सोमवार, 20 सितंबर 2021

अब चंद मिनटों में तय होगी लीवर सिरोसिस के गंभीर मरीजों में इलाज की दिशा

 

अब चंद मिनटों में तय होगी लीवर सिरोसिस के गंभीर मरीजों में इलाज की दिशा

 

बायोमार्कर सीडी 64 बताएगा परेशानी का कारण


सिरोसिस के मरीजों में परेशानी होने पर चार से

 पांच घंटे है गोल्डेन आवर


 कुमार संजय। लखनऊ

अल्कोहलिक लीवर सिरोसिस से

 ग्रस्त मरीजों  जिंदगी की डोर बढाने के लिए


 विशेषज्ञों ने खास बायोमार्कर  का पता लगाया है।

 इस बायोमार्कर के जरिए मात्र एक से दो घंटे में


 लिवर सिरोसिस के मरीजों में परेशानी का कारण


 पता लग जाएगा। इलाज की दिशा तय हो

 जाएगी। लिवर सिरोसिस के मरीजों में बीच –बीच

 में रक्त स्राव, पेट में पानी भरने, सोडियम –

पोटैशियम में असंतुलन, मनोभ्रम सहित कई

 परेशानी होती है। इस परेशानी का इलाज क

र 

इन मरीजों को काफी हद तक सरल जिंदगी दी जा


 सकती है। संजय गांधी पीजीआई के पेट रोग

 विशेषज्ञ प्रो. गौरव पाण्डेय के मुताबिक इस

 परेशानी का कारण संक्रमण या इंफ्लामेशन

( सूजन) होता है। कारण का पता लगाने में

 न्यूट्रोफिल सीडी 64 बायोमार्कर काफी अहम


 भूमिका अदा करता है। यह हम लोगों ने


 अल्कोहल लिवर सिरोसिस के 128 मरीजों पर

 शोध

 के बाद साबित किया है। सीडी 64 की संख्या कम

 है तो कारण सूजन होता है। संख्या अधिक है तो

 इंफेक्शन है। इंफेक्शन है तो तुरंत हम लोग हाई

 एंटीबायोटिक शुरू करते है मरीजों को आराम मिल

 जाता है। सूजन है तुरंत इम्यूनोसप्रेसिव शुरू करते

 है मरीज को आराम मिल जाता है।

 लिवर सिरोसिस

 के मरीजों में होने वाली तमाम परेशानी को एक्यूट

 आन लिवर फेल्योर (एसीएलएफ ) कहते है

। इलाज की दिशा तय करने के लिए हम लोगों को

 पास चार से 5 घंटे का समय होता है। सही समय

 पर इलाज सही इलाज न मिलने पर जीवन को

 खतरा हो सकता है। इस शोध के बाद

 एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल रूकेगा। एटी


 बायोटिक रसिस्टेंट कम होगा। इलाज का खर्च

 घटेगा।    



टीएलसी का बढ़ा स्तर देता रहा है चकमा

प्रो. गौरव के मुताबिक अभी तक टीएलसी( टोटल लिम्फोसाइट काउंट) का स्तर बढा होने पर मान लिया जाता रहा है कि इंफेक्शन है और एंटीबायोटिक शुरू कर दी जाती थी लेकिन मरीज को आराम नहीं मिलता था। देखा कि टीएलसी अमूमन 90 से 95 फीसदी में बढ़ा रहता है। देखा गया कि टीएलसी बढे होने के बाद भी 50 से 60 फीसदी में इंफेक्शन नहीं होता है। सूजन के कारण भी यह बढ़ सकता है। 128 मरीजों में से 58 में इंफेक्शन मिला। इस जांच की सुविधा संस्थान में उपलब्ध है।    

 

शोध के मिली इंटरनेशनल स्तर पर मान्यता

 

यूटिलिटी आफ न्यूट्रोफिल सीडी64 इन डिटिन्गिवस बैक्टीरियल इंफेक्शन फ्रॉम इंफ्लामेशन इन सीवियर अल्कोहलिक हेपेटाइटिस विषय पर हुए शोध को साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल ने स्वीकार किया है। शोध क्लीनिकल इण्यूनोलाजी विभाग के प्रो.विकास अग्रवाल के  प्रो. दुर्गा प्रसन्ना और गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट  प्रो. गौरव पाण्डेय ने किया।    


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