शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

दारोगाजी तनाव ग्रस्त तभी तो बिगड़ जाते है बोल

 

दारोगाजी तनाव ग्रस्त तभी तो बिगड़ जाते है बोल


 


इंसपेक्टरमें तनाव का स्कोर मिला सबसे अधिक सिपाही कम लेते है टेंशन


 


पुलिस कर्मियों में तनाव की स्थित जानने के लिए हुआ शोध


 


कुमारसंजय। लखनऊ


 


वर्दी में दारोगा जी का रूतबा देख कर उनकी दिमागी हालत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है लेकिन हकीक़त है कुछ अलग है सामाजिक दबाव, अधिकारियों का दबाव, ड्यूटी का दबाव,परिवार का दबाव सहित कई कारण है जो  दारोगाजी दिमाग का दही बना देते है। मानसिक दबाव के कारण वह तनाव ग्रस्त रहते है जिसका प्रभाव कई बार उनके व्यवहार में दिखने में लगता है। लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, रायबरेली,गाजीपुर और नोयडा जिलों में तैनात दारोगा( इंसपेक्टर) , पुलिस अधिकारी( सीओ,डिप्टीएसपी, एसपी) और सिपाही में तनाव का स्तर जानने के लिए शोध वैज्ञानिकों ने शोध किया तो पता चला कि इन तीनों में से सबसे अधिक तनाव का स्कोर इंसपेक्टर में मिला देखा गया कि तनाव का स्कोर इंसपेक्टर में तनाव का  स्कोर 39.89 मिला।


दूसरे नंबर पर तनाव का स्कोर पुलिस अधिकारियों में देखा गया ।इनमें तनाव का स्कोर 37.03 मिला।  सबसे कम तनाव का स्कोर सिपाही में मिला। इनमें 36.0 स्कोर मिला।    शोध वैज्ञानिकों ने शोध पत्र में कहा है कि पुलिस बल में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के तनाव के स्तर को कम करने के विशेष योजना की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक सात से अधिक स्कोर होने पर अधिक तनाव माना जाता है।


 


 कैसे हुआ शोध


 


किंi जार्ज मेडिकल विवि के मानसिक रोग विभाग की डा. श्वेता सिंह, डा. बंदना गुप्ता . डा.दिव्या शर्मा और लखनऊ विवि के डा. प्रेम चंद्र मिश्रा ने  ए स्टडी आफः स्ट्रेस,कोपिंग, सोशल सपोर्ट एंड मेंटल हेल्थ इन पुलिस पर्सनल आफ उत्तर प्रदेश विषय को लेकर शोध किया ।  इंसपेक्टर, आफीसर और सिपाही पद पर तैनात सौ-सौ लोगों लोगों में तनाव का स्तरजनाने के लिए विशेष रूप से तैयार प्रश्न पत्र( क्वैसचनायर)  इनके जानकारी हासिल करने के बाद हर प्रश्न पर स्कोर के आधार पर तनाव का स्कोर का आकलन किया। इस शोध को हाल में ही इंडियन जर्नल आफ आक्यूपेशनल एंडइनवारमेंटल मेडिसिन ने स्वीकार किया है।     


 


तनाव जानने के लिए कुछ इस तरह के सवाल पर अंक दिए गए जिसके आधार पर स्कोर का आकलन किया गया


 


-   ड्यूटी के दौरान चोट की आशंका


-   सामाजिक जीवन कैसा


-   परिवार और दोस्तों को कितना समय दे पाते है


-   समय पर भोजन


-   थकान


-   समाज से नकारात्मक कमेंट


-   सामाजिक जीवन में बाध्यता


-   अपने स्वास्थ्य के लिए समय


-   ड्यूटी के कारण शारीरिक परेशानी


-   कार्य के अवधि


-   रात में अकेले कार्य


-   ओवर टाइम


-   ड्यूटी से जुडी अन्य गतिविध जैसे कोर्ट, सामाजिक क्रियाशीलता


-   पेपर वर्क


-   परिवार और दोस्तों को हमारे काम को लेकर परेशानी की समझ


-   हमेशा ड्यूटी पर है यह सोच

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