शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

50 फीसदी शुरूआती दौर में पहुंच रहे है अस्पताल लेकिन रेडियोथिरेपी के लिए दो से तीन महीने के इंतजार

कैंसर के प्रति बढ़ रही है जागरूकता
50 फीसदी शुरूआती दौर में पहुंच रहे है

 अस्पताल रेडियोथिरेपी के लिए दो से तीन महीने के इंतजार


 संतकबीर नगर जिले के रहने वाले 45 वर्षीय अनिल के आवाज़ धीरे-धीरे कम होने लगी । डाक्टर ने बताया कि गले के स्वर तंत्र में गांठ जिसके कारण आवाज़ जा रही है। इस परेशानी का इलाज केवल रेडियोथिरेपी है । वह कई सेंटर पर गए लेकिन हर जगह इंतजार ही मिला । ऐसा केवल अनिल के साथ नहीं हुआ कैंसर के तमाम मरीजों को ऐसे इंतजार करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस ( सात नवंबर) के मौके पर विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता तो बढी है । पहले 80 फीसदी लोग कैंसर के अंतिम स्टेज आते थे लेकिन अब 50 से 60 फीसदी लोग कैंसर के पहले या दूसरे चरण में अस्पताल पहुंच रहे हैं। संसाधन के अभाव में जल्दी उनका इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में लगभग 12 केंद्र है जहां पर रेडियोथिरेपी सहित अन्य तरीके से इलाज की व्यवस्था है कोरोना काल से पहले दो से तीन महीने की वेटिंग है। कैंसर के इलाज के मामले में राजधानी ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहां कैंसर के उपचार के लिए चार सेंटर है लेकिन यहां भी लगभग दो महीने की वेटिंग है। 

 बढ़ रहा है प्रोस्टेट और पित्ताशय

 कैंसर संजय गांधी पीजीआइ के कैंसर रोग विशेषज्ञ प्रो. नीरज रस्तोगी के मुताबिक हमारे इलाके में प्रोस्टेट कैंसर और पित्ताशय कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। औसत उम्र बढने के साथ प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ रहे है। हमारे गंगा के किनारे वाले इलाके में पित्ताशय कैंसर के मरीज दूसरे इलाके से अधिक है। हम कारण के साथ इलाज की नयी दिशा पर काम कर रहे है। पित्ताशय कैंसर महिलाओं में पुरूषों के मुकाबले अधिक है। मानक के अनुसार कैंसर का पता लगने के 14 दिन के आंदर इलाज शुरू हो जाना चाहिए लेकिन संसाधन के आभाव में ऐसा नहीं हो पा रहा है। जल्दी मरीजों के आने के कारण हम लोग काफी हद तक कैंसर को नियंत्रित करने में कामयाब हो रहे है .. संजय गांधी पीजीआई के रेडियोथिरेपी विभाग कैंसर रोग विशेषज्ञ प्रो. नीरज रस्तोगी 



 फैक्ट ....

 -कैंसर 100 से अधिक प्रकार के होते हैं, जो शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते है। 

 - स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुख का कैंसर, मुंह का कैंसर, फेफड़े का कैंसर और बड़ी आंत का कैंसर है प्रमुख कैंसर। 

 - हृदय रोग के बाद दूसरा सबसे बड़ा कारण कैंसर मृत्यु का कारण है। 

 - महिलाओं में बच्चेदानी के मुख के कैंसर से होने वाली मृत्यु दर देश की तुलना में अधिक है। 
 - महिलाओं में यह समस्त कैंसरों का एक चौथाई हिस्सा स्तन कैंसर है।
 - स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुख का कैंसर और बड़ी आंत का कैंसर का इलाज पूर्ण रूप से संभव है।


 यह है तो हो जाए सावधान



 वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या मूंह से खून आना. अगर किसी भी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई देते हैं। किस अंग में कैंसर उसके अलग लक्षण महसूस होते हैं। 


 स्तन कैंसर- स्तन में गांठ होना, निपल से खून मिला हुआ रिसाव और निपल या स्तन की बनावट या प्रकृति में बदलाव शामिल हैं।


 प्रोस्टेट कैंसर-पेशाब करने में परेशानी होना शामिल हैं, लेकिन ज्‍यादातर लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते.

 कोलोरेक्टल कैंसर-कोलोरेक्‍टल कैंसर के लक्षण कैंसर के आकार व स्‍थान पर निर्भर करते है। मल-त्याग की आदतों में बदलाव, मल का एक जैसा न रहना, मल में खून और पेट में तकलीफ़ शामिल हैं.


 फेफड़ों का कैंसर-झांसी (अक्सर खून के साथ), सीने में दर्द, सांस लेने में घरघराहट की आवाज़ और वज़न घटना शामिल हैं। जब तक कैंसर बढ़ नही जाता, ये लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते हैं। 

 रक्त का कैंसर-धीमी गति से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के कई रोगियों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। तेजी से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के लक्षणों में थकान, वज़न घटना, बार-बार संक्रमण, नील पड़ना और खून बहना शामिल हैं लिम्फोमा-बढ़े हुए लसीका , थकान, और वज़न घटना शामिल है

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