पीजीआई में पहली बार हुई विश्व की पहली नई तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी
प्रोस्टेट ग्रंथि के सर्जरी के बाद मूत्र पर नियंत्रण की परेशानी की आशंका होगी कमी
विश्व की पहली ट्रांसवेसिकल मल्टीपोर्ट रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी
संजय गांधी पीजीआई में पहली बार प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी
एक नई तकनीक से हुई जिसका नाम है ट्रांसवेसिकल मल्टीपोर्ट रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी । विशेषज्ञों का दावा है कि अभी तक विश्व में इस तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी नहीं हुई है।
इस सर्जरी को अंजाम देने वाले यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि
एक नई सर्जिकल तकनीक है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि को मूत्राशय के माध्यम से रोबोट की सहायता से हटाया जाता है। यह पारंपरिक विधियों की तुलना में कम दूसरी परेशानी की आशंका रहती है। मरीजों के लिए तेज़ी से रिकवर होती है। कम दर्द और जटिलताओं के न्यूनतम जोखिम सहित कई लाभ प्रदान करता है।
क्या है फायदा
प्रोफेसर उदय प्रताप ने बताया कि समान तरीके से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी के बाद मूत्र पर नियंत्रण और यौन शक्ति में कमी की आशंका रहती है इस सर्जरी के बाद इस आशंका की संभावना बहुत कम हो जाती ।। ट्रांसवेसिकल रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी से गुजरने वाले मरीजों को जल्द ही असंयम और यौन कार्य की पुनः प्राप्ति का अनुभव होता है, जो सर्जरी के बाद उनकी जीवन गुणवत्ता को काफी बढ़ाता है।
ट्रांसवेसिकल विधि आस-पास के ऊतकों और नसों को नुकसान पहुँचाने से बचाती है, जिससे मरीज जल्द ही मूत्राशय पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही
न्यूरोवास्कुलर बंडलों को संरक्षित करने में मदद करती है जो इरेक्टाइल फंक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिससे यौन स्वास्थ्य की जल्दी और पूरी तरह से पुनः प्राप्ति होती है।
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