गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख बने प्रोफेसर यूसी घोषाल
संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर यूसी घोषाल होंगे 21 वर्षों से गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में एक संकाय सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं। इसके पूर्व उन्होंने 1991 से 1994 तक संस्थान के गैस्ट्रोलॉजी विभाग से डीएम का कोर्स किया। संस्थान के गैस्ट्रोलॉजी विभाग के डी एम विद्यार्थियों के चौथे बैच के छात्र रहे हैं वर्धमान मेडिकल कॉलेज, बर्धमान, कोलकाता से उन्होने एमबीबीएस कोर्स किया, जिसने उन्हें आठ स्वर्ण पदक प्राप्त हुए। विश्वविद्यालय की एमबीबीएस परीक्षा के सभी तीन व्यवसायिक कोर्सों में भी वे प्रथम आए। पीजीआई चंडीगढ़ में उन्होंने सन 1988 से सन 1991 तक एमडी कोर्स किया था, इसके पश्चात वे संजय गांधी पीजीआई में डीएम करने के लिए आए। 1995 से सन 2000 तक कोलकाता के आईपीजीएमईआर में उन्होंने एक परामर्शदाता के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात सन 2000 में संस्थान के गैस्ट्रोलॉजी विभाग उन्हें संकाय सदस्य के रूप में नियुक्ति प्राप्त हुई।
गैस्ट्रोइन्टेसटाइनल फिजियोलॉजी में निपुण हैं।
एशियन न्यूरो गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी एसोसिएशन की स्थापना की। एक दशक तक वे इसके महासचिव भी रहे। उन्होंने इंडियन मौटलिटी व फंक्शनल डिसीजेज एसोसिएशन की स्थापना की, जिसके वर्तमान में वे अध्यक्ष भी हैं। वे रोम फाउंडेशन, यूएसए के भारत से एकमात्र प्रतिनिधि हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय लाइजेन समिति की अध्यक्षता की है।
वे विश्व की वृहततम एपिडिमियोलाजी स्टडी का नेतृत्व करने वाले सदस्यों में से एक है। दो पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। उन्हे 34 पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया जिसमें शामिल है :
2019 में वारेन मार्शल अवार्ड ऑफ एशियन पेसिफिक गैस्ट्रोइन्टोलाजी ।
शोध में उत्कृष्ट कार्य के लिए संजय गांधी पीजीआई द्वारा उन्हें प्रोफेसर एसआर नायक अवार्ड से सम्मानित किया गया।
महामहिम राज्यपाल, उत्तर प्रदेश द्वारा उन्हें आइकॉन ऑफ हेल्थ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया
उनके 323 पब्लिकेशन भी है।उनके निर्देशन में 8 विद्यार्थियों ने पी एच डी की उपाधि प्राप्त की है। प्रोफेसर घोषाल ने कहा कि वह विभाग को विश्व स्तरीय बनाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे इलाज की नई तकनीक स्थापित करने के साथ इलाज के तकनीक का विस्तार के लिए काम करेंगे
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