रविवार, 22 नवंबर 2020

पुरूष महिलाओं के मुकाबले अधिक होते है विकलांगता के शिकार - दो फीसदी लोग विकलांगता के शिकार

 


पुरूष महिलाओं के मुकाबले अधिक होते है विकलांगता के शिकार 





दो फीसदी लोग विकलांगता के शिकार 

कुशीनगर विकलांगता के मामले में सबसे ऊपर और ज्योतिफुलेनगर सबसे कम 

पुरूष महिलाओं के मुकाबले अधिक होते है विकलांगता के शिकार 


कुमार संजय। लखनऊ 


 विकलांगता के दुख को समझने के लिए थोड़ी देर के लिए ही अपने एक पांव को 
बाँधकर कुछ देर चल कर देखें या एक हाथ से दिन भर काम करें, शायद ऐसा करने से 
भी आपको उनके कष्टों का मात्र एक प्रतिशत ही अनुभव होगा।  विकलांगता को मुख्य: 
दो भागों में बाँटा गया है. पहला शारीरिक और दूसरा मानसिक लेकिन विकलांगता 
चाहे जो भी हो वह जीवन को अत्यंत दुश्वार बना देती है। आंकडे गवाही दे रहे है 
कि  प्रदेश के हर एक लाख में से 2081 लोग विकलांगता के शिकार है। दो फीसदी लोग 
किसी न किसी विकलांगता के शिकार है। पूर्वाचल का कुशीनगर विकलांगता में पहले 
स्थान पर है । पुरूष महिलाओं की मुकाबले अधिक विकलांगता के शिकार है।  हाल में 
ही जर्नल आफ पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च के शोध प्रिवलेंस आफ डिसएबिलिटी इन उत्तर 
प्रदेश के शोध में बताया गया है कि सबसे अधिक सुनने की परेशानी 514 प्रति लाख 
है। देखने की परेशानी 382 प्रति लाख और चलने फिरने में परेशानी में 339 प्रति 
लाख लोगों में है। कारण के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कम उम्र में चोट और 
अधिक उम्र में शारीरिक है जबकि मानसिक और बौद्धिक विकलांगता का कारण भी कई बार 
जंम जात है तो कुछ लोगों में उम्र है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 
विकलांगता के शिकार 60 से अधिक उम्र के लोग देखे गए है जिसमें सभी प्रकार की 
विकलांगता शामिल है। विकलांगों के प्रति समाज का दृष्टि कोण बदलने के लिए हम 
एक को अपने को बदलना होगा। 



टाप 10 जिले प्रति लाख विकलांगता 

कुशीनगर- 3922 

गाज़ियाबाद- 3102 

प्रयागराज-2992 

बलिया-2802 

आगरा-2748 

कौशांबी-2666 

लखनऊ-2616 

वाराणसी-2615 

जौनपुर-2600 

कानपुर नगर-2449 



सबसे कम विकलांगता वाले 10 जिले प्रति लाख 



ज्योतिफुलेनगर-1447 

बलरामपुर-1447 

ललितपुर-1500 

बांदा-1524 

चित्र कूट-1566 

संतकबीरनगर-1589 

मुज़फ़्फरनगर-1602 

हमीरपुर-1603 

चंदौली-1636 

आजमगढ़-1638 

किस आयु वर्ग में कितनी है विकलांगता प्रति लाख 

0 से 9- 1644 

20 से 39- 2070 

40 से 59-2314 

60 से अधिक-4276 



किस लिंग और परिवेश में कितना 

पुरूष-2263 

महिला-1881 



ग्रामीण-2039 

शहरी -2227 



किस उम्र में कितनी कौन सी परेशानी 

परेशानी   0-19        20-39          40 – 59       60 से अधिक 



देखने-   283            311            451         1112 

सुनने-   439            493            558         947 

बोलने –  115            144           152         163 

चलने-   202              403           375        878 

मानसिक – 81            110            96         70 

बौद्धिक-  25              51           54         44 

कई परेशानी- 85          84             85         396 



विकलांगों की साक्षरता दर 

एनएसओ यानि नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस के अनुसार विकलांगों की साक्षरता दर को 
मापने के लिए उन्हें अलग- अलग उम्र समूह में बांटा गया है। 7 या उससे अधिक 
उम्र के विकलांगों की साक्षरता दर 52.2 थी। 15 या उससे अधिक उम्र के विकलांगों 
में 19.3 प्रतिशत हाई सेकेंड्री या उसे अधिक स्तर तक पढ़ाई कर चुके हैं और 3 
से 35 की उम्र के विकलांगों में सिर्फ 10.1 प्रतिशत ऐसे लोग थे जो प्री- स्कूल 
कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। 



इस वर्ग को सरकारी मदद 





3.7% विकलांग आत्मनिर्भर हैं अकेले रहते हैं। 62.1% विकलांगों की देखभाल करने 
के लिए केयर टेकर हैं। 21.8% लोगों को सरकार से सहायता मिलती थी, वहीं 1.8% 
विकलांगों की निजी संस्थान सहायता कर रही थी। 



नौकरी में स्थिति 



15 साल या उससे अधिक उम्र समूह की बात करें तो, श्रम बल भागीदारी दर विकलांगों 
में 22.8 प्रतिशत थी। वहीं बेरोजगारी दर 15 और उसे अधिक व्यक्तियों में 4.2 
प्रतिशत है। 




ट्रॉमा विश्‍व भर में मृत्‍यु और विकलांगता का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है। 
इससे निपटने के लिए जरूरी प्रशिक्षण दिया जाए तो काफी हद तक इन मौतों और 
विकलांगता को रोका जा सकता है। इस तरह की मौतों पर अंकुश न लग पाने का सबसे 
बड़ा कारण लोगों को इसके बारे में जरूरी प्रशिक्षण न  होना और मदद के लिए आगे 
न आना  भी है....प्रो. रूचिका टंडन न्यूरोलाजिस्ट एसजीपीजीआई 

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