अब उंगली की टूटी हड्डी में प्लेट लगाकर जोड़ना है संभव
हफ्तों के लिए नहीं फिक्स करनी पड़ेगी उंगली दो दिन में होगा मूवमेंट
ओआरआईएफ तकनीक पीजीआई में स्थापित
कलाई की नीचे की हड्डी ( उंगली के पोर, कलाई अन्य) के फ्रैक्चर को नई तकनीक से जोड़ कर दो दिन में ही गति( मूवमेंट) देना संभव हो गया है। ओपेन रीडक्शन इंटरनल फिक्सेशन(ओआरआईएफ) तकनीक जरिए यह सूक्ष्म सर्जरी प्लास्टिक सर्जन ही कर सकते हैं। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवाल ने बताया कि रोड एक्सीडेंट या दूसरे कारण से चोट लगने पर कई बार उंगली के पोर की हड्डी टूट जाती है जिससे उंगली का मूवमेंट नहीं हो पाता है। ऐसे मामलों में पहले के वायर अंदर डालकर पूरी उंगली को फिक्स 6 से 8 सप्ताह के लिए फिक्स किया जाता रहा है । इससे कलाई के नीचे की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। कड़ापन आ जाता है। सूजन आ जाता है। कई बार इसके बाद भी पोर की हड्डी नहीं जुड़ती है। ऐसे मामलों के लिए विशेष तकनीक स्थापित किया है। इस तकनीक में जिस पोर में फ्रैक्चर है उसमें हड्डी में त्वचा को हटाकर उसमें प्लेट लगाकर टूटी हड्डी को फिक्स कर देते है।इससे के वायर के होने वाली परेशानी नहीं होती है। दो दिन में ही उंगली चलने लगती है। यह बहुत सूक्ष्म सर्जरी है जिसे प्लास्टिक सर्जरी ही कर सकते हैं। कम उम्र के लड़के लड़कियों के यह तकनीक वरदान है क्योंकि उंगली में मूवमेंट न होने पर वह काम नहीं कर पाते है।
नर्व स्टिमुलेटर से टूटी नर्व खोज कर जोड़ना संभव
रोड एक्सीडेंट में चेहरे पर चोट लगना आम है। इसमें कई बार चेहरे की फेशियल नर्व डैमेज हो जाती है। यह नर्व चेहरे के काम पानी पीना, कुल्ला करना, पलक का झपकना सहित चेहरे के भाव प्रकट करने में अहम भूमिका निभाता है। नर्व 0.1 मिमी का होता है। इसे रिपेयर करने के लिए टूटी नर्व को नर्व स्टिमुलेटर से खोज कर प्लास्टिक सर्जन रिपेयर करते हैं। हम लोग लगातार यह केस कर रहे हैं। कई बार नाक की हड्डी चूर-चूर हो जाती है ऐसे में शरीर के दूसरे अंग से हड्डी लेकर बोन ग्राप्ट करते हैं।
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