पीजीआई एपेक्स ट्रामा सेंटर का स्थापना दिवस
स्किल लैब में ट्रेंड किए जाएंगे एक्सपर्ट देवदूत
दुर्घटना स्थल पर केयर न होने से बिगड़ जाती है स्थिति
ट्रामा सेंटर में स्थापित होगा आर्थोपेडिक विभाग
दुर्घटना के सही तरीके से उठाने, एंबुलेंस में रखने के गलत तरीके के कारण अस्पताल पहुंचने तक 25 से 30 दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति बिगड़ जाती है। फ्रैक्चर बढ़ने, अधिक रक्तस्राव सहित कई परेशानी बढ़ जाती है। पॉइंट आफ कांटेक्ट ( दुर्घटना स्थल) पर पहुंचने वाले एक तरह के देवदूत होते हैं। इनका ट्रेंड होना जरूरी है तभी व्यक्ति सुरक्षित अस्पताल तक पहुंच सकता है। एक्सपर्ट बनाने के लिए संजय गांधी पीजीआई का एपेक्स ट्रामा सेंटर स्किल लैब तैयार करने जा रहा है। ट्रामा सेवा में प्रदेश में काम रहे लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति में और नुकसान नहीं होगा। ट्रामा सेंटर के 6 वें स्थापना दिवस पर प्रभारी न्यूरो सर्जन प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव और चिकित्सा अधीक्षक और अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन ने बताया कि आर्थोपेडिक विभाग स्थापित करने जा रहे हैं। विशेषज्ञ तो हैं लेकिन विभाग न होने के कारण शिक्षण और शोध नहीं हो पा रहा है। विभाग आर्थोपेडिक विशेषज्ञ खास तौर पर ट्रामा मैनेजमेंट के तैयार किए जा सकेंगे। इस मौके पर कई स्कूलों के दो हजार से अधिक छात्रों को सुरक्षा शपथ दिलाया गया। प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने कहा कि बच्चों में यदि सुरक्षा का पालन करने की आदत पड़ जाए तो रोड एक्सीडेंट की आशंका कम होगी। अभी 135 बेड क्रियाशील है 35 बेड और क्रियाशील करने जा रहे हैं। 210 का लक्ष्य जल्दी पूरा करेंगे। एक साल में 2 हजार से अधिक दुर्घटना ग्रस्त लोगों में आर्थोपैडिक, न्यूरो सर्जरी, ट्रामा सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, चेहरे पर चोट की सर्जरी हो रही है। निदेशक प्रो.आरके धीमन ट्रामा सेंटर के कार्य पर संतोष जताया।
एक्सीडेंट के लिए और लोग भी हों जवाबदेह
मुख्य अतिथि लखनऊ हाई कोर्ट के जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि रोड सेफ्टी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। एक्सीडेंट के केवल ट्रैफिक पुलिस ही नहीं नगर निगम, लोक निर्माण विभाग को जवाबदेह होना चाहिए।
चार ई पर फोकस जरूरी
डीसीपी ट्रैफिक ने कहा कि चार ई पर फोकस करना इंजीनियरिंग जिसमें रोड का सही निर्माण सहित अन्य, एजूकेशन जिसमें रोड सेफ्टी का बारे में जानकारी, एनफोर्समेंट जिसमें कानूनी पहलू शामिल है, इमरजेंसी जिसमें दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की सही समय पर उपचार। हाईवे पर 1022 और अन्य जगह पर 102 पर काल कर तुरंत सेवा ली जा सकती है। रोड एक्सीडेंट व्यक्ति के मदद पर कोई सवाल किसी से नहीं पूछा जाता है। यह नैतिकता में आता है।
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