पीजीआई में हाइपोथायरायडिज्म ग्रस्त बच्चों का केयर प्रोग्राम
जन्मजात थायराइड हार्मोन की कमी से मंदबुद्धि की आशंका
-हाइपोथायरायडिज्म ग्रस्त इलमा साइंटिस्ट बनने का सपना करेगी पूरा
- हार्मोन की दवा का कभी न करें नागा
कंजनाइटल हाइपोथायरायडिज्म( जंम से ही थायराइड हार्मोन की कमी) से ग्रस्त सिधौली सीतापुर की इलमा अब साइंटिस्ट बनने का सपना पूरा कर सकेगी। इलमा के पिता मुख्तार की जागरूकता के कारण जन्म के सात दिन के अंदर पता चला कि इलमा में थायराइड हार्मोन की कमी है। इसका पता समय पर लगता तो शायद मंदबुद्धि की शिकार होती। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के जेनेटिक्स विभाग ने एक विशेष परियोजना के तहत नवजात शिशुओं के मानसिक विकास की कमी से रोकने के लिए थायराइड स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जिसमें जन्म के तुरंत बाद शिशु का रक्त लेकर उनमें थायराइड सहित अन्य जांचें की जाती है। इसी योजना के तहत कई जिलों में जन्म के यह परियोजना चलाई गयी जिसमें लगभग 67 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी जिसमें 40 बच्चों में हार्मोन की कमी मिली। इस योजना के कारण इन बच्चों को मंदबुद्धि होने से बचाने में कामयाबी मिली। इन बच्चों के केयर के लिए विभाग ने बुधवार को परीक्षण कार्यक्रम रखा जिसमें परीक्षण के बाद माता-पिता और अभिभावकों देखभाल की जानकारी दी गयी। विभाग की प्रमुख प्रो. शुभा फड़के ने बताया कि पहले एनएचएम के तहत यह योजना कई जिलों में चलायी जा रही थी लेकिन फंड बंद होने के बाद डीबीटी( डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) से मिले प्रोजेक्टर से श्रावस्ती और बहराइच में योजना उम्मीद के नाम चल रही है। इंडोक्राइनोलॉजी
विभाग की प्रो. विजय लक्ष्मी भाटिया ने सलाह दिया कि
दवा कभी भी बंद न करें। जैसे जीने के लिए हवा –पानी की
जरूरत है वैसे ही हार्मोन की दवा रोज लेना है।
तीन माह पहले पता चला कि थायराइड हार्मोन की कमी
बहराइच जिले के रामकुमार और पत्नी कृष्णा वती ने बताया कि जन्म के तीन दिन बाद डाक्टर ने बताया कि इनके बच्ची में हार्मोन की कमी है जिसके बाद इलाज चल रहा है। बच्ची का विकास सामान्य है।
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