बुधवार, 29 सितंबर 2021

आए दांत के इलाज के लिए पता चला हैं बीपी के शिकार दिल , दिमाग और किडनी के खतरे से 25 फीसदी अंजान

 




आए दांत के इलाज के लिए पता चला हैं बीपी के शिकार

 दिल , दिमाग और किडनी के खतरे से 25 फीसदी अंजान

हाई बीपी साइलेंट किलर इस लिए रखें नजर

 

 

कुमार संजय। लखनऊ

 

 

 

25 फीसदी लोगों को पता ही नहीं है कि वह साइलेंट किलर यानी हाई ब्लड प्रेशर के साथ जिंदगी जी रहे है। इस तथ्य का खुलासा किंग जार्ज मेडिकल विवि के विशेषज्ञों ने 20 से 60 वर्ष आयु वर्ग के 2500 दांत के इलाज के लिए मरीजों पर शोध के बाद किया है। इलाज के लिए आए सभी मरीजों का  रक्तचाप (बीपी) तीन बार लिया गया ।  सभी रीडिंग को चार श्रेणियों में बांटा गया थाजिसमें सामान्यप्रीहाइपरटेन्सिव( उच्च रक्त चाप से तुरंत पहले की स्थिति)  स्टेजस्टेज 1 और उच्च रक्तचाप का स्टेज 2 शामिल है। विशेषज्ञों ने देखा कि ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की ओपीडी में भाग लेने वाले सभी लोगों में से लगभग 24.39 फीसदी मरीजों को पहले पता ही नहीं था कि वह हाई बीपी के शिकार है। यह देखा गया कि जब इन्हे दांत के इलाज के लिए लोकल एनेस्थीसिया दिया गया तो 16.71 फीसदी मरीज  स्टेज वन हाइपरटेंशन की स्थित आ गयी। देखा गया कि 31 से 40 आयु वर्ग के 60.11 फीसदी लोग प्री हाइपरटेंशन के शिकार थे। स्टेज वन बीपी के शिकार सबसे अधिक 51 से 60 आयु वर्ग के 48.02 फीसदी लोग शिकार मिले।

 

 

 

 

किस स्टेज में कितना होना चाहिए बीपी

 

 

 

 

 

सामान्य             <120                  <80

 

प्री हाइपरटेंशन         120-139      80-89

 

हाइपरटेंशन स्टेज वन 140-159                90-99

 

स्टेज टू-          >160                         >100

 

 

 किस आयु वर्ग में कितने फीसदी किस स्टेज बीपी के शिकार


बीपी स्टेज       20-30 वर्ष,        31-40 वर्ष         41-50 वर्ष         51-60  वर्ष

 

सामान्य             59.75                     32.98             32.94                      8.01

 

प्री हाइपरटेंशन     40.1                60.11          49.96                 43.96

 

स्टेज एक         0                 17.01                   15.89                48.02

 


किस लिंग में कितने फीसदी


                  पुरुष       महिला

 

 सामान्य        15.47       29.92

 

प्री हाइपरटेंशन    58.10       53.01

 

स्टेज वन        22.94          15.2

 

 इन्होंने ने किया शोध

 

 ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग विभाग के डा. सतीश कुमारडा. हरेराममेडिसिन विभाग के डा. ईशा आतमडा. वीरेंद्र आतमडा. सत्येंद्र कुमार सोनकरडा. मुन्ना लाल पटेलडा. अजय कुमार के शोध को नेशनल जर्नल आफ मैक्सिलोफेशियल सर्जरी ने डिटेक्शन ऑफ अन डायगनोस एंड इनएडीक्वेटली ट्रीटेंड हाई बल्ड प्रेशर इन डेंटिस्ट्री बाई स्क्रीनिंग विषय से हुए शोध को स्वीकार किया है।

 

 

 

काफी लोगों में नहीं महसूस होता लक्षण

 

  

संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ और यूपी कार्डियोलॉजी सोसाइटी सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव  प्रो. सुदीप कुमार कहते है कि उच्च रक्तचाप को "साइलेंट किलर" के रूप में जाना जाता है। अधिकांश लोग अपने उच्च रक्तचाप से अनजान हैं क्योंकि चेतावनी के संकेत या लक्षणों की अनुपस्थिति हो सकती है। यही कारण है कि समय-समय पर बीपी की जांच कराते रहना चाहिए। ग्लोबल बर्डन ऑफ हाइपरटेंशन 2005 के अध्ययन में पाया गया कि 20.6फीसदी भारतीय पुरुषों और 20.9 फीसदी भारतीय महिलाओं को उच्च रक्तचाप था।  जिसके परिणामस्वरूप सभी स्ट्रोक के कारण 57 फीसदी और 24 फीसदी  कोरोनरी हृदय रोग के कारण असमय मौत का कारण बनती है।

 

 युवाओं को रहना होगा सचेत

 

संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ एवं यूपी कार्डियोलॉजी सोसाइटी आफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. सत्येंद्र तिवारी कहते है कि  दिल के दौरा और उच्च रक्तचाप  विश्व स्तर पर मृत्यु का सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से युवा आबादी में उनकी बढ़ती संख्या चिंता का कारण है। इन रोगों के महत्वपूर्ण परिवर्तनीय कारणजिन्हें लोग स्वयं बदल सकते हैं।   व्यायाम की कमीधूम्रपान और एक अस्वास्थ्यकर आहार मुख्य कारण है। इस वर्ष विश्व हृदय दिवस का विषय "यूज़ हार्ट टू कनेक्ट" हैइसलिए हम अपने दिलों से जुड़ते हैंऔर यह सुनिश्चित करते हैं कि हम अपने दिल जुडे।  अपने दैनिक जीवन  में हृदय-स्वस्थ रखने के लिए  शारीरिक गतिविधियों जैसे चलनाटहलनादौड़ना आदि को शामिल करके एक फिट जीवन शैली बनाए रखें। संतुलित और पौष्टिक आहार पर भी ध्यान दें हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें