शनिवार, 12 सितंबर 2020

पीजीआई वेंटीलेटर पर आए सुरक्षित गए घर 15 दिन वेंटीलेटर पर किया जीवन से संघर्ष फिर मिला जीवन


 वेंटीलेटर पर आए सुरक्षित गए घर

15 दिन वेंटीलेटर पर किया जीवन से संघर्ष फिर मिला जीवन


  निजि अस्पताल से भेजे गए थे पीजीआई

दिल को किया दुरुस्त और कोरोना से दिलायी मुक्ति

 

60 वर्षीय हसीब राजधानी के ही एक निजि अस्पताल में भर्ती थे उनके सीने में लगातार दर्द की परेशानी हो रही है लेकिन दर्द से निजात नहीं मिल रहा था। इस बीच उन्हे दिल का दौरा भी पडा। इस परेशानी के इलाज के लिए निजि अस्पताल में ही एंजियोप्लास्टी हुई लेकिन एंजियो प्लास्टी के सांस लेने में परेशानी होने लगी। इस बीच यह कोरोना पाजिटिव भी थे स्थिति गंभीर होने पर निजि अस्पाल ने इन्हें वेंटीलेटर पर रख दिया। घर वाले इनको लेकर पीजीआई कोरोना अस्पताल लाए तो स्थिति को देखते हुए आईसीयू में भर्ती कर इलाज की दिशा तय की गयी। इमरजेंसी मेडिसिन के प्रो. तन्मय घटक ने बताया कि इनका इलाज संस्थान के सात विशेषज्ञों की देख रेख में इलाज शुरू किया गया। 27 अगस्त को  को यह कोरोना अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती किए गए थे लेकिन 29 तारिख को इन्हे कार्डियक एरेस्ट( दिल ने एक दम से काम करना बंद कर दिया) हो गया । आईसीयू में मौजूद डा. जय और डा. आनंद  ने सीपीआऱ(कार्डियक पल्मोनरी री सक्शेन ) कर दोबारा दिल को गति को शुरू करने में सफलता हासिल की।  दिल की मांस पेशियों की शक्ति काफी कम हो गयी थी। कार्डियोलाजी विभाग के प्रो. सुदीप कुमार और आईसीयू एक्सपर्ट प्रो. पुनीत गोयल की देख –रेख में सांस लेने में परेशानी के कारण का पता करने के साथ दिल की परेशानी का इलाज किया जिसमें सफलता मिली। दस सितंबर को इन्हे अस्पताल से छुट्टी दे गयी।  





इन विशेषज्ञों ने दिया सलाह  

 नेफ्रोलाजी विभाग की प्रो. अनुपमा कौल  , हिमैटोलाजी विभाग के प्रो. अशुंल गुप्ता, पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. आलोक नाथ , सीसीएम के विशेषज्ञों ने कई स्तर पर सलाह देकर मरीज को ठीक करने में मदद किया। इस सफलता पर निदेशक प्रो.आरके धीमन ने टीम को बधाई दी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें