हुनर मंद हाथों से भी हो सकती है गाल ब्लैडर सर्जरी के दौरान बाइल डक्ट इंजरी
देश का पहला शोध जिसमें पता लगा कि कितनी में हो सकती है बाइल डक्ट इंजरी
कुमार संजय। लखनऊ
पित्ताशय में पथरी होना एक आम परेशानी है देखा जाए तो दस फीसदी से अधिक लोग किसी न किसी उम्र में इस परेशानी के शिकार होते है। इस परेशानी का इलाज केवल सर्जरी है जिसमें पित्ताशय को निकाल दिया जाता है। पित्ताशय निकालने के लिए सबसे सुरक्षित तरीका लेप्रोस्कोपिक सर्जरी है । दस साल से अधिक समय तक यह सर्जरी करने वाले सर्जन से भी इस सर्जरी के दौरान बाइल डक्ट इंजरी की आशंका रहती है। देखा गया है कि सर्जरी के दौरान इस तरह की परेशानी होने पर लोग सर्जन के सर ठिकरा फोड़ते है लेकिन यह मानवीय घटना है ऐसा शोध ने साबित किया। संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञों ने पहली बार गाल ब्लैडर स्टोन की सर्जरी के दौरान बाइल डक्ट इंजरी की आशंका का पता लगाने के लिए पूरे देश में ई –सर्वे किया तो चौंकाने वाले आंकडे सामने आए। संस्थान के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग से डा. सुप्रिया शर्मा, डा. अनु बिहारी, डा. रत्नाकर शुक्ला, डा. मुक्तेश्वर और डा. वीके कपूर ने बाइल डक्ट इंजरी ड्यूरिंग लेप्रोस्कोपिक कोलेसिसटेक्टोमीः एन इंडियन इ सर्वे किया जिसे जर्नल
एनल आफ हिपैटोबिलेरी पैक्रिएटिंक सर्जरी ने स्वीकार किया है।
278- सर्जन ने लिया सर्वे में भाग
86 फीसदी – 10 साल में एक बार बाइल डक्ट इंजरी हुई
78 फीसदी- एक बार ज्यादा बाइल डक्ट इंजरी हुई
728 – बाइल डक्ट इंजरी हुई
40 फीसदी- सौ अधिक मरीजों में सर्जरी कर चुके है फिर भी बाइल डक्ट इंजरी हुई
80 फीसदी – सर्जन ने इंजरी को ठीक किया
20 फीसदी- सर्जन ने बाइल डक्ट इंजरी के बाद मरीज को दूसरे सेंटर पर भेजा
18 फीसदी- सर्जन ने माना कि बाइल डक्ट इंजरी के कारण मरीज की जिंदगी खतरे में पडी
6 फीसदी- सर्जन मेडिको लीगल केस भी चला
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