गुरुवार, 19 नवंबर 2020

टैप तकनीक और खास रसायन किडनी डोनर में दर्द करेगा छू - पीजीआई ने स्थापित की सर्जरी के बाद दर्द को ना करने की नई तकनीक

 



टैप तकनीक और खास रसायन किडनी डोनर में दर्द करेगा छू

 

पीजीआई ने स्थापित की सर्जरी के बाद दर्द को ना करने की नई तकनीक

विश्व स्तर पर मिली मान्यता

 

संजय गांधी पीजीआई ने किडनी देने वाले लोगों को दर्द से राहत दिलाने के लिए नई तकनीक स्थापित की है जिसे इंटरनेशनल स्तर पर स्वीकार किया गया है। इस तकनीक का नाम है ट्रांसवर्स एब्डामिनल प्लेन ब्लाक( टैप ) जिसमें किडनी निकालने के लिए जहां चीरा लगा होता है वहां अल्ट्रासाउंड से देखते हुए मांस पेशियों में खास दर्द से राहत दिलाने वाली दावाएं इजेक्ट की जाती है। इस तकनीक स्थापित करने वाले संस्थान के एनेस्थेसिया एवं पेन मैनेजमेंट एक्सपर्ट प्रो.संदीप साहू ने इस तकनीक में दी जाने वाले खास रसायन का पर शोध किया तो देखा कि लिवोवीकेन रसायन अभी तक दे जाने वाले रसायन के मुकाबले काफी असरदार और सुरक्षित है। इस रसायन की टाक्सीसिटी( विषाक्तता) अन्य के मुकाबले काफी कम है। एक बार इंजेक्ट करने पर किडनी दाता को 12 से 24 घंटे तक दर्द तक एहसास नहीं होता है। प्रो. साहू के मुताबिक किडनी देने वाले को किडनी देने के बाद दर्द न के बराबर हो इसके लिए हमने शोध किया । इसके लिए दो खास रसायन का रोपीवीकेन और लीवोवीकेन के प्रभाव का अध्ययन किया जिसके लिए किडनी देने वाले कुल 120 लोगों पर शोध किया । किडनी निकलाने के लिए होने वाली सर्जरी के बाद इनमें इन रसायन को इंजेक्ट करने के बाद दर्द का स्कोर देखा । साथ दर्द कितने घंटे बाद महसूस हुआ इसका अध्ययन किया तो पाया कि लीवोवीकेन और रोपी वीकेन से 12 से 24 घंटे तक दर्द का एहसास नहीं हुआ। कई बार रसायन रक्त संचार में भी जा सकता है क्यों कि मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह होता है ऐसे में लीवोवीकेन काफी सुरक्षित है।

 

किडनी दाता में बढेगा आत्मविश्वास

 

किडनी देने के लिए सर्जरी होती है जिसमें दर्द के एहसास से कई दाता परेशान होते है इस शोध के बाद तमाम किडनी दाता को दर्द का एहसास नहीं होगा तो वह दूसरे को बताएंगे कि दर्द तो होता ही नहीं इससे परिजन किडनी देने के लिए आगे आएंगे।   

 

ऐसे हुआ शोध

संस्थान के विशेषज्ञों ने कपैरिजन आफ एनालजेसिक इफीसिएंसी आफ रोपीवीकेन एंड लीवोवीकेनल  इन अल्ट्रा साउंड गाइडेड ट्रांसवर्स एवडोमिनिस प्लेन ब्लाक एंड पोर्ट साइट इनफिल्टरेशन इन लेप्रोस्कोपिक नेफ्रेक्टमी विषय को लेकर शोध किया जिसमें मुख्य शोध करता प्रो संदीप साहू के आलावा डा. जाकिया सईद, डा. तपस कुमार सिंह, डा. दिव्या श्रीवास्तव , किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट और यूरोलाजी विभाग के प्रमुख  प्रो. अनीश श्रीवास्तव और किडनी रोग विशेषज्ञ प्रो. धर्मेद्र भदौरिया ने शोध किया जिसे जर्नल आफ एनेस्थेसिया ने स्वीकार किया है। 

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