विश्व पार्किंसंस जागरूकता दिवस पर पीजीआई में कार्यक्रम
पार्किंसंस के 80 फीसदी बीमारी के बिगड़ी स्थिति में पहुंचते है विशेषज्ञ के पास
कई चिकित्सक एक साथ चला देते है कई तरह की दवाएं
शुरूआती दौर में काफी हद तक दवाओं से इलाज
युवा भी हो रहे है इस परेशानी के शिकार
डोपामिन की कमी से होती है पार्किंसंस
जागरण संवाददाता। लखनऊ
पार्किंसंस के 80 फीसदी मरीज संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान के विशेषज्ञों के पास तब पहुंचते है जब दवाओं का असर कम हो जाता है। ऐसी स्थिति तब आती है जब कई दवाएं यानि प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी की दवाएं साथ चिकित्सक चला देते इससे दवाओं का प्रभाव कम होने लगता है। संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रो. रुचिका टंडन ने विश्व पार्किंसंस जागरूकता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे सलाह दिया कि लक्षण महसूस होते ही किसी भी न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेना चाहिए । तमाम दवाएं एक साथ शुरू करने पर दवाएं चार-पाच साल तक काम करती है फिर बेअसर होने लगती है ऐसे में दवा से इलाज का विकल्प खत्म हो जाता है ऐसे में डीप ब्रेन स्टीमुलेशन जैसी ही विशेष इलाज का तरीका बचता है। प्रो. रुचिका ने बताया कि दिमाग में डोपामिन न्यूरोट्रासमीटर ( एक तरह का रसायन) की कमी से यह परेशानी होती है। मरीज के शुरुआती दौर में आने पर उचित मात्रा में इस रसायन को बढाने की दवाएं देते है लक्षण के आधार पर दवा की मात्रा कम या अधिक करते है। जब इन दवाओं का असर कम होने लगता है जब सीओएमटी इनहैबिटर दवाएं देते है। यह रक्त में डोपामिन को क्षतिग्रस्त होने से रोकता है। ब्रेन में अधिक मात्रा में डोपामिन पहुंचता है। तमाम चिकित्सक यह दोनों दवाएं एक साथ शुरू कर देते है जिससे दवा का असर जल्दी कम होने लगता है। कानपुर मेडिकल कालेज के न्यूरोलाजिस्ट प्रो. नवनीत कुमार ने कहा कि बीमारी का कारण पता नहीं है लेकिन सिर में चोट, पेस्टीसाइड, आटोइम्यून डिजीज भी कारण माना जा रहा है। पुरूष इस बीमारी से महिलाओं के मुकाबले दो गुना अधिक प्रभावित होते है।
क्या है पार्किंसंस
ब्रेन डिसऑर्डर है। यह समस्या 60 के बाद होने की आशंका रहती है है। दिमाग की विशिष्ट मस्तिष्क कोशिकाओं में नुकसान होने के कारण मूवमेंट प्रभावित होती है।
पाजिटिव रहे है मरीज
विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान ने बताया कि इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को पाजिटिव रहने की जरूरत है। दवा कभी भी बिना डाक्टर के सलाह के बंद न करें। हम लोग पांच मरीजों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन न्यूरोसर्जरी के सहयोग कर चुके है आगे भी कई में तैयारी है। प्रो, संजीव झा और प्रो.वीके पालीवाल ने कहा कि नियमित व्यायाम करना चाहिए इससे उनकी परेशानी कम होती है।
यह परेशानी तो तुरंत लें सलाह
पार्किंसंस रोग के लक्षण धीरे-धीरे होते हैं । ध्यान नहीं जाता है।
- हाथ-पैर में कंपन
- अंगों में जकड़न
- हर काम में धीमापन
- असंतुलित चाल और शरीर असंतुलन
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