्रधान ने बताया कि इस पाठक्रम के लिए संस्थान स्तर सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अनुमति के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन को प्रस्ताव भेजा गया। कमीशन की अनुमति मिलते ही यह डीएम प्रोग्राम शुरू हो जाएगा। तीन सीट के लिए अनुमति मांगी गयी है। विभाग पीडीसीसी प्रोग्राम चला रहा है। विभाग के पहले स्थापना दिवस समारोह के मौके पर प्रो. इंदु साहू , प्रो.नीता सिंह ने बताया कि अभी डाक्ट्रेट डिंग्री पाठयक्रम पूरे देश में नहीं है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामले देखने और मैनेज करने के लिए सुपर स्पेसिएलिटी की जरूर है। इस डिंग्री के बाद विशेषज्ञता बढेगी जिससे हाई रिस्क प्रगिनेंशी मैनेज करना संभव होगा। विशेषज्ञओं ने बताया कि स्टिल बर्थ ( मृत शिशु का जन्म) के मामले में पूरे विश्व के मामलों में 50 फीसदी से अधिक मामले भारत में होते है। इसके पीछे कारण प्रिगनेंशी को अलग तरह से मैनेज करने की सुविधा और विशेषज्ञता में कमी हो सकती है। इस मौके पर कमल मेहरोत्रा ने सफलता हासिल के मंत्र बताए। दिल्ली के हमदर्द मेडिकल संस्थान की डा. रीवा त्रिपाठी ने फीटल मेडिसिन की भारत में जरूरत पर बल दिया। डा. एस सुरेश, डा. श्री विद्या ने मैटर्नल एंड फीटल मेडिसिन के विस्तार के लिए काम करने की जरूरत बताया।

  

गभर्स्थ एक हजार शिशु चढ़ाया खून   

प्रो. मंदाकिनी प्रधान ने बताया कि अल्ट्रासोनोग्राफी,  बल्ड मार्कर के जरिए मां में हम पता लगा लेते है कि किसमें ब्लड प्रेशर बढ़ने, किसमें प्रीमैच्योर प्रसव की आशंका है। शिशु में परेशानी का पता लगा कर कुछ हद गर्भ में ही इलाज संभव है। गर्भस्थ शिशु में रक्त की कमी को पूरा करने के लिए हम लोग गर्भ में ही रक्त चढ़ाते है। हमारा विभाग उत्र भारत का तीसरा अस्पताल है जिसमें यह शुरू हुई। इसे इंट्रा यूट्राइन ब्लड ट्रांसफ्यूजन कहते है। अभी तक एक हजार से अधिक गर्भस्थ शिशुओं में रक्त चढ़ाया गया है। यह बहुत ही जटिल प्रक्रिया है।  निदेशक प्रो.आरके धीमन ने कहा कि कहा कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामले विभाग काफी अच्छा काम कर रहा है। 

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